Omicron Variant : ओमीक्रॉन को लेकर WHO प्रमुख बोले- कोई भी लापरवाही बन सकती है मौत का कारण

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द लीडर। दुनिया में तेजी से फैल रहे कोरोना के नए वैरिएंट ओमीक्रोन को लेकर लोगों में भय का माहौल देखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि, कोरोना वायरस का ये वैरिएंट काफी ज्यादा खतरनाक है। वहीं ओमीक्रोन को लेकर डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एधेनॉम गेब्रियेसस ने कहा है कि, कोविड-19 का ओमीक्रॉन वैरिएंट 57 देशों में फैल चुका है और अब किसी भी तरह की लापरवाही मौतों का कारण बन सकती है। उन्होंने कहा कि, जिनकी मौत नहीं होती उनमें से अधिकांश को लंबे समय तक कोविड-19 से जूझना या कोविड-19 के बाद की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।


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बता दें कि, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 के नए स्वरूप ओमीक्रॉन को लेकर लगातार अपने अपडेट्स दे रहा है। अब तक कोविड-19 के इस नए वैरिएंट को 57 देशों में रिपोर्ट किया गया है। WHO ने कहा है कि, ओमीक्रॉन तेज गति से बढ़ता रहेगा। इसके वैश्विक प्रसार और बड़ी संख्या में उत्परिवर्तन सहित ओमीक्रॉन की कुछ विशेषताएं बताती हैं कि यह महामारी के कोर्स पर एक बड़ा प्रभाव डाल सकता है। यह प्रभाव वास्तव में कैस और क्या होगा यह जानना अभी भी मुश्किल है।

हमें ठोस निष्कर्ष निकालने में सावधानी बरतनी चाहिए- WHO

गौरतलब है कि, ओमीक्रॉन को लेकर हर दिन नए डेटा सामने आ रहे हैं। हालांकि वैज्ञानिकों को इसको ठीक से अध्ययन करने के लिए समय चाहिए। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि, जब तक हमारे पास पूरी तस्वीर सामने नहीं आती, तब तक हमें ठोस निष्कर्ष निकालने में सावधानी बरतनी चाहिए। डब्ल्यूएचओ हर दिन दुनिया भर में हजारों विशेषज्ञों को डेटा साझा करने और विश्लेषण करने और अनुसंधान को आगे बढ़ाने के कार्य में लगा हुआ है। डब्ल्यूएचओ ने अपने जारी बयान में कहा है कि, दक्षिण अफ्रीका में नया वैरिएंट तेजी से फैल रहा है। इसके उभरते हुए आंकड़े बताते हैं कि, ओमीक्रॉन के साथ फिर से संक्रमण का खतरा बढ़ गया है, लेकिन मजबूत निष्कर्ष निकालने के लिए अधिक डेटा की आवश्यकता है। संगठन ने कहा, इस बात के भी कुछ प्रमाण हैं कि, ओमिक्रॉन डेल्टा की तुलना में मामूली बीमारी का कारण बनता है, लेकिन फिर भी, निश्चित होना अभी भी बहुत जल्दी है।


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बता दें कि, कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन का सबसे पहला मामला दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था. WHO ने ओमिक्रॉन (B.1.1.529) को वैरिएंट ऑफ कंसर्न की सूची में डाला है. अब इस वैरिएंट को लेकर एक बड़ी बात सामने आई है. B.1.1.529 वैरिएंट दो वंशों BA.1 और BA.2. में विभाजित हो गया है. वायरोलॉजिस्ट का कहना है कि, ओमिक्रॉन के नए लीनिएज BA.2 के कई मामले दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में मिले हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि ओमिक्रॉन के नए प्रकार का पता लगाना ज्यादा मुश्किल है.ओमिक्रॉन में लगभग 50 से भी ज्यादा म्यूटेशन हैं. ओमिक्रॉन के इन दो वंशों को उनके म्यूटेशन के आधार पर बांटा गया है. इनके कुछ म्यूटेशन दोनों वैरिएंट्स में आम हैं लेकिन कुछ दोनों वंशों में अलग-अलग हैं. दिलचस्प बात यह है कि, वंश (BA.1) में एस-जीन नहीं पाया जाता है जिससे मौजूदा आरटी-पीसीआर के माध्यम से ओमिक्रॉन वैरिएंट को पहचाना जा सकता है. वहीं दूसरे वंश में BA.2 में एस जीन की अनुपस्थिति का पता नहीं चलता है. यानी ओमिक्रॉन के इस नए रूप का पता लगाना और मुश्किल हो सकता है.

बच्चों में ओमिक्रॉन वैरिएंट का खतरा

दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन वैरिएंट की चपेट में आए बच्चों की संख्या ज्यादा है. इनमें हल्के से लेकर गंभीर लक्षण भी देखे जा रहे हैं. यहां के क्रिस हानी बरगवनाथ एकेडमिक हॉस्पिटल की डॉक्टर रूडो मथिवा ने बताया कि, अब यहां जो बच्चे आ रहे हैं उनमें मध्यम से लेकर गंभीर लक्षण देखे जा रहे हैं. इन्हें ऑक्सीजन, सपोर्टिव थेरेपी और ज्यादा दिनों तक अस्पताल में रहने की जरूरत पड़ रही है. वो पहले की तुलना में ज्यादा बीमार हो रहे हैं. अमेरिका के नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) के मुताबिक, बच्चों में कोरोना के नए वैरिएंट के कुछ खास लक्षण देखने को मिल रहे हैं. जैसे कि तेज बुखार, लगातार खांसी आना (एक घंटे तक लगातार), थकान, सिर दर्द, गले में खराश और भूख ना लगना. दक्षिण अफ्रीका के अस्पतालों में कोरोना के युवा मरीजों और बच्चों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. खासतौर से 5 साल के छोटे बच्चों को अस्पताल में भर्ती करने की ज्यादा जरूरत पड़ रही है. इसकी एक वजह ये भी बताई जा रही है कि, वैक्सीन ना लग पाने की वजह से बच्चे इस वैरिएंट की चपेट में आसानी से आ रहे हैं.


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