लखनऊ : हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्मांतरण अध्यादेश (लव जिहाद) से जुड़ी उस याचिका को खारिज करने से इनकार कर दिया है, जिसमें अध्यादेश (Ordinance) को चुनौती दी गई है. गुरुवार को चीफ जस्टिस (Chief Justice) गोविंद माथुर और जस्टिस एसएस शमशेरी की पीठ (Bench) इस मामले को सुन रही थी. अदालत (Court) ने कहा कि, सुप्रीमकोर्ट ने इस मामले में स्टे आदेश नहीं दिया है. लिहाजा सुनवाई जारी रहेगी. अब 15 जनवरी को नए सिरे से मामले को सुना जाएगा. (High Court Conversion Ordinance)
नवंबर में उप्र सरकार धर्मांतरण अध्यादेश लाई थी. जिसमें शादी के लिए धर्म परिवर्तन को प्रतिबंधित किया गया गया है. अध्यादेश के मुताबिक अंतरधार्मिक विवाह के लिए पहले प्रशासन को अवगत कराना होगा. यानी जिला प्रशासन मामले की जांच करेगा.
इसके बाद ही ऐसी शादियां हो सकेंगी. एक याचिकाकर्ता ने इस अध्यादेश को अनावश्यक और असंवैधानिक बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रखी है.
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हालांकि राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट में पेश अपने जवाब में अध्यादेश को जरूरी बताया गया है. यह कहते हुए कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के मकसद से इसे बनाया गया है. एक दिन पहले यानी बुधवार को सुप्रीमकोर्ट में अध्यादेश के संबंध में सुनवाई हुई थी.
सुप्रीमकोर्ट ने यूपी और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया था. राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में कहा कि इस मामले की सुनवाई सुप्रीमकोर्ट में हो रही है, इसलिए इन याचिकाओं को खारिज किया जाए.
यूपी में दर्ज हो चुके दर्जनभर से अधिक मामले
लव जिहाद अध्यादेश आने के बाद से यूपी में करीब 15 मामले दर्ज हो चुके हैं. और 50 से अधिक लोगों की गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. इसमें कुछ मामले विवादित भी रहे. जिससे कार्रवाई पर सवाल उठे. हाल ही में बरेली के फरीदपुर से एक मामला सामने आया था.
जिसमें पुलिस ने तीन युवकों के विरुद्ध नए कानून के अंतर्गत केस दर्ज किया था. बाद में पुलिस जांच में मामला फर्जी पाया गया, तो पुलिस ने इस मामले को बंद कर दिया था.