द लीडर : उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में मुस्लिम बुुजुर्ग अब्दुल समद के साथ मारपीट और दाढ़ी काटने की घटना में एक नहीं, बल्कि कई नए मोड़ आ गए हैं. पीड़ित के जो आरोप हैं, पुलिस ने उससे अलग कहानी पेश की है. इस तरह एक विभत्स घटना, विशुद्ध राजनीतिक रूप ले चुकी है. जिस पर सियासी घमासान छिड़ा है. गाजियाबाद पुलिस ने एक कदम आगे बढ़कर इस मामले को सांप्रदायिक रंग दिए जाने के आरोप में ट्वीटर और ट्वीटर इंडिया समेत सात के खिलाफ एफआइआर दर्ज की है.
14 जून को अब्दुल समद का एक वीडियो वायरल होता है. जिसमें कुछ युवक उनके साथ मारपीट कर कैंची से दाढ़ी काटते नजर आते हैं. बेबस बुजुर्ग, युवकों के सामने हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाते हैं, लेकिन वो उन्हें पीटते रहते. ये घटना 5 जून की है, जो लोनी में घटी.
दाढ़ी काटने का वीडियो वायरल होने के बाद अब्दुल समद का एक और वीडियो सामने आता है, जिसमें वह अपने साथ हुए हादसे की आप बीती सुनाते देखे जा रहे हैं. समद का आरोप है कि पीटने वाले युवकों ने उन्हें ‘जय श्रीराम बोलने को मजबूर किया.’
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उनके ये दोनों वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो जाते हैं. कई मीडिया हाउस और एक्टिविस्ट ये वीडियो गाजियाबाद पुलिस को टैग करके सवाल पूछते हैं. जिसके जवाब में पुलिस बताती है-‘वीडियो के संबंध में पहले से वाद पंजीकृत है. और एक आरोपी को जेल भेजा जा चुका है.’
During inquiry no communal angle found. As per them (accused), it's a case of personal dispute over an amulet. We arrested & jailed 3 accused who thrashed him. Teams are working to arrest other accused: Ghaziabad SSP on Loni incident where man was thrashed & his beard chopped off pic.twitter.com/WuXOEKv9BA
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) June 16, 2021
लेकिन जब ये घटना राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में जगह पाती है. तो पुलिस भी हरकत में आती. 14 जून को पुलिस ने इस मामले में दो आरोपी कल्लू और आदिल को गिरफ्तार किया. 15 जून को पूरे घटनाक्रम का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने बताया कि ‘घटना व्यक्तिगत रंजिश में हुई. प्रवेश गुर्जर के अलावा कल्लू, आदिल, आरिफ और मुशाहिद शामिल थे. बुजुर्ग ताबीज बनाने का काम करते थे. ताबीज से उनके परिवार पर उलटा असर हुआ. और इसी कारण उन्होंने घटना को अंजाम दिया.’
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चूंकि 14 जून को जब ये वीडियो वायरल हुआ, तब इस मामले को सांप्रदायिक घटना से जोड़कर देखा जा रहा था. लेकिन पुलिस के खुलासे के बाद पुलिस, सरकार और भाजपा तीनों आक्रामक हो गए हैं. एक तरफ सरकार इस मामले को सांप्रदायिक एंगल से देखने वालों को आड़े हाथ ले रही है.
जिसमें राहुल गांधी के एक ट्वीट के जवाब में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद उन्हें कड़ा जवाब देते हैं. तो दूसरी ओर पुलिस ने घटना को सांप्रदायिक एंगल दिए जाने के आरोप में कार्रवाई भी शुरू कर दी है.
हालांकि मखतूब मीडिया की एक रिपोर्ट, पुलिस के दावे पर सवाल खड़े करती है, जो घटना में आरोपी बनाए गए आदिल के भाई मुहम्मद साजिद के हवाले से प्रकाशित की गई है. मखतूब मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, ‘आदिल और उनके दोस्तों को सूचना मिली कि प्रवेश गुर्जर, अब्दुल समद नामक बुजुर्ग की पिटाई कर रहे हैं. आदिल उन्हें बचाने पहुंचा था.’

मखतूब मीडिया ने अपनी रिपोर्ट में आदिल के दूसरे भाई मुहम्मद शहजाद के एक ट्वीट के हवाले से लिखा है,-‘उनका भाई निर्दोष है. और असल मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है.’
बहरहाल, यूपी पुलिस के एक्शन के बाद कई लोगों ने अपने पुराने ट्वीट डिलीट कर दिए हैं, जिसमें इस घटना को सांप्रदायिक एंगल से जोड़कर टेक्सट-वीडियो कंटेट जारी किया गया था.