द लीडर : अहमदाबाद के रमेशभाई विजय पारिख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बड़े प्रशंसकों में से एक हैं. मोदी सरकार की नीतियों की दिल खोलकर तारीफें करते रहे हैं. उतनी ही शिद्दत से विपक्ष किए-धरे को नकाराते भी आए हैं. लेकिन मां की मौत ने इन्हें अंदर से हिला डाला है. तब इन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आरएसएस और दूसरे मंत्रियों से सवाल पूछा है, जो जायज भी है.
विजय पारिख ने मंगलवार को एक ट्वीट किया. जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री केयर्स फंड में दिए गए 2.51 लाख रुपये चंदे का प्रशंसा पत्र भी साझा किया. जो उन्हें पीएमओ से मिला था. पारिख ने लिखा-2.51 लाख रुपये का चंदा भी मेरी मरती हुई मां के लिए बेड का इंतजाम नहीं करा सका. कृप्या मुझे सलाह दें कि तीसरी लहर में अपनों को सुरक्षित रखने के लिए मुझे कितना दान देना होगा. अब मैं अपने परिवार के किसी और सदस्य को खोना नहीं चाहता हूं.
भावनात्मक रूप से टूटे हुए पारिख का ये ट्वीट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. जिसका स्क्रीनशॉट वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने भी अपने फेसबुक पेज पर साझा किया है. महामारी की दूसरी लहर में पारिख इस दर्द के इकलौते वारिस नहीं बने हैं. बल्कि अनगिनत लोग अपनों के गम में डूबे हैं. वे भी जो तन-मन और धन से सरकारों के साथ खड़े रहे हैं.
वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने रमेशभाई विजय पारिख के ट्वीट का स्क्रीनशॉट साझा करते हुए लिखा-अहमदाबाद के रमेशभाई विजय पारिख ने पीएम केयर्स में ढाई लाख रुपये दान किए थे. उनकी मां को अस्पताल में बिस्तर नहीं मिला. लिख रहे हैं कि कृपया बताइये कि तीसरी लहर के लिए कितना दान करें कि बिस्तर मिल जाए.
”इन सिसकियों को सुन कौन रहा है? नए विवादों को उस मोड़ पर पहुंचा दिया गया है जहां से इन्हें जल्दी केंद्र में लाया जाएगा. अखबार और चैनल के पाठक और दर्शक हर दिन एक नई हेडलाइन और डिबेट की तलाश में घूम जाएंगे. जिन पर बीती है वो वहीं रह जाएंगे.”
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विजय पारिख मोदी सरकार के समर्थन में ट्वीटर पर खूब सक्रिय रहे हैं. हालांकि 2018 के बाद उनके कम ट्वीट हैं. लेकिन इससे के उनके कुछ ट्वीट वायरल हो रहे हैं, जो उन्होंने मोदी सरकार की शान में किए थे. इसमें एक ट्वीट है-ये मोदी सरकार की ताकत है कि रागा ने पिछले 20 सालों में जितने मंदिरों का दौरा नहीं किया है, उतने का 20 दिन में कर लिया है.
ये ट्वीट अप्रत्यक्ष रूप से कांंग्रेस नेता राहुल गांधी पर कटाक्ष था. इसके अलावा भी वे सरकार की नीतियों का न सिर्फ प्रचार प्रसार करते रहे हैं, बल्कि सरकार के खिलाफ विपक्ष के स्वरों को भी हल्का करने की भूमिका निभाते आए हैं.
बहरहाल, विजय पारिख के इस दुख में ट्वीट पर मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. कुछ लोग उनके प्रंति संवेदना व्यक्त कर रहे हैं तो दक्षिणपंथी विचार से जुड़े लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं.
कुछ ये सलाह दे रहे हैं कि दान दिखावे की चीज नहीं है और न ही इसका निजी लाभ मिलता है. इस दुख में सब उनके साथ हैं.