द लीडर | दिल्ली की सीमाओं पर बीते 14 महीनों से डटे किसानों ने आंदोलन की समाप्ति का ऐलान कर दिया है। आज शाम से किसान वापस लौटना शुरू कर सकते हैं। सरकार की ओर से मिले नए प्रस्ताव पर किसान संगठनों में सैद्धांतिक सहमति पहले बन गई थी, लेकिन गुरुवार दोपहर को इस पर लंबी चर्चा के बाद फैसला हुआ। इस मीटिंग में किसान संगठनों के 200 से ज्यादा प्रतिनिधि मौजूद थे।
सिंघु बॉर्डर का माहौल भी किसानों की वापसी का संकेत दे रहा है। यहां लोग टेंट हटाने लगे हैं और लंगर आदि का सामान गाड़ियों में रखा जाने लगा है। सिंघु बॉर्डर पर मौजूद कुछ किसानों ने बताया कि 11 दिसंबर से सभी किसानों की वापसी को लेकर फैसला हुआ है। इसके बाद किसान अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में अरदास करेंगे और अपने घरों को पहुंच जाएंगे।
हालांकि, इसका औपचारिक ऐलान अभी बाकी है। इससे पहले, किसानों की लंबित मांगों पर सरकार की तरफ से कृषि सचिव के हस्ताक्षर से चिट्ठी भेजी गई थी। उसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने बैठक की। इससे पहले, संयुक्त किसान मोर्चा की पांच सदस्यीय कमेटी के सदस्य अशोक धावले ने कहा- सरकार की तरफ से मिले नए मसौदे पर आज बैठक में चर्चा की जाएगी। उसके बाद आंदोलन खत्म करने को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से फैसला लिया जाएगा।
The new draft proposal received from the Govt will be discussed in the meeting of Samyukt Kisan Morcha (SKM) today. Accordingly, the SKM will take a decision (regarding withdrawing the agitation): Ashok Dhawale, a member of SKM's five-member committee pic.twitter.com/5Xghlz1vNy
— ANI (@ANI) December 9, 2021
सरकार के प्रस्ताव में क्या?
संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सरकार की ओर से जो नया प्रस्ताव भेजा गया है उसमें सरकार ने MSP पर जो समिति बनाई जाएगी, उसमें संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों को शामिल करने की बात मान ली है। इसके साथ ही सरकार ने ये भी प्रस्ताव में लिखा है कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा की सरकारें किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को तुरंत वापस लेने पर सहमत हो गई हैं। दिल्ली में भी किसानों के ऊपर जो मामले दर्ज हैं, उन्हें वापस ले लिया जाएगा।
सूत्रों ने ये भी बताया कि सरकार के भेजे प्रस्ताव में ये भी साफ किया गया है कि राज्यों से एमएसपी पर फसलों की खरीद में कोई कमी नहीं की जाएगी। सरकार ने ये भी बता दिया है कि जब तक संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के साथ बात नहीं होती तब तक बिजली संशोधन बिल को संसद में पेश नहीं किया जाएगा। सरकार ने ये भी बताया कि पराली जलाने को पहले ही अपराध मुक्त कर दिया गया है।
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दिल्ली-एनसीआर के लाखों लोगों को मिलेगी राहत
किसान आंदोलन वापस होने के बाद दिल्ली-एनसीआर के लाखों को राहत मिलेगी। दिल्ली-एनसीआर के चारों बार्डर (शाहजहांपुर, टीकरी, सिंघु और गाजीपुर) पर बैठे किसान आंदोलन खत्म करेंगे तो लोगों की आवाजाही आसान हो जाएगी।
तीनों कृषि क़ानून वापस
कृषि क़ानूनों के रद्द होने के बाद भी किसान आंदोलन जारी है। प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि जब तक सरकार हमारी बाक़ी मांगें नहीं मान लेती, आंदोलन जारी रहेगा। किसान अब भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी का क़ानून और आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को मुआवज़े की मांग कर रहे हैं। किसान संगठन किसानों पर लगे पुलिस केसों को वापस लिए जाने की भी मांग कर रहे हैं।
किसानों की ये प्रमुख पांच मांगे थीं:
1. संयुक्त किसान मोर्चा कानून बनाने की जिद छोड़ कर कमेटी पर तैयार है लेकिन शर्त है कि कमेटी में किसान प्रतिनिधि के तौर पर केवल एसकेएम के सदस्य ही होने चाहिए। सरकार ने कल प्रस्ताव दिया था कि संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि भी होंगे। बात भी और ही पर अटकी है।
2. सरकार ने कहा कि किसान नेता आंदोलन खत्म करने का एलान करें इसके फौरन बाद हरियाणा, यूपी, दिल्ली में किसानों पर दर्ज मुकदमों को वापस ले लिया जाएगा। हालांकि, किसान नेताओं ने मांग की थी कि सरकार पहले मुकदमे वापस ले।
3. सरकार के मुताबिक मुआवजा देने पर सैद्धांतिक सहमति है। किसान नेता मांग कर रहे थे कि पंजाब मॉडल की तर्ज पर आंदोलन के दौरान मृत किसानों के परिवार के लिए 5 लाख रुपए और सरकारी नौकरी का ऐलान हो।
4. इसके अलावा किसानों द्वारा बिजली संशोधन बिल को वापस लेने की मांग की जा रही थी। इसपर सरकार का कहना था कि संसद में पेश करने सभी पक्षों से चर्चा की जाएगी।
5. पराली कानून पर सरकार कहना था कि पहले ही अपराध का प्रावधान हटा दिया गया है, लेकिन किसान जुर्माने के प्रावधान को भी खत्म करने की मांग कर रहे थे।
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