मुगल शहंशाह शाहजहां के उर्स के बीच ताजमहल के पास से क्यों गुजरा लड़ाकू विमान!

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दुनियाभर में वास्तुकला के नायाब नमूना बतौर मशहूर ताजमहल की चर्चा अचानक बढ़ गई है, क्योंकि सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो गया है, जिसे गंभीर सुरक्षा चूक के तौर पर लिया गया है। ताजमहल का रखरखाव करने वाले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस मामले की जांच और जानकारी के लिए संबंधित विभागों से पूछताछ का सिलसिला शुरू किया है। हालांकि, अभी तक कोई साफ बात सामने नहीं आई है। (Fighter Plane Taj Mahal)

वायरल वीडियो में फाइटर जेट को उड़ता देख एक आवाज है, जिसमें कहा जा रहा है कि ‘वाओ, जेट उड़ रहा है’।

दरअसल, ये लड़ाकू विमान इतना नजदीक से गुजरा कि वहां मौजूद लोगों की नजर खुद ही चली गई। इस मौके पर लोगों की तादाद भी ताजमहल के आसपास काफी थी, क्योंकि मुगल शहंशाह शाहजहां का तीन रोजा 367वां उर्स इतवार को शुरू हुआ, जिसका आखिरी दिन 1 मार्च है। विमान दिखाई देने की घटना उर्स के दूसरे दिन की है।

मुगल शहंशाह शाहजहां का उर्स इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से रजब महीने की 25, 26 और 27 तारीख को मनाया जाता है। यह ऐसा मौका होता है, जब सैलानियों को भूमिगत कब्र देखने का मौका मिलता है। जबकि सालभर लोग ताजमहल के ऊपरी या बाहरी हिस्सों को ही देख सकते हैं। इस बार के उर्स में दूसरे दिन, यानी 28 फरवरी या 26 रजब को दोपहर दो बजे से कब्र तक जाने की मंजूरी के साथ पर्यटकों को मुफ्त प्रवेश की घोषणा की गई थी, तो काफी लोग पहले ही पहुंच गए। (Fighter Plane Taj Mahal)

साफ मौसम, खिली धूप और खुशनुमा माहौल में हर कोई रंगा था। उस समय फाइटर जेट जब दिखाई दिया तो मोबाइल से वीडियो बना रहे किसी का कैमरा उस ओर घूम गया। वीडियो बनाने वाले के लिए यह रोमांचक था। लेकिन जब यह वीडियो सोशल मीडिया पर आई तो सुरक्षा चूक का सवाल खड़ा हो गया, क्योंकि यह नो फ्लाइंग जोन है और यहां से कोई जेट ही नहीं, किसी भी तरह के विमान को गुजरने की मंजूरी नहीं है।

अनुमान तो यही लगाया जा रहा है कि यह भारतीय वायुसेना का ही विमान होगा, क्योंकि कोई और बाहरी लड़ाकू विमान इतनी आसानी से न तो भारतीय सीमा में दाखिल हो सकता है, नो फ्लाइंग जोन में तो एयरफोर्स ही किसी विमान को तत्काल मार गिराएगी।

ताजमहल की सुरक्षा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब 1971 में भारत-पाकिस्तान की जंग चली तो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ताजमहल को पूरी तरह ढंकवा दिया था, क्योंकि चांदनी रात में भी इसका संगमरमर चमकता है।

बहरहाल, हालिया सुरक्षा चूक मामले की जांच चल रही है, देर-सबेर कारण भी पता लग ही जाएंगे।

दूसरी ओर उर्स भी पूरे उत्साह से जारी है, जो एक मार्च को समाप्त हो जाएगा। इस दिन खास परंपरा भी निभाई जाती है, वह है सर्वधर्म सद्भाव का प्रतीक सतरंगी चादर से चादरपोशी।

खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी की ओर से चढ़ाई जाने वाली इस सतरंगी चादर की लंबाई इस बार 1381 मीटर है, जबकि पिछले पिछले साल 1331 मीटर थी। कमेटी के अध्यक्ष हाजी ताहिरुद्दीन ताहिर ने मीडिया को बताया कि सतरंगी चादर ताजमहल के दक्षिणी गेट के पास हनुमान मंदिर से ताजमहल में ले जाई जाएगी। (Fighter Plane Taj Mahal)

उर्स की शुरुआत गुस्ल की रस्म के साथ शुरू हुई थी, जिसमें पहले दिन दोपहर बजे मकबरे के तहखाने के दरवाजे खोले गए और शाहजहां-मुमताज की कब्रों पर गुस्ल के बाद चंदन का लेप किया गया, फूलों की चादर चढ़ाई गई, फातिहा पढ़ा गया। दूसरे दिन दोपहर दो बजे संदल चढ़ाया गया। चादरपोशी का सिलसिला एक मार्च शाम तक जारी रहेगा।


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