तालिबान इस बार अलग तरीके से हुकूमत करने की बात कर रहा है, इस बीच आतंकी संगठन उन पर इस्लाम के नाम पर कसीदे पढ़कर रिश्ते जोड़ने की कोशिश में जुट गए हैं। इस कड़ी में अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला कर चुके अल कायदा ने तालिबान को बधाई पत्र भेजने के साथ कश्मीर और फिलिस्तीन पर नजर गड़ा दी है।
अफगानिस्तान में 20 साल तक अमेरिका और नाटो सेनाओं के युद्ध की बड़ी वजह अलकायदा ही रहा है, जब ओसामा बिन लादेन की अगुवाई में ट्विन टॉवर पर हमला किया गया। इसके बाद अमेरिका को पलट हमले का मौका मिला। अमेरिका के शील कमांडो ने 2011 में पाकिस्तान में अल कायदा प्रमुख लादेन को मौत के घाट उतार दिया। अब, जब अमेरिका वहां से वापस चला गया तो अल कायदा ने अमेरिकियों को हराने के लिए तालिबान को बधाई संदेश भेजा है।
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सोशल मीडिया पर मुहैया कराए गए एक पत्र में, अल कायदा समूह ने कहा कि यह “तीसरी बार है कि अफगान राष्ट्र ने दो शताब्दियों के बीच बहुत कम समय में एक और हमलावर ताकत को निकालकर बाहर कर दिया।
अलकायदा के इस बधाई संदेश में कश्मीर का भी जिक्र है। कहा है, तालिबान ने “दुश्मन के चंगुल से” इस्लामी भूमि की मुक्ति के लिए सोमालिया, यमन, कश्मीर को प्रोत्साहित किया है। साथ ही यह भी कहा है कि तालिबान की जीत फिलिस्तीन की मुक्ति की ”प्रस्तावना” है, अफगानिस्तान के नए असली हुक्मरानों को ”संघर्ष के अगले चरण के लिए” तैयार होना चाहिए।
अलकायदा ने शरिया कानून के आधार पर नीतियों को अपनाने का आह्वान करते हुए कहा है, “अमेरिका और नाटो की अफगान पराजय पश्चिमी आधिपत्य में काले युग के अंत का प्रतीक है।”
तालिबान को संबोधित पत्र में खासतौर पर तालिबान नेता हिब्बतुल्ला अखुंदजादा का उल्लेख है और तालिबान के दिवंगत संस्थापक मुल्ला मुहम्मद उमर की की तारीफ करते हुए कहा गया है, वे अडिग इरादों वाले थे”।
पत्र में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश पर यह कहते हुए तंज है, “हमें हराने का वादा किया था”। अल-कायदा ने जलालउद्दीन हक्कानी को “मुजाहिदीन के संरक्षक” और “शहीदों के पिता” के रूप में संबोधित करते हुए मुल्ला अख्तर मंसूर को “उग्र, अडिग नेता” के रूप में उल्लेख किया है।
अल कायदा ने पत्र में दावा किया, “घटनाओं ने साबित कर दिया कि जिहाद का एकमात्र तरीका जीत और सशक्तिकरण है।”
आतंकी समूह ने अमेरिका के खिलाफ तीखी टिप्पणी करते हुए दावा किया कि उसकी वैश्विक प्रतिष्ठा “कलंकित” है और “अपमानित करने वाली” है।
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तालिबान लड़ाकों ने 15 अगस्त को काबुल में दाखिल होने के बाद नए बदलाव का स्पष्ट संदेश दे दिया था। उसके बाद अमेरिका ने अपनी वापसी के प्रयास को तेज कर दिया था। काबुल हवाई अड्डे पर निकासी के बीच एक आत्मघाती बम हमला हुआ, जिसकी जिम्मेदारी ISIS-K ने ली। इस हमले में दर्जनों अफगानों सहित 13 अमेरिकी सैनिक भी मारे गए। जवाबी ड्रोन हमले में लगभग दस अफगानी नागरिक हताहत हुए।
अमेरिका ने सोमवार की रात अपनी सैन्य निकासी पूरी कर ली। आखिरी सी -17 मालवाहक विमान आधी रात को अफगानिस्तान से रवाना हुआ, जिसके बाद तालिबान ने जश्न मनाया।