द लीडर देहरादून।
उत्तराखंड एसटीएफ ने पावर बैंक नाम के एप्प में निवेश के नाम पर करोड़ों की ठगी का मंगलवार को खुलासा किया। इस अंतरराष्ट्रीय गिरोह के खातों की प्रारंभिक पड़ताल में 250 करोड़ से अधिक की ठगी का पता लगा है। नोएडा के सेक्टर 99 से पवन पांडेय नाम के एक सदस्य को दबोचने के बाद पुलिस के मुख्य प्रवक्ता एडीजी अभिनव कुमार ने इस प्रकरण की जानकारी मीडिया को दी।
क्रिप्टो करेंसी में बदल कर इस ठगी की रकम को विदेशी खातों में जमा किया जा रहा था। अभी यह खुलासा नहीं हुआ कि गिरोह का जाल कितने देशों में है और इसका सरगना कहाँ है। 15 दिन में रकम दोगुनी क़रने का झांसा देने वाले इस गिरोह ने 250 करोड़ की ठगी फरवरी 2021 से मई 2021 के बीच की है। देश भर में करीब 50 लाख लोगो ने ये एप डाउनलोड किया है। इनमें से कितने ठगे गए पता नहीं।
नोएडा में सी 7 एच आई जी फ्लैट ग्रीन व्यू अपार्टमेंट सेक्टर 99 से पकड़े गए पवन पांडेय पुत्र बनवारी पांडे के पास से 19 लेपटॉप,592 सिम कार्ड,5 मोबाइल फोन,4 एटीएम कार्ड और एक पासपोर्ट बरामद हुआ है। इनकी जांच के बाद और खुलासे की उम्मीद है।
एसटीएफ ने हरिद्वार में श्यामपुर निवासी रोहित कुमार और कनखल निवासी राजीव कुमार गोयल की रिपोर्ट के आधार पर अपनी पड़ताल शुरू की। उन्होंने बताया कि उनके दोस्त भी ठगी का शिकार हुए हैं। इस बीच एक ऐसा मामला टिहरी का भी सामने आया। उसके बाद साइबर सेल ने एसटीएफ के साथ जांच शुरू की तो 91200 और 73000 के पहले दो ट्रांजेक्शन की पड़ताल से ही खेल समझ में आने लगा। आगे की जांच में पता चला कि रकम icici बैंक और पेटीएम बैंक के खातों में जमा की गई। ये खाते रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज में पंजीकृत फर्मों के नाम पर हैं। यह भी पता चला कि ठगों ने कई लोगों के खातों में रकम डाली भी है ताकि उन पर विश्वास कर सकें। एक दिन में करोड़ों का लेनदेन हुआ। फिर इस रकम को क्रिप्टो करेंसी में बदल कर विदेश भेजे जाने का खुलासा हुआ।
अभिनव कुमार ने बताया कि चीन की स्टार्ट अप योजना के तहत ऐसा एप्प बनाया गया। इस मामले में आईबी और रॉ को भी सूचना दी गई है ताकि जिन विदेशी लोगों का नाम सामने आ रहे हैं उनके दूतावास से सम्पर्क कर उनकी जानकारी लेने के प्रयास होंगे।
उत्तराखंड की टीम को 20 और ऐसी शिकायतें मिली हैं जिनका परीक्षण किया जा रहा है। बेंगलुरु में भी इस तरह का एक मुकदमा दर्ज होने की जानकारी मिली है। ऐसा लग रहा कि इस गेम में कई शेल कम्पनी और लोग शामिल हैं।
कैसे किया खेल
अब तक की जानकारी से यही पता चल रहा है कि कुछ विदेशी लोगों ने भारत में संपर्क बना कर खेल शुरू किया। जिन शेल कम्पनीज के खातों का इस्तेमाल हुआ वे भारत में पंजीकृत की गई। भारतीयों के खाते में ही लेन देन हुआ। पैसा जमा करने के लिए Rezorpay और payu का भी इस्तेमाल हुआ। टीम कई एप्प की भी जांच कर रही है।