1 महीने के अंदर लगने लगेगी बच्चों को कोरोना वैक्सीन ? जानें क्या है सच्चाई

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द लीडर हिंदी, लखनऊ | ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने जायडस कैडिला के जाइकोव-डी वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल के मंजूरी के बाद इसका उपयोग अब 12 साल और उससे अधिक के उम्र के बच्चों और व्यस्कों के लिए किया जा सकता है। भारत सरकार की बायोटेकनोलॉजी विभाग की सेक्रटरी, डॉ.रेणु स्वरूप ने कहा कि बच्चों की वैक्सीन की शुरूआत में अभी करीब चार हफ्ते का वक्त लग सकता है। उन्होंने कहा इस वैक्सीन पर फैसला नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाईजेशन (NTAGI) वर्किंग ग्रुप को करना है।

क्या कहा राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के प्रमुख डॉ. एनके अरोड़ा ने ?

एनके अरोड़ा ने कहा कि भारत में बच्चों के लिए टीकाकरण सितंबर तक शुरू हो जाएगा। उन्हें Zydus Vaccine लगाई जाएगी, जिसे 12 से 18 साल के बच्चों के लिए बनाया गया है। डॉ. अरोड़ा ने कहा, “कोरोनो वायरस महामारी, स्कूल जाने वाले बच्चों की शिक्षा में एक बड़ी बाधा रही है। ऐसे में, इस आयु वर्ग के बच्चों के लिए टीकाकरण काफी जरूरी है। उम्मीद है कि बच्चों के लिए Zydus वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति (EUA) कुछ हफ्तों में आ जाएगी।

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यह खबर, अपने बच्चों को लेकर चिंतित सभी भारतीय माता-पिता के लिए काफी राहतभरी है। क्योंकि, देश में कोविड की संभावित तीसरी लहर को लेकर अभिभावकों में काफी डर है कि कहीं उनके बच्चे इसकी चपेट में ना आ जाएं।

बच्चों के लिए बनी, Zydus वैक्सीन से जुड़े 8 जरूरी तथ्यः  

  1. ZyCoV-D एक प्लास्मिड डीएनए वैक्सीन है, जो शरीर में इंजेक्ट होने के बाद, SARS-CoV-2 वायरस के स्पाइक प्रोटीन पैदा करता है। ऐसा करने से, इसे एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (immune response) मिलती है, जो मानव शरीर को बीमारी से बचाने के साथ-साथ, वायरल क्लियरेंस में भी अहम भूमिका निभाता है।
  2. ZyCoV-D सुइयों के उपयोग के बिना दिया जाता है। इसे तीन खुराकों में दिया जाना है – दूसरी और तीसरी खुराक, पहले दिन के क्रमशः 28वें और 56वें दिन दिया जाना है।
  3. यह, अन्य टीकों की तरह सुइयों से मांसपेशियों में 1.5 इंच की गहराई तक नहीं लगाया जाता। सुई-मुक्त इंजेक्टर्स से, इसे त्वचा के नीचे सिर्फ 1 मिमी तक लगाया जाता है।
  4. ZyCoV-D की खुराक, अन्य COVID-19 टीकों की खुराक (0.5 मिली) की तुलना में कम (0.1 मिली) है।
  5. बच्चों में SARS Cov2 वायरस के खिलाफ, अपने टीके के प्रभाव का टेस्ट करने के लिए, अहमदाबाद स्थित Zydus Cadilla, एक हजार बच्चों के साथ, 40 से अधिक केंद्रों में क्लिनिकल ​​परीक्षण कर रही है।
  6.  अभी तक, Zydus Cadilla की उत्पादन क्षमता प्रति माह, 15 मिलियन खुराक की है। फिलहाल कंपनी, उत्पादन क्षमता को और अधिक बढ़ाने के लिए काम कर रही है।
  7. बच्चों पर टीके के परीक्षण को लेकर कंपनी के बयान के अनुसार, “सहनशीलता प्रोफ़ाइल, अडल्ट पॉप्यूलेशन के जैसी ही देखी गई। टेस्ट के दौरान अंतरिम विश्लेषण में रोगसूचक आरटी-पीसीआर पॉजिटिव केसेस के लिए 66.6% की प्राथमिक प्रभावकारिता प्राप्त की गई है।
  8. बच्चों पर टीके के परीक्षण को लेकर कंपनी के बयान के अनुसार, “वैक्सीन की तीसरी खुराक देने के बाद, COVID-19 का कोई केस नहीं देखा गया, जिससे पता चलता है कि यह वैक्सीन, बीमारी के खिलाफ 100% असरदार है। वैक्सीन की दूसरी खुराक के बाद, वैक्सीन आर्म में COVID-19 के कारण कोई गंभीर मामला या मृत्यु नहीं हुई।

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“मील का पत्थर साबित होगी यह सफलता”

ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCA) से EUA की मंजूरी के बाद, ZyCoV-D भारत में उपयोग के लिए अधिकृत 5वीं COVID-19 वैक्सीन बन जाएगी। पहले से स्वीकृत COVID-19 टीकों में, एस्ट्राजेनेका -सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, भारत बायोटेक, मॉडर्ना और रूस के गमालेया संस्थान के टीके शामिल हैं।

कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड के प्रबंध निदेशक, डॉ. शरविल पटेल ने एक इंटरव्यू में कहा, “यह सफलता वैज्ञानिक नवाचार और टेक्नॉलॉजी के विकास में एक मील का पत्थर सबित होगी। मानव उपयोग के लिए दुनिया के पहले प्लास्मिड डीएनए वैक्सीन के रूप में, ZyCoV-D ने साबित कर दिया है कि यह बिल्कुल सुरक्षित है। साथ ही, COVID-19 के खिलाफ हमारी लड़ाई में, यह वैक्सीन प्रभावशाली भी है। स्वीकृति मिलने के बाद, यह टीका न केवल वयस्कों, बल्कि 12 से 18 वर्ष की आयु वर्ग के किशोरों की भी मदद करेगा।

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किस उमर के बच्चों के लिए है यह वैक्सीन ?

बायोटेक्नोलॉजी विभाग की सेक्रेटरी डॉ रेणु ने कहा कि जाइकोव-डी एक डीएनए वैक्सीन है, जिसे 12 साल के ऊपर के बच्चों और व्यसकों पर इमरजेंसी यूज की इजाजत मिली है। वहीं इसे छोटे उम्र 5-12 वर्ष या इससे भी कम उम्र के बच्चों के लिए अलग-अलग स्टेज पर रिसर्च जारी है. वैक्सीन बनाने वाली ज्यादातर कंपनियां इस पर ट्रायल कर रही हैं।

जाइडस कैडिला द्वारा बनाई गई जाइकोव-डी दुनिया की पहली और भारत की स्वदेशी विकसित डीएनए वैक्सीन है। डॉ स्वरूप ने कहा कि हम जानते हैं कि भारत बायोटेक को 5 साल और उससे ऊपर उम्र के बच्चों के लिए वैक्सीन के ट्रायल की अनुमति मिली हुई है। इसी तरह बायोलॉजिकल-ई अभी फेज-3 ट्रायल में है। फिलहाल यह फेस-2 ट्रायल में है, फेज-3 ट्रायल मे इसे बच्चों के लिए अनुमति मिली है।

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सभी वैरिएंट के लिए बना रहे हैं वैक्सीन

डॉ रेणु स्वरूप ने कहा कि बायोलॉजिकल-ई वैक्सीन को सितंबर अंत तक रेगुलेटर्स द्वारा मंजूरी मिलने की उम्मीद है। हम इन वैक्सीन की टेस्टिंग कोरोना के अलग-अलग वैरिएंट पर भी कर रहे हैं। हम ऐसी वैक्सीन बनाने पर भी विचार कर रहे हैं जो कोरोना के अलग-अलग वैरिएंट से मुकाबला कर सके। आपको बता दें कि देश में अब तक कुल आबादी के 32 प्रतिशत से भी अधिक लोगों को कोविड वैक्सीन की एक डोज लगाई जा चुकी है। वहीं 9.5 प्रतिशत से अधिक की आबादी को वैक्सीन की दोनों खुराक दी जा चुकी है।

कैसे बढ़े बच्चों में इम्यूनिटी

  • घर में बच्चों और बीमार लोगों के बीच दूरी बनाए रखें।
  • बच्चों को जंक फ़ूड से दूर रखें और उसके नुक़सान के बारे में बताएँ।
  • बच्चों का टीकाकरण समय-समय पर होना चाहिए और इनमें आजकल इन्फ़्लुएंज़ा का टीका भी होता है जो कोविड से बचाव में सहायक हो सकता है।
  • बच्चों में मास्क लगाने की आदत डलवाएँ।
  • बच्चों को अभी स्कूल भेजने से बचें।
  • भारत के बच्चों में प्रोटीन की मात्रा की कमी दिखाई देती है ऐसे में जो परिवार अंडा खाते हैं वे बच्चों को अंडा ज़रूर दें, इसके अलावा दाल और सोया भी प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं।
  • बच्चों में दूध पीने और पनीर खाने की आदत डालें।
  • रागी, मक्का, सत्तू, चना का सूप या हलवा बनाकर छोटे बच्चों को खिलाएँ और बड़े बच्चों को भी इनकी रोटी या पराठा बना कर दे सकते हैं।
  • विटमिन सी के लिए नींबू पानी पिलाएँ और फल खिलाएँ, जो भी विटामिन के प्राकृतिक स्रोत हैं, वो बच्चों को खिलाना चाहिए।

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