द लीडर हिंदी, लखनऊ।उत्तर प्रदेश में अगले साल चुनाव है जिसके मद्देनजर सरकार और संगठन का जोर अब असंतुष्ट नेताओं व कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने पर है। यही नहीं सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच दूरियां खत्म कराने के बाद भाजपा अब पार्टी के अन्य नेताओं के बीच मनमुटाव दूर कराने की मुहिम में जुटी है।
अब कमियां गिनाने का वक्त नहीं
बैठक में मिले फीडबैक के बाद संगठन ने कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने की कवायद शुरू की है। निगम, आयोग, बोर्ड और समितियों में नियुक्तियों के साथ कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज मुकदमे भी वापस लेने की कवायद शुरू की जा रही है। वहीं मंत्रियों को अपने निर्वाचन क्षेत्र व प्रभार वाले जिलों में जाकर कार्यकर्ताओं से संवाद कर उन्हें संतुष्ट करनेे की जिम्मेदारी सौंपी गई है। तबादलों में भी नेताओं-कार्यकर्ताओं के वाजिब मामलों की सुनवाई करने को कहा गया है। सूत्रों के अनुसार बीएल संतोष ने मंत्रियों से दो टूक कहा कि अब नाराजगी जताने या कमियां गिनाने का वक्त नहीं है। पार्टी अब पूरी तरह चुनावी मोड में आ गई है। पार्टी का एकमात्र उद्देश्य यूपी में फिर से भारी बहुमत से सरकार बनाना है। लिहाजा सब कुछ भूलकर चुनाव जीतने पर ध्यान केंद्रित किया जाए।
भाजपा ने चुनाव से पहले धरातल पर किसी भी प्रकार की संवादहीनता, विवाद या मनमुटाव को समाप्त करने कर सभी प्रमुख व प्रभावशाली नेताओं को एक सूत्र में पिरोने की योजना बनाई है। पार्टी में अब तक उपेक्षित चल रहे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विनय कटियार, लक्ष्मीकांत बाजपेयी और रमापति राम त्रिपाठी के भी अनुभव और उनके जातीय वोट बैंक का लाभ लेने के लिए चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है।