उत्तराखंड में ब्लैक फंगस के 21 रोगी , एक की एम्स में हुई मौत

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द लीडर देहरादून

उत्तराखंड में कोरोनावायरस के साथ ही ब्लैक फंगस के मरीजों में भी इजाफा होने लगा है। एम्स ऋषिकेश में इसके एक मरीज की जान चली गई। प्रदेश में 21 व्यक्तियों में इस बीमारी की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से 11 की उम्र 50 वर्ष से अधिक है।
एम्स ऋषिकेश के निदेशक प्रो. रविकांत ने बताया कि बीते कुछ दिनों में एम्स में 17 मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है। इनमें सात मरीज ऐसे हैं, जो पहले से ब्लैक फंगस से ग्रसित होने के बाद उपचार के लिए आए थे। दस मरीजों को कोरोना संक्रमण के कारण यहां भर्ती किया गया था। उनका शुगर लेवल काफी बढ़ा हुआ था। इनमें ब्लैक फंगस के लक्षण नजर आए तो जांच कराई गई। उन्होंने बताया कि शुक्रवार रात ब्लैक फंगस से एक मरीज की मौत भी हो गई। दस मरीजों की सर्जरी की जा चुकी है और छह की सर्जरी की जानी है। इन 16 मरीजों में 14 कोविड एक्टिव हैं। ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. अमित त्यागी ने बताया कि अस्पताल में भर्ती जिन मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है, उनमें देहरादून से दो, हरिद्वार से तीन, रुड़की से दो, ऋषिकेश, काशीपुर, ऊधम सिंह नगर और अल्मोड़ा से एक-एक मरीज शामिल है। उत्तर प्रदेश के शामली, अलीगढ़, मंडावर, मुरादाबाद और मेरठ के पांच मरीज हैं। सबसे पहले दून के मैक्स में दो मरीज सामने आए फिर एक अल्मोड़ा का केस हल्द्वानी भेजा गया।
सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में सचिव स्वास्थ्य श्री अमित नेगी ने बताया कि म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस की चुनौती से निपटने के लिए भी राज्य सरकार तैयार है। उन्होंने कहा ब्लेक फंगस के लिए आवश्यक दवाओं का प्रबंध किया जा रहा ह।

एम्स ऋषिकेश में ब्लैक फंगस के प्रभावित 17 मरीज मिलने के बाद अस्पताल प्रशासन ने इनके लिए 30 बेड का अलग वार्ड बनाया है। इन सभी मरीजों को वहां शिफ्ट कर दिया गया है। यह वार्ड आइसीयू सुविधा से युक्त है। 12 चिकित्सकों का दल इसके लिए गठित किया गया है। वार्ड के भीतर भी दो पार्ट बनाए गए हैं। इनमें कोरोना संक्रमित और सामान्य मरीजों को अलग-अलग रखा गया है।

आंख चली जाती है

म्यूकोरमाइकोसिस संक्रमण नाक से शुरू होता है और आंखों से लेकर दिमाग तक फैल जाता है। इस फंगस को गले में ही शरीर की एक बड़ी धमनी कैरोटिड आर्टरी मिल जाती है। आर्टरी का एक हिस्सा आंख में रक्त पहुंचाता है। फंगस रक्त में मिलकर आंख तक पहुंचता है। इसी कारण ब्लैक फंगस या ब्लड फंगस से संक्रमित मरीजों की आंख निकालने के मामले सामने आ रहे हैं। गंभीर मामलों में मस्तिष्क भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो सकता है।

लक्षण
गाल की हड्डी में एक तरफ या दोनों दर्द शुरुआती लक्षण है। फिर आंखों पर भी प्रभाव पड़ सकता है। इसके कारण आंखों में सूजन और रोशनी भी कमजोर पड़ सकती है। भूलने की समस्या, न्यूरोलॉजिकल समस्याएं आ सकती हैं।

स्टेरॉयड खतरनाक
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया के मुताबिक डायबिटीज से पीड़ित जिन कोविड​​​​-19 रोगियों को इलाज के दौरान स्टेरॉयड दिया जा रहा है, उनमें म्यूकोर्मिकोसिस या “ब्लैक फंगस” से प्रभावित होने की आशंका अधिक होती है। सभी चिकित्सकों को सलाह दी कि वे केवल और केवल तभी स्टेरॉयड का उपयोग करें जब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कोविड गाइडलाइन के अनुसार आवश्यक हो। इसके साथ ही उन्होंने ऑक्सीजन तथा पेयजल के सही उपयोग पर भी जोर दिया।

सावधानियां
-धूल से बचें। और दस्ताने पहनें।

-कोविड संक्रमित रोगियों में रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी करें।
-स्टेरॉयड का सही समय, सही खुराक और अवधि का विशेष ध्यान दें।
-ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान ह्यूमिडिफायर के लिए स्वच्छ, जीवाणु रहित पानी का उपयोग करें।
– पानी और मिनरल वाटर का इस्तेमाल कभी भी बिना उबाले न करें।

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