जूना अखाड़ा के 1000 सन्यासी बने बर्फानी नागा, दीक्षा पूरी

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ज्योति एस हरिद्वार

मंगलवार को हरिद्वार में सन्यासियों के सबसे बड़े अखाड़े श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े में एक हजार नागा सन्यासियों की दीक्षा पूरी हुई। आचार्य पीठाधीश्वर द्वारा प्रेयस मंत्र प्रदान किये जाने के साथ ही नव दीक्षित नागा सन्यासियों को बर्फानी नागा सन्यासी का दर्जा प्रदान किया गया। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक व अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि के दिशा-निर्देश एवं श्रीमहंत प्रेम गिरि के संयोजन में दीक्षित किये जाने का कार्यक्रम सम्पन्न हो गया।
सन्यासियों को दीक्षित किये जाने का सिलसिला सोमवार सुबह प्रारम्भ हुआ। सभी चारों मढ़ियों चार, सोलह, तेरह व चौदह में दीक्षित होने वाले नागाओं की मुण्डन प्रक्रिया सुबह आठ बजे प्रारंभ हुई। मुंडन प्रक्रिया के बाद सभी नागाओं के द्वारा बिड़ला घाट पर गंगा स्नान किया गया। यहां गंगा स्नान से पहले संन्यासियों ने सांसरिक वस्त्रों का त्याग कर कोपीन दंड, कंमडल धारण किया। इस दौरान पंडियों द्वारा सभी नागाओं का स्नान के दौरान स्वयं का श्राद्व कर्म संपन्न कराया गया।

 


मध्य रात्रि साढे बारह बजे आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी धर्म ध्वजा पर पहुचे व हवन की पूर्णाहूति कराई। इसके बाद नव दीक्षित सन्यासियों को लेकर गंगातट पहुचे,जहा पर दण्ड कमंडल गंगा में विसर्जित कराया। मंगलवार तड़के सभी संन्यासी तट पर पहुंचकर स्नान कर संन्यास धारण करने का संकल्प लेते हुए गायत्री मंत्र के जाप के साथ सूर्य, चन्द्र, अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, दसों दिशाओं, सभी देवी देवताओं को साक्षी मानते हुए स्वयं को संन्यासी घोषित कर गंगा में 108 डुबकियाॅ लगाई। फिर आचार्य महामण्डलेश्वर ने सभी नव दीक्षित सन्यासियों को धर्मध्वजा पर आकर ओंकार उठाया। इसके बाद सभी नवदीक्षित नागा सन्यासियों का अपने अपने गुरूओं ने चोटी यानि शिखा विच्छेदन कर ले ली। सभी नागा सन्यासी मंगलवार को तड़के तीन बजे आचार्य गदद्ी कनखल स्थित हरिहर आश्रम पहुचे,जहां पर आचार्य महामण्उलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी ने सभी को प्रेयस मंत्री देकर दीक्षित किया। य

महिला नागा सन्यासियों के बनाने की प्रक्रिया आज

श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े में बुधवार को करीब दो सौ महिला साधुओं को नागा सन्यासी बनाने की प्रक्रिया बिड़ला घाट पर शुरू होगी। यह जानकारी जूना अखाड़े के श्रीमहंत विद्यानन्द सरस्वती ने बताया कि महिला नागा सन्यासियों को दीक्षित किये जाने से पूर्व पहले ही उन्हे कठोर नियमों का पालन कराया गया है।

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