अखाड़ा परिषद कर सकती है शाही स्नान का बहिष्कार

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ज्योति एस, हरिद्वार

तीन बैरागी अखाड़ों को छोड़कर बाकी 10 अखाड़े एक बार सरकार और कुम्भ मेला प्रशासन को तेवर दिखा रहे हैं। अखाड़ा परिषद ने अभी संकेतों में चेतावनी दे दी है और अब मुख्यमंत्री उन्हें मनाने की रणनीति बना रहे हैं।
सन्यासी, उदासीन और निर्मल अखाड़े समेत सभी ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद को अपना मत बता दिया है।
कुंभ मेला क्षेत्र में भूमि आवंटन न किए जाने से अखाड़ा परिषद में भारी नाराजगी है। अखाड़ा परिषद ने उत्तराखंड सरकार और मेला अधिष्ठान को इस मामले में त्वरित कार्रवाई और भूमि आवंटन ना होने पर 12 और 14 अप्रैल के शाही स्नान को लेकर बड़ा निर्णय लेने का संकेत दिया है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत नरेंद्र गिरि ने कहा है कि परिषद और परिषद में शामिल अखाड़े जिन्हें भूमि आवंटन नहीं हुआ है, बेहद नाराज हैं और शाही स्नान को लेकर बड़ा निर्णय ले सकते हैं। स्पष्ट पूछे जाने पर कि क्या अखाड़ा परिषद शाही स्नान के बहिष्कार की सोच रही है? श्री महंत नरेंद्र गिरि ने कहा की फिलवक्त अखाड़ा परिषद में ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है, लेकिन अगर अखाड़ों और अखाड़ा परिषद की बात नहीं मानी गई तो वह इस पर विचार कर सकती है।
बताया जा रहा है कि अखाड़ा परिषद के इस रूख से चिंतित मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत शुक्रवार को हरिद्वार आ रहे हैं । प्रत्यक्ष तौर पर उनका कार्यक्रम एसएमजेएन डिग्री कॉलेज में द्वार के उद्घाटन का है पर वह इस संदर्भ में अखाड़ा परिषद से बातचीत कर उन्हें मनाने की कोशिश करेंगे। अखाड़ा परिषद की मांग है कि तीनों बैरागी ऑणियो की तरह अखाड़ा परिषद में शामिल बाकी के 10 अखाड़ों को भी मेला क्षेत्र गौरी शंकर द्वीप में उनकी आवश्यकता अनुसार भूमि का आवंटन किया जाए । इससे परंपरा का निर्वहन भी होगा और भविष्य में इसे लेकर कोई दिक्कत या परेशानी भी पेश नहीं आएगी। इस मामले में अखाड़ा परिषद की ओर से मेला अधिष्ठान के साथ क्षेत्र का निरीक्षण और दौरा भी किया जा चुका है ।

200 महिला नागा सन्यासी बनीं

श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा की 200 महिलाएं नागा सन्यासी यानी अवधूत आणि के रूप में दीक्षित हो गई और जूना अखाड़े की नागा सन्यासी जमात का हिस्सा बन गई । इन सभी को अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने नागा सन्यासी दीक्षा के दो दिवसीय कार्यक्रम के अंतिम दिन ब्रह्म मुहूर्त में प्रेयर्स मंत्र की दीक्षा दी। इससे पहले इन सभी ने दीक्षा कार्यक्रम के पहले दिन शिखा सूत्र त्याग के साथ मुंडन और अन्य संस्कार पूरे किए। विजया होम के साथ अखाड़े की छावनी में स्थापित धर्म ध्वजा के नीचे पूरी रात मंत्र का जाप किया । भोर में गंगा स्नान करने के बाद सांसारिक वस्त्र का त्याग करने के साथ ही उन्होंने अखाड़े की ओर से मिले ब्रह्मतानी वस्त्र का धारण कर प्रेयर्स मंत्र के साथ अवधूतानी के रूप में अपना नया परिचय पाया |

 

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