द लीडर। एक बार फिर उत्तर प्रदेश भगवा रंग से रंग गया है. यहां भाजपा की शानदार जीत हुई है. सीएम योगी आदित्यनाथ एक बार फिर पूर्ण बहुमत से जीते है.
वहीं भाजपा की जीत के बाद से प्रदेश में भाजपा कार्यकर्ता और समर्थक की होली शुरू हो गई है। बता दें कि, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद जहां एक तरफ कई नए रिकॉर्ड बने तो कई रिकॉर्ड टूटे भी.
उत्तर प्रदेश राज्य में 18 साल में पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने चुनाव लड़ा है. इसके पहले 18 साल पहले यानी 2003 में मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री रहते हुए चुनाव लड़ चुके हैं. वे मैनपुरी के गुन्नौर से चुनाव लड़े थे.
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राज्य के चुनावी इतिहास में आजादी के बाद आज तक कोई मुख्यमंत्री पांच साल का कार्यकाल पूरा कर लगातार फिर से मुख्यमंत्री नहीं बना है. इससे पहले दुबारा सीएम बनने वाले कार्यकाल पूरा नहीं कर सके हैं.
सीएम योगी ने बनाया रिकॉर्ड
इसके पहले 2007 में मायावती, 2012 में अखिलेश यादव और 2017 में योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा था. तीनों बार ये नेता विधान परिषद सदस्य बनकर सीएम बन पाए थे लेकिन इसबार सीएम योगी विधायक बनकर सीएम बनने जा रहे हैं.
सीएम योगी ने 1985 यानी 37 साल बाद राज्य में अपनी पार्टी को लगातार दूसरी बार जीत दिलाने वाले सीएम बने हैं. ऐसा करने वाले वे राज्य के पांचवें मुख्यमत्री हैं.
इसबार गोरखपुर सीट से सीएम योगी ने 1,03,390 मतों के भारी अंतर से जीत हासिल किया है. उन्हें 1,64,290 वोट मिले हैं जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी सपा की सुभावती शुक्ला ने 61,775 वोट हासिल किया.
बीजेपी के लिए कई मायने में ऐतिहासिक रहा चुनाव
बीजेपी के लिए ये चुनाव कई मायने में एतिहासिक रहा. करीब 23 राज्य ऐसे रहे, जहां सिर्फ बीजेपी जीती. इसमें लखीमपुर खीरी भी शामिल है, जहां किसानों को थार से कुचल दिया गया था.
गोरखपुर की सभी नौ सीटें बीजेपी के हिस्से में
लखीमपुर खीरी के अलावा गोरखपुर की सभी नौ सीटें बीजेपी के हिस्से में आई. जबकि पिछली बार चिल्लूपार सीट बसपा के हिस्से में थी. तब यहां पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी ने जीत हासिल की थी. इस बार वह सपा के टिकट पर मैदान में थे.
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इसके अलावा देवरिया की सभी सात सीटें बीजेपी को मिली हैं. पिछली बार भाटपाररानी सीट सपा के खाते में थी. कुशीनगर की सभी 7 सीटें बीजेपी को मिल रही हैं.
जबकि पिछली बार तमकुहीराज सीट कांग्रेस के हिस्से में थी. कांग्रेस के लिए इस बार फजीहत ज्यादा इसलिए भी हुई क्योंकि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू भी चुनाव हार गए हैं.
बीजेपी ने दोहराया इतिहास
- संतकबीरनगर में भी बीजेपी ने इतिहास दोहराया है. बीजेपी ने यहां की सभी सीटें जीत ली हैं.
- गोंडा जिले की सभी सातों सीटों पर भी बीजेपी को विजय मिली है.
- हरदोई में भी बीजेपी की जीत का डंका बजा है. यहां की सभी आठों सीटों पर बीजेपी प्रत्याशियों ने जीत की पताका फहराई है. 2017 में यहां बीजेपी को सात सीटों पर जीत मिली थी.
- लखीमपुर में बीजेपी ने सभी आठ सीट जीती हैं.
- पीलीभीत जिले की चार सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है. पिछले चुनाव में भी बीजेपी को सभी चार सीट मिली थीं.
- गौतमबुद्धनगर में भी बीजेपी की जीत का सिलसिला जारी रहा. यहां की तीनों सीटें बीजेपी जीत गई है.
- वाराणसी में भी बीजेपी ने सभी नौ सीटें जीतकर क्लीन स्वीप का इतिहास दोहराया है.
- मिर्जापुर और सोनभद्र में इतिहास दोहराते हुए बीजेपी ने सभी नौ सीटें जीत ली हैं.
शाहजहांपुर में भी कई पार्टियों का सूपड़ा साफ
शाहजहांपुर में भी बीजेपी ने बाकी पार्टियों का सूपड़ा साफ कर दिया है. यहां की सारी 6 सीटें बीजेपी के हिस्से में आई हैं. इससे पहले बीजेपी ने वहां 5 सीटें जीती थीं. आगरा, एटा, अलीगढ़ और मथुरा की सारी सीटों पर बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया है.
उन्नाव में भी विपक्ष जीत के लिए तरसता नजर आया. वहां बीजेपी ने तमाम सीटों पर विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया. फर्रुखाबाद, कन्नौज, महोबा, हमीरपुर और कानपुर देहात में भी बीजेपी ने इतिहास दोहराया. यहां भी बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया है.
कई जिलों में सपा ने भी किया क्लीन स्वीप
भले ही 23 जिलों में बीजेपी की आंधी दिखी, लेकिन कई जिले ऐसे रहे, जहां उसके लिए मुश्किलें पैदा हो गईं. अंबेडकरनगर की सभी 5 सीटें समाजवादी पार्टी ने जीतीं.
वहीं आजमगढ़ में भी भगवा पार्टी के लिए मुश्किलें नजर आईं. यहां की सभी सीटें सपा के खाते में गईं. यहां कुल 10 विधानसभा सीटें हैं. वहीं कौशांबी में साइकिल पूरे दमखम से दौड़ी. जिले में सपा ने क्लीन स्वीप किया.
तीनों सीटों पर बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा. सिराथू सीट से डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य चुनाव हार गए. गाजीपुर और आजमगढ़ में सपा गठबंधन ने सभी सीटों पर जीत की पताका फहराई.
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