बेहद घातक है कोरोना का ये रूप, एक घर में 64% ज्यादा तेजी से फैलता है वैरिएंट 

द लीडर हिंदी, हैदराबाद। कोरोना की दूसरी लहर में एक घर में रहने वाले ज्यादा लोग कोरोना की चपेट आए हैं। यानी अगर घर का कोई सदस्य कोरोना संक्रमित हुआ, तो परिवार के ज्यादातर सदस्य भी संक्रमण की चपेट में आने से खुद को बचा नहीं पाए।

अक्टूबर 2020 में भारत आया ये वैरिएंट

इस संक्रमण पीछे की वजह कोरोना डेल्टा वैरिएंट (B.1.617.2) को बताया गया है। यह वैरिएंट अक्टूबर 2020 में सबसे पहले भारत में ही पाया गया था।

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एक रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन सरकार का हेल्थ संगठन पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (PHE) ने इस पर एक स्टडी की है। स्टडी के मुताबिक, हाउसहोल्ड सेटिंग्स यानी घर में एक साथ रह रहे लोगों में B.1.1.7 की तुलना में B.1.617.2 वैरिएंट ज्यादा तेजी से फैलता है।

एक घर में 64% ज्यादा तेजी से फैलता है वैरिएंट 

स्टडी से पता चलता है कि सबसे पहले ब्रिटेन पाए गए अल्फा वैरिएंट की तुलना में डेल्टा वैरिएंट एक घर में 64% ज्यादा तेजी से फैलता है।

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डेल्टा वैरिएंट ज्यादा खतरनाक

शुक्रवार को जारी स्टडी में कहा गया कि, कुल मिलाकर हमने घर में साथ रहने वाले परिवारों के बीच B.1.1.7 की तुलना में B.1.617.2 को ज्यादा संक्रामक पाया। इस स्टडी के जरिए डेल्टा वैरिएंट के ज्यादा संक्रामक होने के सबूत मिले हैं।

भारत में दूसरी लहर के पीछे डेल्टा वैरिएंट

रिसर्चर्स के मुताबिक, डेल्टा वैरिएंट की वजह से ही भारत में कोरोनाा की दूसरी लहर इतनी खतरनाक हुई। दक्षिण भारत के कई राज्य इस वक्त इस लहर का सामना कर रहे हैं। कोरोना के अन्य वैरिएंट की वजह से एक घर में एक ही व्यक्ति संक्रमित हो रहा था, जबकि डेल्टा वैरिएंट ने परिवार में एक से ज्यादा लोग को संक्रमित किया।

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स्टडी के मुताबिक, हाउसहोल्ड सेटिंग में अल्फा वैरिएंट (B.1.17) की तुलना में डेल्टा वैरिएंट ज्यादा तेजी फैसला है। अल्फा वैरिएंट सबसे पहले ब्रिटेन में पाया गया था। हालांकि, दोनों ही वैरिएंट को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने वैरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित किया था।

भारत में डेल्टा वैरिएंट से 1.80 लाख मौतें

1- भारत में दूसरी लहर 11 फरवरी से शुरू हुई थी और अप्रैल में भयावह हो गई थी। एक स्टडी में देश में कोरोना का वैरिएंट डेल्टा सुपर इन्फेक्शियस मिला है, जो दूसरी लहर के दौरान काफी तेजी से फैला। इसने ही भारत में 1.80 लाख से ज्यादा लोगों की जान ली है। इस वैरिएंट पर एंटीबॉडी या वैक्सीन कारगर है या नहीं, यह पक्के तौर पर नहीं पता।

2- WHO का कहना है कि डेल्टा वैरिएंट पर वैक्सीन की इफेक्टिवनेस, दवाएं कितनी प्रभावी हैं, इस पर कुछ नहीं कह सकते। यह भी नहीं पता कि इसकी वजह से रीइन्फेक्शन का खतरा कितना है। शुरुआती नतीजे कहते हैं कि कोविड-19 के ट्रीटमेंट में इस्तेमाल होने वाली एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की इफेक्टिवनेस कम हुई है।

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indra yadav

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