फिलिस्तीनियों को शेख जर्राह से बेदखल करने, अल अक्सा मस्जिद में इजरायली हमले के खिलाफ ओआइसी ने मंगलवार को बुलाई आपात बैठक

द लीडर : फिलिस्तीन के शेख जर्राह में आबाद फिलिस्तीनी नागरिकों को बलपूर्वक उनके घरों से बेदखल करने की इजरायली सैनिकों की क्रूरता की दुनिया भर में आलोचना हो रही है. शुक्रवार को इजरायली सैनिकों ने मुसलमानों की सबसे पवित्र मस्जिदों में शुमार अल अक्सा के अंदर घुसकर नमाजियों पर हिंसक कार्रवाई की थी. इजरायल की इस नापाक हरकत के खिलाफ भारतीय मुसलमानों में आक्रोश है. और ट्वीटर पर #IndiaStandsWithPalestine हैशटैग के साथ इजरायल की कार्रवाई का विरोध किया जा रहा है. (OIC Emergency Meeting Tuesday Against Israeli Attack Al Aqsa-mosque )

इजरायल की कार्रवाई के खिलाफ दुनिया भर में बढ़ते आक्रोश और फिलिस्तीन के अनुरोध पर ऑग्रेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) ने मंगलवार-11 मई को स्थायी प्रतिनिधियों की एक आपात बैठक बुलाई है. जिसमें अल कुद्दूस में इजरायल की बढ़ती आक्रामकता और शेख जर्राह में आबाद फिलिस्तीनियों को जबरन उनके घरों से बेदखल किए जाने की कोशिशों पर चर्चा की होगी.

खासतौर से अल अक्सा मस्जिद और वहां मौजूद नमाजियों पर इजरायली सेना के हमले पर भी बातचीत होगी. ओआइसी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि इस्लाम और इसाई धर्म स्थलों और उनके अनुयायियों को प्रार्थना से रोकने की इजरायली कोशिशों पर भी चर्चा की जाएगी. ये इजरायल की एक तरह से कानूनी, ऐतिहासिक और भौगोलिक परिस्थिति को बदलने की कोशिश है. वो फिलिस्तीनी और अन्य को आइसोलेट करना चाहता है.


अल अक्सा मस्जिद में नमाज के दौरान इजरायली सैनिकों ने फिलिस्तीनियों पर दागे रबड़ के गोले, 180 नमाजी जख्मी


 

सोमवार को येरुशल दिवस पर इजरायल के युवाओं ने फिलिस्तीन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए मार्च निकाला. ये मार्च पूर्वी येरुशल के पुराने शहर तक जाएगा, जिसमें हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ बताई जा रही है. मिडिल ईस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस दिन इजरायली एकजुटता का प्रदर्शन करते हैं. (OIC Emergency Meeting Tuesday Against Israeli Attack Al Aqsa-mosque )

वहीं, इजरायल के इस कदम से दुनिया भर में उसका विरोध बढ़ गया है. और ये कहा जा रहा है कि इजरायल अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन कर रहा है. उसे बस्तियों को आबाद रखना चाहिए. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से भी ये मांग हो रही है.

डेली आवाज के मैनेजिंग एडिएटर शोएब गाजी की एक पोस्ट के मुताबिक इजरायल पर ओआइसी की कार्रवाई का बहुत असर नहीं होगा. वे इसके समर्थन में कुछ ऐतिहासिक तथ्य रखकर समझाते हैं. अपनी पोस्ट में लिखते हैं, इसरायल का कयाम अरबों के लिए एक नाकामयाबी का दिन था. ये वो दाग था जो अरबों की शुजाअत को हमेशा मलील करता रहेगा. अरबों ने इजरायल से एक जंग लड़ी थी. जिसे Six Day War या Third Arab Israel War भी कहते हैं.


फिलिस्तीन : अल अक्सा मस्जिद में इजरायली सैनिकों की बर्बरता के बाद भी नमाज को जुटे सैकड़ों फिलिस्तीनी नागरिक


 

ये जंग इजरायल बनाम मिस्र, जाॅर्डन, सीरिया, इराक-जिसे उस वक्त United Arab Republic (संयुक्त अरब गणराज्य) भी कहा जाता था-इनके बीच लड़ी गई थी. इस जंग में इजरायल ने मिस्र की लगभग 80 प्रतिशत वायु सेना और एयर बेस नष्ट कर दिये थे. Gaza Strip Sinai Peninsula And Golan hights West Bank पर इजरायल ने पूरी तरह अपना कब्जा हजमा लिया था.

