जब शफ़ीक़ुर्रहमान बर्क़ ने नेताजी को मुश्किल में डाला, जानिए 28 साल पहले का वो यादगार क़िस्सा

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द लीडर हिंदी : संभल लोकसभा सीट से सपा सांसद डाॅ. शफीकुर्रहमान बर्क ने मंगलवार को हमेशा के लिये इस दुनिया को अलविदा कह दिया.उनका निधन हो गया .वही आज बुधवार को उनके शव को सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा. पांच बार के सांसद रहे डाॅ. बर्क के निधन पर राजनेताओं समेत सामाजिक संठगनों ने दुख जताते हुए कहा उन्होंने एक बेबाक जुंबा खो दी. बता दें शफीकुर्रहमान बर्क की बेबाक बयानबाजी के सभी कायल थे.वह 93 साल के थे. गुर्दे में तकलीफ की वजह से पिछले कई दिनों से उन्हें मुरादाबाद के एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था.जहां उनका निधन हो गया.

आज किया जाएगा सुपुर्द-ए-खाक
वही निधन के बाद उनका शव मुरादाबाद से संभल में दीपा सराय स्थित आवास पर लाया गया.बता दें उनके आखिरी दीदार करने के लिये भीड़ बढ़ने पर शव को संभल के एक मैरिज हॉल में ले जाया गया. वही उनके पोते जियाउर्रहमान बर्क ने बताया कि बुधवार 28 फरवरी को संभल में ही उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा. जिसकी तैयारियां चल रही है.बेबाक अंदाज रखने वाले शफीकुर्रहमान बर्क भले ही इस दुनिया से चल गए हो. लेकिन वो सभी के दिलों में जिंदा रहेंगे.शफीकुर्रहमान बर्क के कुछ ऐसे किस्से है जो समाजवादी पार्टी के इतिहास से जुड़ी रहेगी.आईये जानते है वो 28 साल पहले का दौर.

बर्क़ साहब से जुड़ा 28 साल पहले का यादगार क़िस्सा
यह बात उस वक़्त की है, जब नेताजी मुलायम सिंह यादव देश के रक्षामंत्री थे. तब वो रामपुर-मुरादाबाद के बीच खबरिया में सय्यद चिश्ती मियां की दरगाह आए थे. मुहम्मद आज़म ख़ान ने नेताजी को सीआरपीएफ के हैलीपेड पर रिसीव किया. यहां से कार में बैठकर खबरिया पहुंचे. वहां उर्स चल रहा था. सांसद शफ़ीफ़ुर्रहमान बर्क़ भी मौजूद थे. उन्होंने यहां ऐसी बात कह दी, जिसने नेताजी को मुश्किल में डाल दिया था. शफ़ीक़ुर्रहमान बर्क़ ने अपनी तक़रीर में कह दिया था कि हमारी सरकार बनी तो बाबरी मस्जिद फिर से उसी स्थान पर बनवाई जाएगी. बर्क़ साहब के यह कहने पर ख़ूब तालियां बजी थीं. यह और बात थी कि उनकी बात पार्टी लाइन से मेल नहीं खा रही थी, क्योंकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट जा चुका था और प्रमुख दलों की तरफ से कहा भी जाने लगा था कि सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला माना जाएगा.

लिहाज़ा इस मुद्दे पर पत्रकारों ने रक्षा मंत्री एवं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव से खबरिया में ही बात करने की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुए. तब आज़म ख़ान से अनुरोध किया गया. उन्होंने कहा कि हैलीपेड चलिए-वहां नेताजी से कहकर देखते हैं. ख़ैर आज़म ख़ान की बात को नेताजी टालते नहीं थे. हैलीपैड पर वो बात करने के लिए राज़ी हो गए. चार या पांच पत्रकार रहे होंगे. नेताजी से सवाल किया गया कि बर्क़ साहब कह दिए हैं कि बाबरी मस्जिद फिर से वहीं बनवाई जाएगी.

मुलायम सिंह यादव यह कहकर हैलीकाप्टर में बैठ गए कि बर्क़ साहब ने कहा है, उन्हीं से पूछिए. मतलब साफ था कि समाजवादी पार्टी का स्टैंड है, सुप्रीम कोर्ट का फैसला माना जाएगा. खबरिया में सय्यद चिश्ती मियां की दरगाह से उठी बात आई गई हो गई लेकिन बर्क़ साहब अपनी इस बात पर ताहयात क़ायम रहे. अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा से पहले जब उनसे एक चैनल ने बात की, तब भी उन्होंने अपना पुराना स्टैंड ही रखा.

दरअसल शफ़ीक़ुर्रहमान बर्क़ थे ही ऐसे. दिल की ज़ुबां बोलते थे. जो कह दिया वो कह दिया. अपनी कही बात से कभी पीछे नहीं हटे. कुछ बातों के लिए तो मुक़दमों का भी सामना करना पड़ा. यही वजह रही कि इंतक़ाल पर उनके ज़्यादातर चाहने वालों ने कहा-रुहेलखंड की बेबाक ज़ुबां ख़ामोश हो गई.