- देश के 32 बच्चे सम्मानित
- प्रधानमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंंग के जरिये दी बधाई
- मंत्रा स्पेशल ओलंंपिक्स के विजेता रहे हैं
- देश के यंग अचीवर, जिन्हें मिला सम्मान
देश के विभिन्न क्षेत्रों में नाम रौशन करने वाले 32 बच्चों को सोमवार को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरूस्कार से नवाजा गया है. राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इन बच्चों को मेडल, सर्टिफिकेट और एक लाख की धनराशि दी प्रदान की. वहींं, प्रधानमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए विजेताओं से संवाद कर उन्हे बधाई दी. ये पुरस्कार शिक्षा, कला, डिजाइन, बहादुरी, संस्कृति, इनोवेशन, रिसर्च, समाजिक कार्य और खेल में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले 18 वर्ष या उससे कम आयु तक के बच्चों को दिया जाता है.
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इन्हीं 32 होनहारों में एक नाम है मंत्रा जितेंद्र हरखाानी. जो स्पेशल बच्चों के लिए प्रेरणा बनकर सामने आए हैं. इन्हें स्पोर्ट्स में राष्ट्रीय बाल पुरस्कार मिला है. डाउन सिंड्रोम से पीड़ित मंत्रा ने बीमारी को कमजोरी नहीं बनाया, बल्कि उससे जूझते हुए इस मुकाम तक पहुंचे हैं. साल 2019 में स्पेशल ओलंपिक में 50 मीटर तैराकी में उन्होंने दो गोल्ड मेडल झटके थे. आठ साल की उम्र से ही वो तैराकी का अभ्यास कर रहे हैं. उनकी इस कामयाबी के पीछे मां-बीजल और पिता जितेंद्र हरखानी की कड़ी मेहनत भी छिपी है.
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आसान नहीं था बेटे को हौसला देना
राजकोट के रहने हरखानी दंपति के लिए आसान नहीं था कि इकलौते बेटे को इस हालत में तैराकी सिखाएं. इसके बावजूद उन्होंने साहस दिखाया. रजकोट में आयोजित स्पेशल किड्स तैराकी प्रतियोगिता में मंत्रा को प्रतिभाग कराया है. यहीं से मंत्रा की नई दुनिया शुरू हुई.
मंत्रा के पिता बताते हैं कि बेटे की ट्रेनिंग के लिए मुझे अपनी नौकरी भी छोड़नी पड़ गई. उनकी पढ़ाई के लिए विशेष स्कूल भी तलाशना पड़ा. कोच विपुल भट्ट के मुताबिक शुरुआती प्रशिक्षण में काफी मुश्किलें आईं. हालांकि मंत्रा के जज्बे के आगे वे नहीं टिक पाईं. खास बात ये है कि ओलंपिक में गोल्ड जीतने के बाद मंत्रा की दिली ख्वाहिश थी कि वो प्रधानमंत्री से मिलें.
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