द लीडर : आला हज़रत के उर्से रज़वी के कुल की तारीख़ 23 सितंबर है. जुमे का दिन है. नमाज़ और कुल की टाइमिंग काफ़ी क़रीब है. इसको लेकर दरगाह के सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी-अहसन मियां ने शहर की मस्जिदों के इमाम और मुतावल्ली से एक अपील की है. वो ये कि सभी मस्जिदों में जुमे की नमाज़ का वक़्त एक बजे मुक़र्रर कर लें. चूंकि दोपहर 2:38 बजे कुल होगा. तो नमाज़ के बाद अक़ीदतमंद कुल में भी हाज़िर हो सकेंगे. (Ala Hazrat Urs 2022)
आला हज़रत का उर्स बरेली के इस्लामिया मैदान में मनाया जाता है, जो उर्स का प्रमुख मंच है. परचम कुशाई से लेकर तक़रीर, कुल की रस्मअदायगी तक, यहीं होती है. जुमे का रोज़ है, और मस्जिदों में नमाज़ की टाइमिंग अलग-अलग. इसीलिए टाइम एडजस्ट करने की कोशिश की जा रही है. इसका फ़ायदा ये होगा कि एक बजे नमाज़ अदा करने के बाद अक़ीदतमंद कुल में भी शरीक हो सकेंगे.
दरगाह के मुफ़्ती सलीम नूरी के मुताबिक, आला हज़रत दरगाह पर सबसे आख़िर में 4 बजे जुमे की नमाज़ अदा की जाएगी. जो लोग एक बजे जुमे की नमाज़ अदा नहीं कर पाएंगे वे रज़ा मस्जिद में नमाज़ अदा कर सकेंगे.
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दरगाह के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी के मुताबिक, दरगाह और उर्स स्थल पर तैयारियां ज़ोरशोर से जारी हैं. उर्स में चार दिन बाक़ी हैं. ज़ायरीन का आना शुरू हो चुका है. दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हान रज़ा ख़ान-सुब्हानी मियां की ओर से दरगाह को सजाने-संवारने का काम कराया जा रहा है. (Ala Hazrat Urs 2022)
इस्लामिया मैदान में भी टैंट लगाने और साफ़-सफ़ाई का काम चल रहा है. इस्लामिया में दरगाह के बुज़ुर्गों के लिए भव्य पंडाल के बीच स्टेज सजाया जाता है. इसकी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.
नगर निगम की ओर से अस्थायी शौचालय, वुजू के लिए पानी की टोंटी लगाने और सफ़ाई आदि काम कराए जा रहे हैं. तो सुरक्षा व्यवस्था और दूसरे बिंदुओं पर ज़िला प्रशासन और पुलिस प्रशासन भी जुटा है.
चूंकि बरेली का ये सबसे बड़ा आयोजन होता है, जिसमें लाखों की तादाद में देश-दुनिया से अक़ीदतमंद पहुंचते हैं. मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि तैयारियां अच्छी तरीक़े से चल रही हैं. ज़ायरीन के लिए हमेशा की तरह इस बार भी बेहतर बंदोवस्त किए जाएंगे. (Ala Hazrat Urs 2022)