UP में 100 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे ओवैसी, बसपा से गठबंधन को मायावती ने खारिज किया

द लीडर : उत्तर प्रदेश में अगले साल-2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन AIMIM के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्​दीन ने 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. इससे पहले बहुजन समाज पार्टी के साथ ओवैसी के गठबंधन की अटकलों को बसपा सुप्रीमों मायावती ने खारिज कर दिया. उन्होंने एक बयान में स्पष्ट किया कि बसपा अकेले चुनाव लड़ेगी.

दरअसल, रविवार को पहले ये खबर चली कि यूपी में ओवैसी बसपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ेंगे. अगले ही पल पूर्व मुख्यमंत्री मायावती सामने आईं. और ट्वीटर पर उन्होंने इस खबर को अफवाह बताकर गठबंधन के कयासों पर विराम लगा दिया. उन्होंने एक के बाद एक लगातार चार ट्वीट करते हुए किसी भी पार्टी से गठबंधन किए जाने से साफ इन्कार कर दिया. साथ ही हिदायत दी कि मीडिया झूठी खबरें न चलाए.

 

पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ट्वीट करते हुए लिखा कि मीडिया के एक न्यूज चैनल में कल से यह खबर प्रसारित की जा रही है कि यूपी में आगामी विधानसभा चुनाव औवेसी की पार्टी AIMIM व बीएसपी मिलकर लड़ेगी. यह खबर पूर्णतः गलत, भ्रामक व तथ्यहीन है. इसमें रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है और बीएसपी इसका जोरदार खंडन करती है.


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वैसे इस संबंध में पार्टी द्वारा फिर से यह स्पष्ट किया जाता है कि पंजाब को छोड़कर, यूपी व उत्तराखंड में अगले वर्ष के प्रारंभ में होने वाला विधानसभा का चुनाव बीएसपी किसी भी पार्टी के साथ कोई भी गठबंधन करके नहीं लड़ेगी. वह अकेले ही चुनाव मैदान में उतरेगी.

मायावती के गठबंधन की खबरों को खारिज करने के कुछ घंटों बाद ही ओवैसी ने यूपी में 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी. ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी किसी बड़े दल के साथ समझौता करके चुनाव नहीं लड़ेगी. छोटे दलों में भी सुहेलदेव पार्टी के साथ उनकी बात हुई है. और उसी गठबंधन के साथ मैदान में उतरेंगे.

ओवैसी की यूपी चुनाव में एंट्री ने सियासी पारा चढ़ा दिया है. इससे सपा, बसपा और कांग्रेस तीनों पार्टियां बेचैन हैं. इसलिए क्योंकि हर विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटबैंक इन्हीं पार्टियों के हिस्से में जाता रहा है. लेकिन ओवैसी के आने के बाद इसमें सेंधमारी का खतरा पैदा हो गया है.

मीडिया सेल के प्रमुख बने सतीश चंद्र मिश्र

बीएसपी के बारे में इस किस्म की मनगढ़ंत व भ्रमित करने वाली खबरें चलाई जा रही है. इसको खास ध्यान में रखकर अब बीएसपी के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सांसद सतीश चन्द्र मिश्र को बीएसपी मीडिया सेल का राष्ट्रीय कोओर्डिनेटर बना दिया गया है.

उन्होंने मीडिया से अपील कि वे बहुजन समाज पार्टी व पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष आदि के संबंध में ऐसी भ्रामक करने वाली अन्य कोई भी गलत खबर लिखने, दिखाने व छापने से पहले सतीश चंद्र मिश्र से सही जानकारी जरूर प्राप्त कर लें.


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बीएसपी की यूपी में स्थिति

बीएसपी ने 2007 के यूपी विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल किया. बीएसपी को 206 सीटें मिली थी. मगर 10 सालों में बसपा की पकड़ लोगों में इतनी कमजोर हो चुकी है कि वह 2017 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ 19 सीटों पर ही सिमट गई.

लोकसभा चुनाव में भी बसपा कुछ कमाल नहीं कर पाई. 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर चली तो बसपा एक भी सीट पर अपना खाता नहीं खोल सकी. जबकि वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के खिलाफ समाजवादी पार्टी से गठबंधन के साथ चुनाव लड़ा. हालांकि, इसमें भी कोई खास सफलता नहीं मिली. बसपा को 10 सीटें हासिल कर संतोष करना पड़ा. बसपा ने लोकसभा में असफलता का दोष सपा पर मढ़ते हुए गठबंधन तक तोड़ दिया.

उप्र में बसपा कितनी सक्रिय

अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने है, लेकिन इसके बावजूद बसपा अभी तक खासी सक्रिय नजर नहीं आ रही. मजबूत विपक्ष के तौर पर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की तुलना में बसपा की भूमिका कमजोर दिख रही है.

जब पूरे देश के साथ उत्तर प्रदेश कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा था, स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर चिकित्सीय ढांचा बेपटरी हो चुका था. उस दौरान बसपा ठंडे बस्ते में नजर आई. सपा और कांग्रेस विपक्ष की भूमिका निभाते हुए सरकार की नाकामी पर लगातार निशाना साधती रही, लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती समेत पार्टी के अन्य बड़े नेता नदारद दिखे.

पिछले दिनों फिल्म अभिनेता रणदीप हुड्डा का एक वीडियो वायरल होने के बाद मायावती सुर्खियों में जरूर आई, इसके अलावा मायावती या बसपा किसी मुद्दे या घटना को लेकर सक्रिय नजर नहीं आई. कोरोना का प्रकोप कम होने, चुनावी सरगर्मी बढ़ने पर पिछले कुछ दिनों से मायावती सोशल मीडिया पर जरूर सक्रिय हुई है.

Abhinav Rastogi

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