बस्तर में 20 दिनों से चीखते आदिवासियों की आवाज बघेल सरकार को इतनी देरी से क्यों सुनाई पड़ी

द लीडर : छत्तीसगढ़ के बस्तर में आदिवासी आंदोलन पर डट गए हैं. पिछले करीब 20 दिनों से विरोध-प्रदर्शन का सिलसिला बना है. जिसके तेवर अब बागी हुए जा रहे हैं. हालात को भांपकर बघेल सरकार थोड़ी हरकत में आई है. और सिलगेर में प्रदर्शन के दौरान कथित रूप से पुलिस फायरिंग में तीन आदिवासियों के मारे जाने की घटना पर एक जांच समिति बनाई है.

सुकमा जिले के सिलेगर के पास एक पुलिस कैंप बनाया जाना है. ग्रामीण इसका इसका विरोध कर रहे हैं. बीते 12 मई को जब कैंप बनाए जाने की शुरुआत हुई थी, तब से प्रदर्शन जारी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 17 मई को हुए आंदोलन में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव हो गया. इस बीच पुलिस ने फायरिंग की, जिसमें तीन आदिवासी मारे गए थे. इसके बाद से ये आंदोलन और व्यापक हो गया है.

सड़क के साथ सोशल मीडिया के माध्यम से भी आदिवासी जल, जंगल और जमीन की अपनी इस लड़ाई को बड़े स्तर पर सामने ला रहे हैं. ट्वीटर पर पिछले पखवाड़े भर से ‘बस्तर सीक्स हेल्प’ हैशटैग के साथ अभियान चल रहा है, जिसमें ‘बस्तर में नरसंहार बंद करो’ की मांग शामिल है. इस अभियान को ट्वीटर पर व्यापक समर्थन मिलता नजर आ रहा है.


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सिलगेर, जोकि सुकमा जिले का एक गांव है. ये इलाका नक्सली हमलों के लिए कुख्यात बीजापुर से सटा है. यहीं अप्रैल में एक नक्सली हमला हुआ था, जिसमें 22 जवान शहीद हो गए थे. और एक जवान को नक्सलियों ने बंधक बना लिया था. बाद में उन्हें रिहा कर दिया था.

बहरहाल, आदिवासी आंदोलन को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार की कड़ी आलोचना हो रही है. सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक और बुद्धिजीवी कांग्रेस नेता राहुल गांधी को ट्वीटर पर टैग करते हुए इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग उठा रहे हैं.

 

लेखक अशोक कुमार पांडेय ने राहुल गांधी को एक ट्वीट किया है. जिसमें कहा, ” इस मामले में, मैं आपसे व्यक्तिगत हस्तक्षेप की अपील कर रहा हूं. आपने चुनाव के पहले आश्वासन दिए थे. अब जरूरत है कि वहां हस्तक्षेप करके आदिवासियों के अधिकार सुनिश्चित किए जाएं और शिकायतें दूर की जाएं.”


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कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के दखल की अपील के बीच ही मुख्यमंत्री ने मंगलवार को एक समिति बनाई है. बस्तर के सांसद दीपक बैज की अध्यक्षता में गठित इस 9 सदस्सीय समिति में जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं. लखेश्वर बघेल, संत नेताम, देवती कर्मा, शिशुपाल शोरी, अनूप नाग, विक्रम मंडावी, राजमन बेंजाम, चंदन कश्यप इस समिति का हिस्सा हैं.

मुख्यमंत्री के कार्यालय से जारी सूचना के मुताबिक ये समिति सिलगेर प्रकरण की जांच करेगी. और अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपेगी. वहीं, स्थानीय पत्रकारों के मुताबिक पिछले 20 दिनों से विरोध जारी है. आदिवासी ग्रामीण कैंप के विरोध में लगातार सड़कों पर नारे लगा रहे हैं. उनकी मांग है कि हमें स्कूल-अस्पताल चाहिए. कैंप नहीं. लेकिन अब तक सरकार ने आंदोलनरत आदिवासियों से संवाद स्थापित नहीं किया है. इससे लोगों में सरकार के प्रति आक्रोश पैदा हो रहा है.

 

Ateeq Khan

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