इस जंग में दोनो फ़रीक़ेन की अगर बराबरी की जाए तो इजरायल के मुक़ाबले अरब रिपब्लिक कहीं ज़्यादा ताकतवर और मजबूत थे. इनकी सेना भी इजरायल से बड़ी थी. लेकिन फिर भी नाकामी इनका मुक़द्दर रही. इस जंग मे इजरायल के लगभग 800 फौजी हलाक हुए थे. और करीब 4000 के लगभग घायल हुए थे. 15 फौजी गिरफ्तार हुए थे और 400 टैंक, 46 एयरक्राफ्ट तबाह हुए थे. (OIC Emergency Meeting Tuesday Against Israeli Attack Al Aqsa-mosque )

इसके उलट इस जंग में मिस्र के 15000 फौजी मारे गए थे 4500 गिरफ्तार हुए. जॉर्डन के 700 फौजी मारे गए 500 गिरफ्तार हुए. सीरीया के 2500 फौजी मारे गए और 600 गिरफ्तार हुए. इराक़ के 10 फौजी मारे गए और 30 घायल हुए. लेबनान का एक एयरक्राफ्ट तबाह हुआ, साथ ही 450 ये ज़यादा टैंक और एयरक्राफ्ट नष्ट हुए थे.


दिल्ली दंगा : तिहाड़ जेल में बंद सीएए एक्टिविस्ट और जेएनयू की शोध छात्रा नताशा नरवाल के पिता महावीर नरवाल का कोविड से निधन


 

शोएब गाजी लिखते हैं कि इस जंग के बादा इसरायल हमेशा से अरब वर्ल्ड पर भारी रहा. और इस तरह अरबों से फिलिस्तीनियों का यकीदा उठ गया. वे समझ गए कि अरब उनके मुहाफिज यानी रक्षक नहीं है. इसके बादद ही फिलिस्तीन ने खुद मुख्तार तौर पर इजरायल से एक अघोषित जंग छेड़ दी, जो साधनों और हथियारों के न होने के बावजूद आज तक जारी है. अरब, ईरान दोनों अपने-अपने फिरकों के ठेकेदार तो बनकर बैठ गए, लेकिन फिलिस्तीन के हक में कोई ठोस कदम न उठा सके. सिवाय इसके कि नक्बा डे या कुद्दस दिवस पर लफ्फाजी करने के. (OIC Emergency Meeting Tuesday Against Israeli Attack Al Aqsa-mosque )

दरअसल, इस जंग मे अरबो की नाकामी के पीछे यहूदियों का अपने मुल्क और मज़हब को लेकर जूनून और यक़ीन था. अगर आप उस दौर को थोड़ा बहुत समझना चाहते हैं तो नेटफिलक्स पर उप्लब्ध The Spy वेबसिरीज़ ज़रूर देखें. ताकी आपको पता चले की यहूदी अपने मुल्क और मज़हब के लिये किस हद तक जा सकते हैं.

उन्होंने किस तरह अपने एक ऐजेंट को सीरीया में दाखिल किया और वो मामूली ऐजेंट किस तरह सीरीया के रक्षा मंत्रालय तक पहुंचा. और किस तरह सीरीयन डिफेंस सिस्टम को तबाह किया. हालांकि ऐन व़क्त में इस ऐजेंट को चौराहे पर फांसी दे दी गई. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. वो ऐजेंट अपना टारगेट पूरा कर चुका था. और गोलान हाईट्स पर इजरायल का कब्ज़ा हो चुका था.


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इस जंग की हार का दूसरा पहलू भी है. बेशक उस वक़्त सीरीया एक मजबूत मुल्क था लेकिन मुसलमानो की फ़तह फौजियो की तादाद के बिना पर नहीं बल्की ईमान की ताक़त की बिना पर होती है. उस दौर में सिरीयंस ही नहीं बल्की ज़्यादातर अरब अपना रिवायतों को ताक पर रख कर पश्चिमी सभ्यता की गोद मे खेलना ज़्यादा पसंद कर रहे थे. वहां की औरतें पहनावों से मुसलमान कम ईसाई ज़्यादा लगती थीं. फौजी अफसरों की पार्टियों में शराबनोशी आम थी. बस यही सब उनको मक़सद से भटकाने के लिये काफी था.

एक इसरायली पूर्व प्रधानमंत्री ने अपनी किताब में खुलासा किया था कि जब एक यहूदी ने मस्जिद अक्सा के एक हिस्से को आग के हवाले किया था. तो हम लोग डर गए थे. और सारी रात हमने हमारी आर्मी को अलर्ट पर रखा था. हमें डर था कहीं अरब फौजे मुत्ताहिद-एकजुट होकर हम पर हमला ना कर दें. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. और उसके बाद फिर हमने भी कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा…

Ateeq Khan

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