Kumbh covid report scam अनुभवहीन कंपनी ने बना दी एक लाख फर्जी रिपोर्ट संक्रमण कम दिखाने का था खेल

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जयोति एस द लीडर हरिद्वार

कुम्भ में तीन दिन पहले जांच के दायरे में आये करोड़ों के कोविड जांच घोटाले का जाल बहुत उलझा हुआ है। इसे दबाने के लिए भी कई स्तर पर जतन हुए। गुजरात की कंपनी की सिफारिश स्वास्थ्य जांच के मामले में कतई अनुभवहीन दिल्ली की कंपनी मैक्स कारपोरेशन को ठेका देने वाले कुम्भ मेला अधिकारी स्वास्थ्य इसके मध्य में हैं। दिलचस्प बात यह है कि शासन के निर्देश पर जांच कर रहे हरिद्वार के मुख्य विकास अधिकारी ने जब दौरान ए जांच मेला अधिकारी स्वास्थ डॉक्टर अर्जुन सिंह सेंगर से जवाब मांगा तो उन्होंने खुद अपने अधीनस्थों की एक और जांच टीम बना दी। बताया तो ये जा रहा है कि अगर जांच हुई तो बात उस व्यक्ति तक भी जा सकती है जिसके निर्देश पर सेंगर ने ठेका दिया और ऐसा हुआ तो मामला सियासी बहस में चला जायेगा।
मुख्य विकास अधिकारी सौरभ गहरवार की अध्यक्षता वाली  समिति की ओर से की गई जांच में निजी एजेंसी की रिपोर्ट में कई अनियमितताएं पाई गईं। जांच में पाया गया है कि इसमें 50 से अधिक लोगों को रजिस्टर्ड करने के लिए एक ही फोन नंबर का उपयोग किया गया था। वहीं एक एंटीजन टेस्ट किट से 700 सैंपल्स की टेस्टिंग की गई थी।
सबसे बड़े फर्जीवाड़े की बात ये है कि एक ही घर ‘हाउस नंबर 5’ से ही 530 सैंपल लिए गए। क्या एक ही घर में 500 से अधिक लोग रह सकते हैं? उन्होंने बताया कि फोन नंबर भी फेक थे और कानपुर, मुंबई, अहमदाबाद और 18 अन्य जगहों के लोगों ने एक ही फोन नंबर शेयर किए।
ये भी बताया गया कि एजेंसी में रजिस्टर्ड करीब 200 नमूना संग्राहक छात्र और डेटा एंट्री ऑपरेटर या राजस्थान के निवासी निकले, जो कभी हरिद्वार नहीं गए थे। सैंपल लेने के लिए एक सैंपल कलेक्टर को शारीरिक रूप से मौजूद होना पड़ता है। एक अफसर ने बताया कि- जब हमने एजेंसी के साथ रजिस्टर्ड सैंपल कलेक्टर्स से संपर्क किया, तो हमने पाया कि उनमें से 50 फीसदी राजस्थान के निवासी थे, जिनमें से कई छात्र या डेटा एंट्री ऑपरेटर थे। जाहिर है किसी सर्विस प्रोवाइडर एजेंसी से लोगो के पर्सनल डिटेल्स लेकर बैठे बैठे खेल किया गया।

कुंभ के दौरान उत्तराखंड हाईकोर्ट की ओर से प्रतिदिन कम से कम 50,000 कोरोना जांच करने का निर्देश देने के बाद राज्य सरकार की ओर से 8 और सैंपल कलेक्टर एजेंसियों को टेस्टिंग करने का काम सौंपा गया था। घोटाला कर रही एजेंसी की ओर से किए गए 1 लाख कोरोना टेस्ट में से 0.18 प्रतिशत पॉजिटिविटी रेट था। जब दूसरी एजेंसियों ने भी काम किया में हरिद्वार में पॉजिटिविटी रेट 10 प्रतिशत तक चला गया था।
लगता है पूरे सिस्टम का ध्यान बस एक ही बात पर था कि जांच रिपोर्ट आएं और नेगेटिव ही आएं ताकि बताया जा सके कि कुम्भ के बाद भी कोई संक्रमण नहीं हो रहा है। हरिद्वार में 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक 22 प्राइवेट लैब्स की तरफ से लगभग 4 लाख कोरोना टेस्ट किए गए थे।

