द लीडर : उत्तर प्रदेश के गांव-कस्बों में एक अफवाह बड़ी तेजी से फैल रही है. वो ये कि राज्य में जो मौतें हो रही हैं. वे 5-जी नेटवर्क के ट्रायल से फैल रहे रेडिएशन के कारण हो रही हैं. कई दिनों से सोशल मीडिया और मौखिक अफवाहों के बेलगाम होने के बाद आखिरकार यूपी पुलिस को आगे आना पड़ा है. राज्य के पुलिस महानिदेशक कार्यालय से एक आदेश जारी हुआ है. जिसमें कहा गया है कि ऐसी अफवाहें फैलाने वालों के खिलाफ फौरन कार्यवाही की जाए.
अपर महानिदेशक कानून व्यवस्था-प्रशांत कुमार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि सोशल मीडिया पर राज्य के कई हिस्सों में ये अफवाह फैल रही है कि 5-जी ट्रायल से रेडिएशन फैल रहा है. और लोगों की मौत हो रही है. कुछ पोस्ट में इटली में काेविड से मरे व्यक्तियों के पोस्टमार्टम के बाद रेडिएशन से मौत होने की बातें फैलाई जा रही हैं.
इसके अलावा बनारस के युक की बिहार से किसी व्यक्ति की बातचीत वायरल हो रही है. जिसमें उसके द्वारा 5-जी टावर के टेस्टिंग से व्यक्तियों के मरने की बात कही जा रही है. ये बातें पूरी तरह से निराधार और तथ्यहीन हैं.
फौजी को यूपी पुलिस ने इतनी क्रूर यातनाएं दीं, सीमा पार का दुश्मन भी ऐसा जुल्म न करता, आरोपी पुलिसवालों पर मामला दर्ज
प्रदेश के फतेहपुर, सिद्धार्थनगर, गोरखपुर और सुल्तानपुर जिलों के गांवों में टावरों को बंद करने या उखाड़ने की धमकी दिए जाने का मामला भी प्रसारित किया जा रहा है. पत्र में कहा गया है कि ऐसे अफवाह फैलाने वालों के विरुद्ध फौरन एक्शन लिया जाए. डीजीपी कार्यालय से राज्य के सभी जिलों की पुलिस से सोशल मीडिया पर नजर बनाए रखने को कहा गया है, ताकि अफवाह फैलाने वालों को ट्रेस कर कार्रवाई की जा सके.
पिछले करीब सप्ताह भर से सोशल मीडिया पर ऐसी पोस्ट और तस्वीरें शेयर की जा रही हैं, जिसमें चिड़ियां मरी पड़ी हैं. इस दावे के साथ कि ये मौतें रेडिएशन से हो रही हैं. कई ऑडियो भी वायरल हो रहे हैं. जिसमें कोरोना संक्रमण को भी 5-जी नेटवर्क ट्रायल से जोड़कर फॉरवर्ड किया जा रहा है.
गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज से छात्र राजनीति शुरू करने वाले हेमंत बिस्वा सरमा होंगे असम के 14वें मुख्यमंत्री
गांवों में हालात ये हैं कि तमाम लोग कोरोना संक्रमण को मानने को ही तैयार नहीं है. और वे मौत, बीमारी को इसी 5-जी नेटवर्क का कारण बता रहे हैं. इससे दो तरह की समस्याएं हैं. पहला कि अफवाह फैलाए जाने से टावरों को नुकसान पहुंचाया जा सकता है. दूसरा, जो लोग संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं और उन्हें इसके होने का यकीन नहीं हो रहा है. उनकी जान को खतरा भी है.