येहूदा अमिखाई की कविता ‘बम का व्यास’

0
867

बम का व्यास


बम का व्यास
तीस सेंटीमीटर था बम का व्यास
और इसका प्रभाव पडता था सात मीटर तक
चार लोग मारे गए ग्यारह घायल हुए
इनके चारों तरफ एक और बड़ा घेरा है – दर्द और समय का
दो हस्पताल और एक कब्रिस्तान तबाह हुए
लेकिन वह जवान औरत जो दफ़नाई गई शहर में
वह रहने वाली थी सौ किलोमीटर दूर आगे कहीं की
वह बना देती है घेरे को और बड़ा
(Diameter Of The Bomb)
और वह अकेला शख़्स जो समुन्दर पार किसी देश के सुदूर किनारों पर
उसकी मृत्यु का शोक कर रह था – समूचे संसार को ले लेता है इस घेरे में
और मैं अनाथ बच्चों के उस रूदन का ज़िक्र तक नहीं करूंगा
जो पहुँचता है ऊपर ईश्वर के सिंहासन तक
और उससे भी आगे
और जो एक घेरा बनाता है बिना अंत और बिना ईश्वर का। (Diameter Of The Bomb)

यह भी पढ़ें: युद्ध और बच्चे: उमेश चौहान की कविता


(आप हमें फ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here