द लीडर : जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी (Maulana Arshad Madani) ने कहा कि, सांप्रदायिकता के खिलाफ जंग में हम अकेले कामयाबी हासिल नहीं कर सकते हैं. हमें न केवल उर्स वर्ग को बल्कि समाज के सभी समान विचारधारा वाले लोगों को अपने साथ लाना होगा. नफरत और सांप्रदायिकता की आग बुझाने के लिए सभी वर्गों से मिलजुलकर काम करने का आह्वान किया है. (Arshad Madani Communalism Hatred)
मौलाना अरशद मदनी का ताल्लुक देवबंद थॉट से है. जमीयत उलमा-ए-हिंद के दो धड़े हैं. एक के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी हैं तो दूसरे के अरशद मदनी. महमूद मदनी का भी एक ऐसा ही बयान सामने आ चुका है. जिसमें उन्होंने बरेलवियों के साथ मिलकर समाज के बुनियादी मुद्दों पर काम करने का पैगाम दिया.
दरअसल, मुसलमानों के बीच ही इतने फिरके हैं, जो कभी एक मंच साझा नहीं करते हैं. इनके बीच विचारधारा का टकराव है. भारत में बरेलवी और देवबंद, दो बड़े थॉट के ग्रुप्स हैं. जिनके करोड़ों फॉलोवर्स हैं. (Arshad Madani Communalism Hatred)
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इनका वैचारिक मतभेद जगजाहिर है. अब जब देवबंद थॉट सभी वर्गों को साथ आने की पहल पर आगे बढ़ रहा है. तो समाज से इसका स्वागत हो रहा है. अरशद मदनी का ताजा बयान भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है. जिसमें मुस्लिम समाज ही नहीं बल्कि शोषित-वंचित और पिछड़े वर्गों के लिए संवैधानिक अधिकार के मुद्दों पर साथ आने की संदेश है.
मौलाना महमूद मदनी का एक वीडियो सामने आ चुका है. जिसमें वह कहते हैं कि मुसलमानों के दुनियावी मुद्दों पर उन्हें बरेलवियों की कयादत यानी नेतृत्व भी कुबूल है. वे हमारे हैं. हम सब एक हैं. (Arshad Madani Communalism Hatred)
मदनी के इस बयान का नबीरे आला हजरत मौलाना तौकीर रजा खां ने दिल से स्वागत किया है. ये कहते हुए कि इसी पैगाम को लेकर 10 साल पहले वह देवबंद भी गए थे.
हाल के दिनों में दोनों थॉट के नेताओं की तरफ से सकारात्मक बयान सामने आ रहे है. जिसका मुस्लिम समाज भी इस्तकबाल कर रहा है. ये कहते है कि मजहबी विचारधारा को लेकर जिसका जो भी मत है, वो उस पर कायम रहे. लेकिन बुनियादी मुद्दे, समानता, संवैधानिक अधिकार, सुरक्षा जैसे मुद्दों पर एक होकर आवाज उठाने की जरूरत है.