मुख्तार अंसारी को योगी सरकार से जान का खतरा, कहा- खाने में जहर देकर मरवा देंगे

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द लीडर, लखनऊ। जब योगी सरकार सत्ता में आई थी, तभी सीएम योगी ने उत्तर प्रदेश में माफिया, अपराधियों को अगाह कर दिया था। और चेताया था कि, अब उनकी खैर नहीं होगी। वहीं प्रदेश सरकार ने जब से सत्ता संभाली तब से बड़े अफराधियों में खौफ देखने को मिला है। बता दें कि, बांदा जेल में बंद बाहुबली मुख्तार अंसारी ने अपनी जान को खतरा बताया है। इसके साथ ही उन्होंने योगी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि, योगी सरकार उन्हें खाने में जहर देकर मरवा सकती है। बता दें कि, गुरुवार को बाराबंकी में एमपी, एमएलए कोर्ट से हुई वर्चुअल पेशी में मुख्तार ने यह आरोप लगाया है। मुख्तार ने उच्च श्रेणी सुविधा देने की भी मांग की है।

अब 7 अक्‍टूबर को होगी मामले पर सुनवाई

वकील ने बताया कि, मुख्तार अंसारी को उच्च श्रेणी की सुविधाएं देने के मामले में सुनवाई के लिए अगली तारीख सात अक्टूबर तय की गई है। उन्होंने बताया कि, न्यायाधीश कमलकांत श्रीवास्तव ने कहा कि, इस मामले में जल्द ही फैसला दिया जाएगा। इससे पहले अगस्त में सुनवाई के दौरान अंसारी ने आरोप लगाया था कि, जेल के अंदर उसकी हत्या के लिए पांच लाख रुपये की सुपारी दी गई है। अंसारी को पंजाब में अदालत और जेल के बीच लाने-ले जाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली बुलेटप्रूफ एम्बुलेंस के पंजीकरण में कथित जालसाजी और धोखाधड़ी के मामले में अदालत में पेश किया गया था। पंजाब की रोपड़ जेल से लाए जाने के बाद अंसारी कई आपराधिक मामलों में विचाराधीन कैदी के रूप में बांदा जेल में बंद है।


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बता दें कि, गुरुवार को एमपी-एमएलए कोर्ट के जज कमलकांत श्रीवास्तव के सामने वर्चुवल सुनवाई शुरू हुई तो मुख्तार अंसारी के अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन ने जेल मैनुअल पैरा -287 के तहत उच्च श्रेणी मुहैया कराने की अर्जी दी। बांदा जेल से वर्चुअल पेश हुए मुख्तार अंसारी ने कोर्ट से कहा कि, विधायक होने के नाते मुझे उच्च श्रेणी मुहैया करवा दीजिए। वैसे भी मुझसे राज्य सरकार नाराज है, कहीं खाने में जहर न मिलवा दे। मुख्तार अंसारी ने कहा कि, अगर उसे जेल में उच्च श्रेणी मिल जाती है तो उसके मन से डर खत्म हो जाएगा। मुख्तार के अधिवक्ता ने बताया कि, जेल मैनुअल की पैरा -287 के तहत उच्च श्रेणी मुहैया करवाने की अर्जी दी थी।

इस मामले में दर्ज है मुख्तार अंसारी पर केस

बाराबंकी के एआरटीओ कार्यालय में फर्जी प्रपत्र के आधार पर पंजीकृत एंबुलेंस के मामले में बीते दो अप्रैल को शहर कोतवाली में केस दर्ज किया गया था। पंजाब में पेशी के दौरान एंबुलेंस इस्तेमाल करने का मामला सामने आने पर यह कार्रवाई हुई थी। इसमें मऊ जिले की चिकित्सक समेत आठ लोग जेल जा चुके है। जबकि केस में मुख्तार अंसारी भी आरोपी है। इसी के चलते यहां से वर्चुअल माध्यम से मुख्तार की लगातार पेशी हो रही है। इससे पहले भी कई बार मुख्तार पेशी के दौरान खुद की जान का खतरा जता चुका है।


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कौन है बाहुबली मुख्तार अंसारी ?

मुख्तार अंसारी का जन्म गाजीपुर के युसूफपुर गांव में हुआ था, राजनीति और नाम मुख्तार को उनके परिवार से मिली थी. मुख्तार अंसारी के दादा मुख्तार अहमद अंसारी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके हैं. मुख्तार के नाना भारतीय सेना में ब्रिगेडियर थे और कई लड़ाईयों में इनका योगदान रहा है जिस कारण इन्हें सेना के कई सर्वोच्च सम्मानों से नवाजा जा चुका है. मुख्तार के पिता मऊ जिले के चर्चित कम्युनिष्ट नेता था. कहते हैं कि, मुख्तार के पिता के सम्मान में उनके खिलाफ चुनाव में कोई भी खड़ा नहीं होता था.

खुद मुख्तार ने अपनी पढ़ाई राजकीय सिटी इंटर कॉलेज, और पीजी कॉलेज गाजीपुर से की थी. क्रिकेट और बंदूक से निशानेबाजी के शौकीन और माहिर खिलाड़ी मुख्तार अंसारी के लिए गाजीपुर अब छोटा पड़ने लगा था. ऐसे में उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति के रास्ते साल 1996 में बसपा के टिकट पर मऊ से चुनाव लड़ा और विधायक चुन लिए गए. मुख्तार के दो भाई अफजाल अंसारी और शिबगतुल्ला अंसारी पहले से ही राजनीति में थे.

बता दें कि, मुख्तार अंसारी पर देश के कई राज्यों में 40 से अधिक मामले दर्ज हैं. जेल रहते हुए भी मुख्तार अंसारी का सिक्का पूरे पूर्वांचल में चलता है. जेल में रहते हुए मुख्तार के परिवार व उनके करीबी लोग चुनाव जीत जाते हैं. कहते हैं मुख्तार के वर्चस्व के कारण उनके करीबी हमेशा चुनाव जीतते हैं. मुख्तार अंसारी पर भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का आरोप भी है.


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अपराध की दुनिया में मुख्तार अंसारी की कैसे हुई एंट्री ?

साल 1988 में पहली बार मुख्तार अंसारी का नाम एक हत्या के मामले में आता है. गाजीपुर जिले में एक जमीन के सिलसिले में सच्चिदानंद राय की हत्या कर दी जाती है. इस हत्या में आरोप मुख्तार अंसारी पर लगाए जाते हैं. यह पहली बार था जब मुख्तार अंसारी का नाम किसी संगीन अपराध के साथ जुड़ता है. हालांकि पुलिस इस मामले में कोई सबूत न जुटा सकी और मुख्तार अंसारी पर दोष साबित न हो सका. लेकिन यहां से मुख्तार अंसारी चर्चा में आते हैं और 1990 के दशक में जमीनों पर कब्जे करना, ठेकों पर कब्जे करना मुख्तार व उनके गैंग ने शुरू किया. पूरे पूर्वांचल में इसके बाद मुख्तार के नाम की तूती बोलने लगी. लेकिन मुख्तार के रास्ते का सबसे बड़ा कांटा बृजेश भी उतनी ही तेजी से पूर्वांचल में आगे बढ़ता है जितना की खुद मुख्तार. पूर्वांचल की समझ रखने वालों की माने तो मुख्तार का अपराध की दुनिया में आना कोई मजबूरी नहीं बल्कि एक सोची समझी करियर मूव थी.


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