37वां बामसेफ (बैकवर्ड एंड माइनाॅरिटी कम्युनिटीज एंप्लॉयीज फेडरेशन) व राष्ट्रीय मूलनिवासी संघ और 10वां भारत मुक्ति मोर्चा का राष्ट्रीय अधिवेशन इस बार ऑनलाइन होगा। चार दिवसीय अधिवेशन बामसेफ के वामन मेश्राम फेसबुक पेज पर 25 से 29 दिसंबर के बीच लाइव चलेगा।
इस सिलसिले में बामसेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम ने वीडियो जारी करके मुद्दे स्पष्ट किए हैं।
वीडियो में उन्होंने बताया है कि सेंट्रल यूनिट ने बड़े पैमाने पर अधिवेशन की तैयारी है। अधिवेशन के मुद्दों पर मौजूदा ज्वलंत समस्याओं का जिक्र भी किया है। उनका कहना है कि अब शासक वर्ग ने किसानों को गुलाम बनाने काे टारगेट किया है, किसानों के विरोध में कानून बनाए गए हैं, ये जमीन से बेदखल करने का षड्यंत्र है। न्यूनतम समर्थन मूल्य मौखिक आश्वासन है, इसके पीछे गहरा षडयंत्र है, ये कृषि को उद्योगपतियों को सौंपने का मामला है, हमारे लोगों को खबरदार होना जरूरी है।
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फिर उन्होंने कहा, लॉकडाउन जैसी घटना आजाद भारत में पहले कभी नहीं हुई। इसी दौरान मजदूर विरोधी कानून बनाए गए, मजदूरों के नाम पर उद्योगपतियों के अधिकार बहाल कर दिए गए, रखो और निकालो का अधिकार कानूनी हो गया, वहीं यूनियनों के भी अधिकार सीज कर दिए।
वामन मेश्राम ने आगे कहा, दिल्ली दंगों में मुसलमानों को ही दोषी ठहरा दिया, ये गंभीर बात है। दिल्ली सरकार के पास पुलिस नहीं है, पुलिस भाजपा के पास है, अमित शाह के पास है। वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि कानून के अनुसार पुलिस का आचरण सही नहीं है, कानून के राज का उल्लंघन किया है।
एनपीआर एआरसी में वो लोग विदेशी होने का निर्णय कर रहे हैं, जो खुद विदेशी हैं। जबकि 1955 का कानून किसी को नागरिकता देने के लिए पर्याप्त है, ये भयंकर सजिश है।
उन्होंने आगे कहा, कोरोना वायरस के हमले में स्पष्ट हो गया कि स्वास्थ्य सुविधा का ढांचा बर्बाद किया गया, जिससे हालात बिगड़े। इसी तक बेरोजगारी का आलम देखें, इतनी बेरोजगारी पहले कभी नहीं थी, जबकि जिम्मेदार लोग हिंदू मुसलमान के मामले को बढ़ावा देते रहे इसी दौरान, ये भयंकर मामला है।
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उन्होंने कहा, अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दी गई, कोरोना से पहले ही अर्थव्यवस्था ने निगेटिव रुख पकड़ लिया था। ऐसा सरकार की नीतियों से हुआ, दो तीन उद्योगपतियों का फेवर किया गया, ये आंकड़ों से प्रमािणत हो चुका है।
बामसेफ अध्यक्ष ने कहा, सरकार चलाने वालों को डर नहीं, क्योंकि ईवीएम है। इसके विरोध में देशव्यापी आंदोलन की जरूरत है। इसके लिए बामसेफ ने साढ़े छह लाख गांवों तक लोगों को जागरुक करने के लिए एक लाख एक हजार सेंटर बनाने का लक्ष्य लिया है। हम विशाल आंदोलन के लिए प्रतिबद्ध हैं।