जामिया ने क्यों निरस्त कर दिया एक्टिविस्ट और रिसर्च स्कॉलर सफूरा जरगर का एडमिशन

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Activist Safoora Zargar Jamia
जामिया की रिसर्च स्कॉलर सफूरा जरगर. फाइल फोटो

द लीडर : जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ने रिसर्च स्कॉलर और एक्टिविस्ट सफूरा जरगर का एमफ़िल-पीएचडी एडमिशन निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. समाजशात्र विभाग की बोर्ड ऑफ स्टडीज़ ने यूनिवर्सिटी प्रशासन को सफूरा का एडमिशन रद्​द करने का फ़ैसला किया है. इस तर्क के साथ कि शोधार्थी का काम असंतोषजनक है. सफूरा जरगर 2020 के दिल्ली दंगों में गिरफ़्तार हुई थीं. वो नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ शाहीनबाग और जामिया आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक हैं. (Activist Safoora Zargar Jamia)

सफूरा जरगर का एडमिशन निरस्त किए जाने को लेकर कई छात्र संगठन उनके समर्थन में उतर आए हैं. और प्रशासन के इस क़दम की आलोचना की है. इसमें सीएफआई, आइसा, फ्रेटरनिटी मूवमेंट, डीआईएसएसी सहित अन्य स्टूडेंट्स संगठनों ने संयुक्त बयान जारी किया है. जिसमें कहा है कि ये रिसर्च स्कॉलर का अथक उत्पीड़न और अनुचित व्यवहार है-जिसकी निंदा करते हैं.

छात्र संगठनों ने कहा कि एक महिला स्कॉलर के ख़िलाफ प्रतिशोधपूर्ण कार्रवाई हो रही है, जो महामारी के दरम्यान गर्भावस्था से गुज़री हैं. फिर भी उन्होंने अपना फ़ील्ड वर्क किया. सिलेबस की सभी ज़रूरतों को पूरा किया है. उस महिला स्कॉलर की हर तरह से मदद करने के बजाय विभाग और विश्वविद्यालय उनके साथ घृणित व्यवहार और नाइंसाफ़ी भरा क़दम उठा रहा है. हम इसकी कड़े शब्दों में निंदा करते हैं. (Activist Safoora Zargar Jamia)


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सफूरा जरगर जामिया के समाजशास्त्र विभाग के एकीकृत पाठ्यक्रम एमफ़िल-पीएचडी में पंजीकृत हैं. हाल ही में समाजशास्त्र की डिपार्टमेंट की सर्वोच्च बॉडी, बोर्ड ऑफ स्टडीज़ की बैठक में उनका नामांकन रद करने की सिफ़ारिश की गई है. विभाग का कहना है कि सफूरा को पिछले कुछ सालों में कई एक्सटेंशन दिए गए हैं और यूनिवर्सिटी ने उनकी हरसंभव मदद करने की कोशिश की है. लेकिन उनका प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा. उनके एडवाइज़र और रिसर्च एडवाइज़री कमेटी ने उनका एडिमशन रद करने की सिफ़ारिश की है.

इस पर सफूरा जरगर का बयान आया है. उन्होंने कहा कि एमफिल की थीसिस जमा करने के विस्तार के लिए उनका आवेदन आठ महीने से ज़्यादा वक्त के लिए रोक दिया गया है. एक न्यूज़ एजेंसी से बातचीत में कहा कि उन्हें मौखिक रूप से बताया कि गया है कि विस्तार नहीं दिया जा रहा है. सफूरा ने ये डर भी ज़ाहिर किया है कि उनका प्रवेश रद कर दिया जाएगा. ये सरारद ग़लत और भेदभावपूर्ण रवैया है कि कोई भी अधिकारी उन्हें जवाब नहीं दे रहे हैं. मैंने हर किसी से संपर्क किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. इस संबंध में कुलपति प्रोफ़ेसर नजमा अख़्तर को भी पत्र लिखा है. (Activist Safoora Zargar Jamia)


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