उत्तराखंड में बुजुर्गों के लिए वैक्सीन नहीं, अब कीड़े मारने की दवा खाओ!

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द लीडर देहरादून

उत्तराखंड में 45 साल से अधिक उम्र वालों की वैक्सीन फिलहाल खत्म हो गई है। सोमवार को इस उम्र वाले लोगों के लिए बने टीकाकरण केंद्रों में ताले लग चुके हैं। युवाओं को लग तो रहे हैं पर बहुत कम। वैक्सीन है ही नहीं कहाँ से लगाएंगे। गॉंवों तो और बुरा हाल है। फिलहाल कीड़े मारने की दवा को सरकार घर घर में बांटने जा रही है। दावा है कि इस दवा को जिसने खाया या तो उसे कोरोना हुआ ही नहीं, यदि हुआ तो इसका असर काफी हल्का रहा।

अब राज्य खुद व्यवस्था करें

भारत सरकार की तरफ से वैक्सीन मिलनी बंद हो गई है। इसको लेकर प्रधानमंत्री के खिलाफ पोस्टर भी छपे। राज्यों से कहा गया है कि ई टैंडरिंग के जरिये खुद की वैक्सीन खरीदें। ऐसे में सभी राज्य वैक्सीन के जुगाड़ में परेशान हैं। एक मई से 18 साल से लेकर 44 साल का टीका शुरू किया गया और 17 मई को उत्तराखंड में भी 44 साल से अधिक वालों के टीकाकरण केंद्र में ताले लग गए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए राज्य में 720 टीकाकरण केंद्र बनाए थे। 16 मई को पूरे उत्तराखंड में 282 केंद्र में 18421 को टीके लगाए गए। इनमें 18 साल से 44 साल और 44 साल से अधिक वालों में 17281, हैल्थ केयर वर्कर्स में 84 व फ्रंटलाइन वर्कर्स में 1056 लोगों को कोरोना के टीके लगाए गए।
वहीं, अब तक उत्तराखंड में कुल 1940279 टीके की डोज दी गई है। इनमें दोनों डोज 680066 लोगों को लगाई जा चुकी है।18 व इससे अधिक को अब तक कुल 22167 डोज दी गई।
बताया जा रहा है कि राज्य की तरफ से केंद्र को वैक्सीन की डिमांड भेजी जा चुकी है। वैक्सीन 20 मई से पहले पहुंचने की उम्मीद है।

घर घर दवा बंटेगी

उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव पंकज पांडे ने 12 मई को बताया था कि टैक्नीकल कमेटी गठित के सुझाव के अनुरूप घर घर आइवर मैक्टीन दवा का वितरण किया जाएगा। मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति की अध्यक्षता में टैक्नीकल कमेटी गठित है। इसमें प्रतिष्ठित सरकारी व गैर सरकारी चिकित्सक शामिल हैं। इस कमेटी ने निर्णय किया है कि यदि प्रदेश की जनता को बचाना है, इंफैक्शन कम करना है तो प्रोफाइल एक्सीज देने पर अच्छे परीणाम होंगे। सरकार ने निर्णय लिया है कि पूरी जनसंख्या को ये दवा देंगे।इस दवा को तीन दिन तक खाया जाएगा। इसका साइड इफेक्ट कम है। नुकसान बहुत हायर डोज में होता सकता है। हम मिनिमम डोज देने जा रहे हैं। ये सिर्फ गर्भवती महिला व दो साल से कम के बच्चों को को नहीं दी जाएगी। बूथ लेवल अफिसर्स (बीएलओ) के माध्यम से अभियान शुरू किया जा रहा है। उन्हें वोटर लिस्ट बनाने के दौरान हर घर की जानकारी होती है।

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