द लीडर | उत्तर प्रदेश सरकार ने सीएए मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज अपना जवाब दाखिल किया है. सरकार ने कोर्ट को बताया कि उसने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में प्रदर्शन करने वालों के विरुद्ध भरपाई के लिए जारी नोटिस को वापस ले लिया है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अब तक की गई वसूली को लौटाने के भी आदेश दिए है. हालांकि कोर्ट ने यूपी सरकार को नए कानून के तहत कार्रवाई करने की आजादी दे दी है.
UP govt tells SC that all show-cause notices have been withdrawn against anti-CAA protesters
Apex court was hearing a plea seeking quashing of the recovery notices issued by UP admin to recover damage caused to public properties in connection with protests against CAA pic.twitter.com/6qOJcDAjF7
— ANI (@ANI) February 18, 2022
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नोटिस वापस लिए गए: यूपी सरकार
उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ शुरू की गई समस्त कार्रवाई और भरपाई के लिए जारी नोटिस वापस ले लिए हैं. बहरहाल, कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नए कानून के तहत कथित सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने की स्वतंत्रता प्रदान की.
वापस लिए 274 नोटिस
सुप्रीम कोर्ट को जानकारी देते हुए यूपी सरकार ने बताया कि संपत्ति नष्ट करने के लिए और सीएए के विरोध में प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ जारी 274 नोटिस को 13 और 14 फरवरी को वापस ले लिया गया.
सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त
बता दें कि 11 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ने उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया है. जस्टिस जय वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने राज्य सरकार के कानून अधिकारी से पूछा था कि आप शिकायतकर्ता हो गए हो, आप साक्षी हो गए हो, आप अभियोजक बन गए हैं और फिर आप ही लोगों की संपत्तियां कुर्क करते हैं. क्या किसी कानून के तहत इसकी अनुमति है? इससे पहले के एक ऐसे ही मामले में शीर्ष अदालत ने 2009 में नुकसान का आकलन करने और दोषियों की पहचान के लिए हाई कोर्ट के वर्तमान या रिटायर्ड जज को क्लेम कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश दिया था. दिसंबर 2019 में कुछ जगहों पर सीएए विरोधी प्रदर्शन हिंसक हो गए.
जब्त संपत्ति लौटाने का आदेश
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और सूर्य कांत की बेंच ने इससे सहमति जताई. यूपी सरकार की वकील गरिमा प्रसाद ने इसका कड़ा विरोध किया. उन्होंने कहा कि फिलहाल मामला क्लेम ट्रिब्यूनल में चलने देना चाहिए. तब तक जब्त की गई संपत्ति वापस लौटाने को नहीं कहा जाना चाहिए. इससे समाज मे सही संदेश नहीं जाएगा. गैरकानूनी काम करने वाले लोगों को शह मिलेगा. लेकिन जज इससे आश्वस्त नज़र नहीं आए. बेंच ने कहा, “जो नोटिस रद्द कर दिए गए हैं, उनके आधार पर की गई कार्रवाई को कैसे बरकरार रहने दिया जा सकता है? यूपी सरकार को नए कानून के आधार पर कार्रवाई से नहीं रोका जा रहा है. क्लेम ट्रिब्यूनल जो भी वसूली का आदेश देगा, उसके आधार पर कार्रवाई करे.”
योगी सरकार ने लिया था सख्त फैसला
राज्य में 2019 के दौरान कई शहरों में सीएए विरोधी दंगे हुए थे. दंगाईयों ने सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया था. जिसके बाद राज्य सरकार ने दंगाईयों के खिलाफ कार्यवाही करते हुए उनकी फोटो को सार्वजिनक स्थानों पर लगाया था. वहीं राज्य सरकार ने नुकसान के लिए नोटिस भी दंगाईयों को जारी किया था.