बरेली की वो हाईप्रोफाइल ‘आदर्श शादी’ जो एक साल चली और छह साल से अदालत में घिसट रही

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Nida Khan Shiran Raza
File Photo.

द लीडर : एक आदर्श शादी के बारे में आपका क्या ख़्याल है? क्या उसमें लड़का और लड़की पक्ष के बीच शर्तों की कोई गुंजाइश है. दहेज, ताक़त, रुतबा और शानो-शौक़त की नुमाइश होनी चाहिए? सुन्नी-बरेलवी मुसलमानों के मरकज़ यानी केंद्र, दरगाह आला हज़रत जोकि बरेली में है-वहां से हाल के दिनों में ऐसी कोशिश शुरू हुई है, जिसके मूल में आदर्श शादी का पैग़ाम है. लेकिन उसी बरेली की एक आदर्श शादी पिछले छह सालों से अदालत में घिसट रही है. मियां-बीवी का ये विवाद काफ़ी चर्चित है, इतना कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया की सुर्ख़ियां भी बन चुका है. (Nida Khan Shiran Raza)

उसी आदर्श शादी से संबंधित एक मामले में दुल्हन पक्ष को अदालत से बड़ी राहत मिली है. जिसमें दूल्हा पक्ष ने दुल्हन पक्ष पर दहेज की फर्ज़ी लिस्ट बनाने के इल्ज़ाम में सीआरपीसी की धारा-340 के तहत मुक़दमा दर्ज करने की अर्जी लगाई थी. ये केस है निदा ख़ान बनाम शीरान रज़ा ख़ान. जिसका जुड़ाव आला हज़रत ख़ानदान से है. शनिवार को बरेली की स्थानीय अदालत ने शीरान रज़ा ख़ान का, निदा ख़ान पक्ष पर दहेज की फर्जी सूची तैयार करने के मामले में मुक़दमा दर्ज करने की मांग वाला आवेदन निरस्त कर दिया है.

5 फ़रवरी 2015 को निदा ख़ान और शीरान रज़ा ख़ान की शादी हुई थी. और अगले साल 18 फ़रवरी 2016 को तलाक़ का दावा सामने आया गया. हालांकि अदालत इस तलाक़ को अवैध क़रार दे चुकी है. इस शादी से जुड़े कई मामले कोर्ट में विचाराधीन है.

यहां आदर्श शादी का ज़िक्र इसलिए क्योंकि शीरान रज़ा की ओर से अदालत में एक हलफ़नामा दिया गया था. जिसमें कहा गया कि ”18 फ़रवरी 2015 को मुस्लिम रीति रिवाज़ के साथ उनका निकाह हुआ था, जोकि दहेज रहित यानी बिना दहेज एक आदर्श शादी थी.” (Nida Khan Shiran Raza)

निदा ख़ान और शीरान रज़ा का घरेलू हिंसा का केस चल रहा है. जिसमें निदा ने अदालत से दरख़्वास्त कर रखी है कि उनके दहेज का सामान वापस कराएं. निदा के परिवार ने शादी में उन्हें एक स्विफ्ट गाड़ी भी दी थी. अदालत के एक आदेश पर शीरान रज़ा वो गाड़ी वापस कर चुके हैं. और बाकी सामान वापसी को लेकर ही उनका मामला है. जिसमें शीरान रज़ा ख़ान का आरोप है कि निदा ख़ान पक्ष ने शादी में दहेज की फर्जी लिस्ट बनाकर कोर्ट में पेश की थी.

शीरान रज़ा ने निदा पर एक्सटॉरशन यानी वूसली का आरोप लगाया था. और वो चाहते थे कि इस मामले में निदा ख़ान के ख़िलाफ एफआईआरा दर्ज हो. लेकिन मामले की सुनवाई और साक्ष्यों के बाद अदालत ने उनकी अर्जी ख़ारिज कर दी.

निदा और शीरान का केस काफ़ी पेचीदा है. शीरान रज़ा दूसरी शादी कर चुके हैं, जबकि निदा ख़ान अपने मुक़दमों की पैरवी तक अटकी हैं. चूंकि शीरान रज़ा का ताल्लुक़ आला हज़रत ख़ानदान से है, तो इस को लेकर एक बड़े जनसमूह की दिलचस्पी भी है. अदालत में साक्ष्य और दलीलें ही कुबूल हैं. लेकिन उसके बाहर दोनों पक्षों की ओर से तमाम तरह के आरोप-प्रत्यारों की लंबी फ़ेहरिस्त है.

ये वही निदा ख़ान हैं, जिन्होंने अपनी तलाक़ की लड़ाई के बीच तीन तलाक़ के ख़िलाफ़ ही बरेली से मोर्चा खोल दिया था. जुलाई 2018 में जब ट्रिपल तलाक़ क़ानून को लेकर संघर्ष छिड़ा था. तभी उनके ख़िलाफ एक फ़तवा जारी हुआ था, जिसमें कहा गया था-निदा ख़ान मर जाएं तो उन्हें दफ्नाने के लिए क़ब्रिस्तान में दो ग़ज ज़मीन न दी जाए. इस सोशल बॉयकॉट का व्यापक असर देखने को मिला था जो आज तक जारी है. अब निदा ख़ान अधिकारिक तौर पर भारतीय जनता पार्टी से जुड़ गई हैं. (Nida Khan Shiran Raza)


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