किसान आंदोलन से महामारी तक वौ कौन सी नाराजगी, जिससे ट्वीटर के पीछे पड़ी दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार

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द लीडर : दुनिया की सबसे सबसे ताकतवर माइक्रोब्लॉगिंग साइट ‘ट्वीटर’ के साथ भारत सरकार की ठन गई है. गुरुग्राम स्थित ट्वीटर इंडिया के दफ्तर पर सोमवार की रात दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने छापेमारी की. इस कार्यवाही को लेकर विपक्ष और एक्टिविस्ट केंद्र सरकार पर हमलावर हैं. और दिल्ली पुलिस की कार्यवाही को अनुचित ठहरा रहे हैं. लेकिन सरकार और ट्वीटर के बीच ये नौबत कैसे आई? इसे समझने के लिए थोड़ा पीछे चलते हैं.

बात दिसंबर 2020 की है. उस वक्त तक अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव संपन्न हो चुके थे. जो बाइडन राष्ट्रपति चुने गए. लेकिन डोनाल्ड ट्रंप पद छोड़ने से इनकार पर डटे रहे. ट्रंप समर्थकों ने संसद पर धावा बोल दिया. और इसमें दो-तीन लोग मारे गए थे. इस घटना के बाद ट्वीटर ने ट्रंप का ट्वीटर हैंडल स्थायी रूप से बंद कर दिया था.


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इसी विवाद के बाद ट्वीटर ने भारत में सख्ती दिखाई. और मैनेपुलिटेड मीडिया की अपनी पॉलिसी के तहत ऐसे ट्वीट को चिन्हित करना प्रारंभ किया, जो मैनेपुलेटेड मीडिया-यानी भ्रम फैलाने वाली सूचना के दायरे में आते हैं. इसके अंतर्गत ट्वीटर ने भारत में सबसे पहला ट्वीट बीजेपी आइटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय का ‘मैनिपुलेटेड मीडिया’ करार दिया था. ये पिछले साल दिसंबर की घटना है. अमित मालवीय ने राहुल गांधी के एक वीडियो का जिक्र करते हुए ये ट्वीट किया था. जिसे ट्वीटर ने मैनिपुलेटेड की श्रेणी में डाल दिया.

इसी कड़ी में अगला विवाद किसान आंदोलन में सामने आया है. दिल्ली की सीमाओं पर हजारों किसान तीन नए कृषि कानूनों को लेकर अभी भी डेरा डाले हुए हैं. केंद्र सरकार ने किसानों को दिल्ली की सीमाओं में दाखिल होने से रोकने के लिए कीले गड़वा दिए थे. और कंटीले तारों की भारी बैरिकेडिंग कराई. इसकी तस्वीरें वैश्विक मीडिया में सामने आने पर किसानों को दुनियाभार से समर्थन मिलने लगा.

विश्व की जानमानी पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटाथनबर्ग ने किसानों के समर्थन में एक ट्वीट किया. इसे भाजपा ने टूलकिट बताया. बाद में ग्रेटा ने ये ट्वीट डिलीट कर दिया था. ये विवाद काफी लंबा चला. दिल्ली पुलिस ने टूलकिट मामले में जनवरी में एफआइआर दर्ज की. और तीन युवाओं को आरोपी बनाया. इसमें छात्रा दिशा रवि करीब एक पखवाड़े तक जेल में रहीं. बाद में उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी. दूसरे आरोपी शांतनु और निकिता जैकब को भी न्यायालय से राहत मिली.


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इसी बीच ट्वीटर को केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कुछ लोगों के ट्वीटर हैंडल की डिलेट देकर कार्रवाई की मांग उठाई. इस पर ट्वीटर ने दर्जन भर से अधिक एकाउंट अस्थायी रूप से रोक दिए थे. लेकिन जब ट्वीटर की आलोचना हुई तो ये एकाउंट दोबारा चालू कर दिए. इस पर सरकार ने नाराजगी व्यक्त की. इसके जवाब में ट्वीटर ने एक विस्तृत पत्र जारी किया था. और इसमें पूरे मामले का उल्लेख किया था. उस वक्त भी ट्वीटर और भारत सरकार में गहरे मतभेद उभरकर सामने आए थे.

ट्वीटर की इस हठ की वजह से केंद्र सरकार के एक मंत्री ने कू-एप को समर्थन किया था. और बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता, मंत्री और समर्थकों ने कू-एप को तरजीह देना प्रारंभ किया था. तब से ही ट्वीटर और सरकार के बीच मतभेद बने हैं. केंद्र सरकार सोशल मीडिया को लेकर अपनी पॉलिसी में बदलाव कर रही है. संभवता और सख्ती के साथ इन्हें लागू कराए जाने की संभावना जताई जा रही है.

पिछले दिनों ट्वीटर ने केंद्र सरकार की बड़ी हिमायती बनकर सामने आईं अभिनेत्री कंगना रनौत का ट्वीटर एकाउंट सस्पेंड कर दिया था. और भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा के ट्वीट को मैनिपुलेटेड मीडिया की श्रेणी में डाला है. ट्वीट की इसी कार्रवाई से भाजपा नेताओं में नाराजगी है. यही वजह है कि अब जब सोमवार रात को ट्वीटर के कार्यालय पर छापे पड़े तो, ट्वीटर बैन हैशटैग के साथ ये मामला ट्रेंड करने लगा.


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क्या है ताजा विवाद

भाजपा के स्टार प्रवक्ता संबित पात्रा ने 17 मई को एक ट्वीट किया था. इसमें पात्रा ने कांग्रेस की ओर से जारी कथित पत्रों को साझा करते हुए कांग्रेस की टूलकिट बताया था. ट्वीटर ने संबित के इसी ट्वीट को मैनिपुलेटेड मीडिया बता दिया. जिस पर विवाद शुरू हो गया.

पात्रा ने अपनी ट्वीट में कहा, मित्रों महामारी के दौरान जरूरतमंदों की मदद के लिए कांग्रेस की टूलकिट देखें. इसमें सहायता की अपेक्षा पत्रकार और प्रभावशाली लोगों को लुभाने की कोशिश भर है. ये एजेंडा आप खुद पढ़ लीजिए.

भाजपा संबित पात्रा के ट्वीट को उचित मान रही है. और युवा कांग्रेस को टूलकिट का आरोपी मान रही है. जबकि जांच में टूलकिट पत्र फर्जी सामने आ रहे हैं. इसको लेकर न सिर्फ कांग्रेस-भाजपा में ठनी है, बल्कि ट्वीटर में इसमें शामिल हो गया है.

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक ट्वीटर कार्यालय पर छापेमारी करने पहुंची दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने कहा कि ट्वीटर को तीन बार नोटिस दिया जा जा चुका है. लेकिन वो एक सामान्य जांच में भी विक्टिम जता रहा है.

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