लैंसेट जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन से पता चला है कि मौजूदा 21वीं सदी के आखिर होने तक पहली बार दुनिया की आबादी घटने वाली है। फिलहाल दुनिया में लगभग 7 अरब 80 करोड़ लोग हैं। अध्ययन ने भविष्यवाणी की है कि वैश्विक जनसंख्या शीर्ष पर 2064 में, लगभग 9 अरब 70 करोड़ होगी और फिर 2100 में घटकर 8 अरब 79 करोड़ हो जाएगी। (Population Decrease In Centuries)
कम जन्म दर और उम्रदराजी बढ़ने से जापान, थाईलैंड, इटली, स्पेन, पुर्तगाल, दक्षिण कोरिया समेत 23 देशों में आबादी 50 प्रतिशत से ज्यादा घट सकती है। चीन जैसे सबसे ज्यादा आबादी वाले देश की जनसंख्या, जो 2017 में 1 अरब 40 करोड़ है, 2100 में 73 करोड़ 20 लाख तक गिरावट हो जाएगी।
जनसंख्या में गिरावट की वैश्विक प्रवृत्ति को ध्यान में रखते हुए अध्ययन ने यह भी अनुमान लगाया है कि दुनिया के कुछ हिस्सों में जनसंख्या संख्या में बढ़ोत्तरी भी होगी। इसमें उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व और उप-सहारा अफ्रीका शामिल हैं। यहां की आबादी का आकार, जो कि 2017 में 1 अरब 3 करोड़ है, उससे बढ़कर 2100 में 3 अरब 7 करोड़ हो जाएगा।
शोध में कहा गया है कि दुनिया में दूसरा सबसे ज्यादा आबादी वाले देश भारत की जनसंख्या 2100 में लगभग 1 अरब 9 करोड़ हो जाएगी। (Population Decrease In Centuries)
इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) में ग्लोबल हेल्थ के प्रमुख व अध्ययन लेखक प्रोफेसर स्टीन एमिल वोलसेट ने IFL साइंस को बताया, “पिछली बार जब वैश्विक जनसंख्या में गिरावट आई थी, तो ब्लैक प्लेग के कारण 14वीं शताब्दी के मध्य में गिरावट आई थी। यदि हमारा पूर्वानुमान सही है, तो यह पहली बार होगा जब जनसंख्या में गिरावट प्रजनन क्षमता में गिरावट की वजह से होगी। यह ट्रेंड महामारी या अकाल जैसी घटनाओं के अलहदा है। ”
अध्ययन बताता है कि लड़कियों की शिक्षा, गर्भनिरोधक तक पहुंच होना प्रजनन क्षमता और जनसंख्या वृद्धि को धीमा कर देगी। (Population Decrease In Centuries)
”एक महिला अपने जीवनकाल में बच्चों की औसत संख्या को जन्म देती है, जो जनसंख्या का सबसे बड़ा निर्धारक है। वैश्विक कुल प्रजनन दर में लगातार गिरावट का अनुमान है, 2017 में 2.37 से घटकर यह दर 2100 में 1.66 तक हो जाएगी, जो कि जनसंख्या को बनाए रखने के लिए आवश्यक न्यूनतम दर (2.1 प्रति महिला स्वस्थ जन्म) से काफी नीचे होगी, “उन्होंने कहा।