बाराबंकी : मस्जिद ढहाए जाने के बाद से मुसलमानों में दहशत, पुलिस के डर से कईयों ने छोड़ा घर, एडीजी से मिला दरगाह आला हजरत का प्रतिनिधि मंडल

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बाराबंकी में गरीब नवाज मस्जिद ढहाए जाने के बाद स्थानीय मुसलमानों पर कार्रवाई भी की गई है. इसी को लेकर दरगाह आला हजरत का एक प्रतिनिधि मंडल मंगलवार को ADG से मिला.

यूपी : गरीब नवाज मस्जिद ढहाए जाने के बाद से रामसनेही घाट का मंजर अलग है. आम मुसलमान, जो बेखौफ अंदाज में रहते आए हैं. उनमें असुरक्षा का भाव है. पुलिस का डर भी. जिस इलाके में मस्जिद आबाद थी, जो अब ध्वस्त हो चुकी है. सुरक्षा के मद्देनजर पूरे क्षेत्र में पुलिस का जबरदस्त पहरा है. पुलिस ने करीब 60-70 अज्ञात और नामजद के खिलाफ केस दर्ज कर रखा है. इस कारण लोग डर से पलायन कर रहे हैं.

दरगाह आला हजरत से बाराबंकी के रामसनेही घाट पहुंचे प्रतिनिधि मंडल को स्थानीय लोगों ने ये जानकारी दी. ये कहते हुए कि करीब दर्जनभर से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. लेकिन कई अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है. इससे लोगों में ज्यादा चिंता और डर है. इसलिए वे अपने घरों को छोड़कर नाते-रिश्तेदारी या दूसरी जगहों पर चले गए हैं.

पिछले दिनों प्रशासन ने रामसनेही घाट में करीब 100 साल से आबाद गरीब नवाज मस्जिद को ढहा दिया था. इस तर्क के साथ कि मस्जिद का निर्माण अवैध है. हालांकि ये मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित है. और अदालत में मामला सुने जाने से पहले प्रशासनिक कार्रवाई पर सवाल खड़े हो रहे हैं.


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मस्जिद ढहाए जाने को लेकर विवाद भी हुआ था. पुलिस-प्रशासन का दावा है कि स्थानीय लोगों ने पत्थरबाजी की थी. इसीलिए उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया है. दरगाह आला हजरत के प्रतिनिधि मंडल में शामिल मौलाना शहाबुद्दीन रजवी के मुताबिक लोग डर की वजह से पलायन कर रहे हैं. ये चिंता का विषय है.

मंगलवार को हमारे प्रतिनिधि मंडल ने डीजीपी को संबोधित मांग पत्र लखनऊ के एडीजी को सौंपा है. उन्होंने आश्वस्त किया है कि किसी के विरुद्ध गलत कार्रवाई नहीं होगी. जल्द ही आला अधिकारी भी बाराबंकी का दौरा करने जाएंगे.

सुब्हानी मियां ने भेजा था प्रतिनिधि मंडल

दरगाह आला हजरत के प्रमुख मौलाना सुब्हानी मियां और सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने मौलाना शहाबुद्दीन रजवी के निर्देशन में एक प्रतिनिधिमंडल बारांबकी भेजा था. सोमवार को मौलाना ने मस्जिद प्रबंधन और स्थानीय उलमा के साथ बातचीत कर पूरा मामला समझा.

जिसमें मस्जिद प्रबंधन से जुड़े सदस्यों ने मौलाना को मस्जिद भूमि से जुड़े दस्तावेज दिखाए. मंगलवार को मौलाना लखनऊ पहुंचे. और एडीजी से मिले. इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक अधिवक्ता से मुलाकात कर कानूनी राय ली. मौलाना ने कहा कि राज्य सरकार के कुछ और प्रमुख जिम्मेदारों से मिलने का प्रयास है. दरगाह की मांग है कि शासन-प्रशासन मस्जिद को दोबारा तामीर कराए.


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दरगाह से जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि प्रतिनिधि मंडल ने रामसनेही घाट के स्थानीय लोगों से बात की, तो उनके अंदर खौफ का आलम नजर आया. लोगों ने बताया कि पुलिस-प्रशासन उनका उत्पीड़न कर रहा है. जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध मुकदमे लिखे गए हैं, तो किसी को मुकदमे का डर दिखाकर चुप कराया जा रहा है. मौलाना ने एडीजी एसएन सावंत के समक्ष ये सारी बातें रखीं. एडीजी ने कहा कि पंचायत चुनाव की शपथ के बाद वह स्वयं क्षेत्र में जाकर लोगों से संवाद करेंगे.

अदालत से ही निकलेगा हल, नया मुकदमा करेेगी कमेटी

मस्जिद की भूमि को लेकर एक मामला पहले से इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित है, जिस पर सुनवाई से पहले मस्जिद गिरा दी गई. इसको लेकर मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बताते हैं कि मस्जिद गिराने का मामला नए सिरे से न्यायालय के संज्ञान में लाया जाएगा. चूंकि मस्जिद 1963 से वक्फ में पंजीकृत है. और राजस्व अभिलेखों में भी है. इसलिए हमारा पक्ष मजबूत है. और पूरी ताकत के साथ न्यायिक लड़ाई लड़ी जाएगी.

दरगाह के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी के मुताबिक प्रतिनिधि मंडल ने बाराबंकी के दौरे के बाद लखनऊ में एडीजी से मुलाकात की है. प्रतिनिधि मंडल सभी बिंदुओं पर अपनी रिपोर्ट देगा.

चूंकि इस मामले में स्थानीय प्रशासन के विरुद्ध कार्रवाई की मांग उठ रही है. लेकिन शासन इन आवाजों को नजरंदाज कर रहा है. इसकी वजह ये बताई जा रही है कि शासन और प्रशासन दोनों ये मानते हैं कि मस्जिद का निर्माण अवैध था. इस बुनियाद पर शासन-प्रशासन की ओर से मस्जिद दोबारा तामीर कराए जाने की संभावना कम है. अब जो फैसला होगा. वो कोर्ट से ही होगा. और कोर्ट से ही सारी उम्मीदें हैं.

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