द लीडर : कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए एहतियात बतौर मुसलमानों ने रमजान के पहले जुमे को नंगी जमीन पर नमाज अदा की. कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए मस्जिदों से सफ (चटाई, कालीन) हटा दी गईं. वुजू के हाथ व मुंह पोछने के लिए तौलिया भी नहीं लगाई गईं. इस सबके बीच दरगाह आला हजरत के सज्जादानशीन मुफ्ती मुहम्मद अहसन रजा कादरी ने मुल्क से कोरोना के खात्मे की दुआ मांगी. साथ ही रोजेदारों से भी आह्वान किया कि वे रब से गिड़गिड़ाकर गुनाहों की माफी तलब करें. इंशाअल्लाह जल्द ही दुनिया कोरोना से निजात पा लेगी.
दरगाह आला हज़रत के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि बाद नमाज़-ए-जुमा दरगाह के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) ने नमाजियों से कहा कि सहरी खाया करो इसमें बरकत है. यह नबी की सुन्नत है । चंद खजूरें और पानी ही अगर बा नियत सहरी इस्तेमाल कर लें तब भी सुन्नत अदा हो जाएगी. सहरी रोज़े के लिए शर्त नही है. सहरी के बगैर भी रोज़ा हो सकता है.
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कोरोना को लेकर सज्जादानशीन ने कहा कि लगातार दूसरा साल है कि मुसलमान रमज़ान में मुकम्मल तौर से इबादत नहीं कर पा रहा है. हमारे मुल्क में इसका कहर जारी है. लोग मौत के आगोश में समा रहे है और लाखों बीमारी की गिरफ्त में हैं. मुल्क एक बार फिर लॉकडॉउन की तरफ बढ़ रहा है. एक तरफ लोग बीमारी से लड़ रहे हैं. वही दूसरी तरफ करोड़ों लोगों को दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल हो गया है. ऐसे में दुआएं कसरत से मांगे जाने और गुनाहों से तौबा तलब करने की जरूरत है.
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रज़ा फ़ोर्स ने मस्जिदों के बाहर बांटे मास्क
बढ़ते कोरोना केस को देखते हुए रजा फोर्स से जुड़े युवाओं ने शहर की मस्जिदों व मुख्य चौराहों पर लोगों को मास्क वितरण कर सावधानी बरतने की सलाह दी. रज़ा फ़ोर्स प्रभारी यूनुस गद्दी ने बताया कि कोरोना से बचाव के लिए मास्क का लगाना जरूरी है. लोगों को मास्क बांटने और उन्हें वायरस के खतरे से आगाह करने का अभयिान जारी रहेगा.