कैसे हुआ फर्जीवाड़ा

मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले व्यक्ति की गुजरात बेस्ड कंपनी की सिफारिश पर मैक्स कारपोरेशन को बिना अनुभव के करोड़ों का ठेका मिलने के पीछे तो साफतौर पर राजनीतिक पहुंच और हरिद्वार के एक होटल में डेरा जमाए बैठी लड़की की लाइजनिंग है। ये लड़की कुम्भ के दौरान खूब चर्चाओं में रही। बताते हैं उसके कहने पर कुछ और लोगों को भी काम दिया गया। सरकारी दफ्तरों में अक्सर नजर आने वाली ये रसूख वाली लड़की गुजराती कंपनी के मालिक की विदेशी डिग्री वाली बेटी  और कंपनी की निदेशक बताई जाती थी। साफ शव्दों में कहें तो मेले से जुड़े अफसर उसके प्रभाव में थे।
गुजराती कंपनी ने या सीधे कहें इस लड़की ने मैक्स कारपोरेशन को ठेका तो दिलवा दिया लेकिन मैक्स कॉरपोरेशन के पास अपना सेटअप था नहीं इसलिए उसने हरियाणा में हिसार की नलवा लैब और दिल्ली की लाल चंदानी लैब को काम बांट दिया जाहिर है ये भी जुगाड़ की पार्टियां थी और इन्हें मूल कंपनी के मुनाफे के ऊपर अपना मुनाफा निकालना था। ऐसे में एक ही तरीका बचता था कि फर्जी रिपोर्ट बनाएं और सरकारी दर से जो मिल रहा है उसे मिल बांट कर खाएं। एजेंसी को एक टेस्ट के लिए 350 रुपये से अधिक का भुगतान किया गया था, जिसका अर्थ है कि घोटाला करोड़ों में चला है।

काफी दबाया पर मित्तल जी भी अड़ ही गए जांच पर

याद होगा फर्जी जांच की बात तो पिछले महीने ही खुल गई थी जब कुछ स्थानीय लोगों की शिकायत पर मंत्री सुबोध उनियाल ने कुछ लोगों की फर्जी कोविड जांच की बात स्वीकार की थी और एक लैब में काम करने महिला को सामने लाया गया था। ये मामला दब ही गया था कि फिरोजपुर पंजाब के नवीन मित्तल अपनी फर्जी रिपोर्ट का पता लगाने निकल पड़े। अपने मोबाइल पर जांच रिपोर्ट देख उन्होने पहले अपने जिले के सी एम ओ को लिखा। कोई सुनवाई नहीं हुई तो अपने डी सी यानी जिलाधिकारी के यहां दरख्वास्त दी। कोई जवाब न आने पर icmr को लिखा। उनकी चुप्पी पर जब आरटीआई लगाई तो जांच शुरू हुई। पता चला ये जांच तो हरिद्वार में हुई। उत्तराखंड सरकार को इस बारे में लिखा गया तो राज्य के स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने मामले की प्रारंभिक जांच कराई। कोविड-19 मामलों के चीफ कंट्रोलिंग आफिसर डा. अभिषेक त्रिपाठी के स्तर से की गई इस जांच में प्रथमदृष्टया शिकायत सही पाई गई। उन्होंने एक लाख से अधिक कोरोना जांच में गड़बड़ी की आशंका जाहिर की है। डा. त्रिपाठी ने शासन को सौंपी अपनी रिपोर्ट में मामले को गंभीर बताते हुए इसकी विस्तृत जांच की सिफारिश की थी। इसके मद्देनजर स्वास्थ्य सचिव ने हरिद्वार के जिलाधिकारी को कुंभ मेला अवधि, इससे पहले और इसके बाद हुई कोरोना जांच की विस्तृत छानबीन के निर्देश दिए थे।
कुंभ मेले के दौरान श्रद्धालुओं की कोरोना जांच में धांधली की असलियत का पता लगाने के लिए जिलाधिकारी सी रविशंकर ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है। मुख्य विकास अधिकारी सौरभ गहरवार की अध्यक्षता में गठित समिति में मुख्य कोषाधिकारी और जिला विकास अधिकारी शामिल हैं। समिति 15 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

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