कोरोना संक्रमण के मामले में देश में एक नंबर की तरफ बढ़ रहा उत्तराखंड, फिलहाल चौथे नंबर पर

0
536

द लीडर डेस्क देहरादून।

एक करोड़ से थोड़ी सी ज्यादा आबादी वाला उत्तराखंड कोरोना संक्रमण के मामले में बड़ी तेजी से पहली पादन की तरफ बढ़ रहा है। फिलहाल जनसंख्या के औसत के हिसाब से वह केरल, महाराष्ट्र और कर्नाटक के बाद चौथी पादन पर पहुंच गया है और आंकड़े रोज छलांगे मार रहे हैं। शनिवार शाम तक नंबर दो या तीन हो जाएगा।
कुम्भ के बाबाओं और हिन्दू एजेंडे वाली प्रदेश सरकार ने प्रदेश को इस हाल में पहुंचाया। दिल्ली की तरह दावे यहां भी खूब हो रहे हैं लेकिन सच ये है कि जांच, टीकारण और इलाज ही नहीं यहां मुर्दे ठिकाने लगाने तक की तैयारी नहीं है।
यहां सक्रिय मामले 50000 से ऊपर हो रहे हैं । (1 मई शाम की रिपोर्ट आने के बाद सरकारी पुष्टि होगी)। दूसरे बड़े प्रदेशों में इनकी संख्या लाखों में है। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में तो तीन लाख से ज्यादा और दिल्ली में 97 हजार से ज्यादा मामले हैं। दिल्ली को लेकर सारे देश और मीडिया में हंगामा है कि वहां हालात बेहद गंभीर हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि यदि प्रति लाख जनसंख्या पर कोरोना संक्रमित मामलों के आधार पर देखें तो उत्तराखंड दिल्ली से बहुत बहुत आगे है। दिल्ली ही नहीं देश के अधिकतर प्रदेशों से ज्यादा गंभीर हालात उत्तराखंड में हैं। प्रति एक लाख आबादी पर सक्रिय मामलों में केवल तीन राज्य उत्तराखंड से आगे हैं जिनमें दो उत्तराखंड से मामूली रूप से ही आगे हैं। खास बात यह है कि इनमें से दो में लॉकडाउन है और उत्तराखंड से पीछे चल रहे राज्यों में भी दो से तीन दिन का वीकेंड लॉकडाउन है।
शुक्रवार के सरकारी आंकड़ों के हिसाब से उत्तराखंड में प्रति एक लाख आबादी पर 460 लोग संक्रमित हैं। इसकी तुलना में केवल महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल आगे हैं। केरल इस सूची में सबसे ऊपर है जहां एक लाख आबादी में 822 संक्रमित हैं। दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र में एक लाख पर 589 और कर्नाटक में एक लाख पर 502 सक्रिय संक्रमित हैं।
प्रति लाख आबादी के हिसाब से उतर प्रदेश 151, पंजाब 180, राजस्थान 205 , बंगाल 110, मध्य प्रदेश 108 , बिहार 186 के आंकड़े के हिसाब से काफी पीछे है। कई प्रदेशों में भी यह आंकड़ा 200 प्रति लाख से नीचे है और पूरे देश जा औसत 233 प्रति लाख ही है।

श्मशान से वापस लौटते शव

राजधानी देहरादून के लक्खीबाग स्थित मोक्ष धाम में सोशल डिस्टेंसिंग और व्यवस्था को बनाए रखने के लिए एक दिन में 20 शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। इसके लिए पहले टोकन की व्यवस्था की गई है। शुक्रवार को मोक्ष धाम के सभी टोकन बुक होने से आठ शवों का अंतिम संस्कार नहीं हो सका और उन्हें वहां से लौटा कर किसी अन्य मोक्ष धाम के लिए भेजा गया। मोक्ष धाम के पंडित अनिल शर्मा ने बताया कि शुक्रवार को आठ शवों का बिना अंतिम संस्कार किए लौटा दिया गया। ऐसे में लौटाए गए शवों का टपकेश्वर और मालदेवता में अंतिम संस्कार कराया गया।

 चिताओं की ताप से भाग रहे लोग

हरिद्वार के कनखल और खड़खड़ी के शवदाह गृहों की हालत सबसे ज्यादा खराब है। शवदाह गृह के साथ ही आसपास खाली पड़ी जमीनों पर भी अंतिम संस्कार किए जा रहे हैं।
कनखल श्मशान घाट के आसपास कई मकान हैं। लगातार चिताएं जलने से आग की तपिश मकानों तक भी पहुंच रही है। भीषण गर्मी के कारण लोगों का घरों में रहना भारी पड़ रहा है। ऐसे में आसपास रहने वाले कुछ लोग घरों में ताला लगाकर अपने रिश्तेदारों के यहां जा रहे हैं। शनिवार सुबह हरिद्वार में 15 कोविड संक्रमितों की मौत हुई है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here