संयुक्त किसान मोर्चा मना रहा “विश्वासघात दिवस” राकेश टिकैत बोले- सरकार ने पूरा नहीं किया एक भी वादा

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द लीडर | संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) 31 जनवरी को केंद्र सरकार पर किसानों को लेकर हुए समझौते का मान न रखने का आरोप लगा कर आज देश भर में विश्वासघात दिवस मना रहा है। जिला व तहसील स्तर पर किसान विरोध प्रदर्शन कर डीसी को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देंगे। ज्ञापन में SKM ने केंद्र की मोदी सरकार पर यह कह कर हमला बोला है कि महामहिम…किसानों के साथ फिर धोखा हुआ है।

कोई वादा पूरा नहीं किया

किसानों का कहना है कि 15 जनवरी के फैसले के बाद भी, भारत सरकार ने 9 दिसंबर के अपने पत्र में किया कोई वादा पूरा नहीं किया है। इसमें मांग की गई थी कि आंदोलन के दौरान हुए दर्ज किए गए मामलों को तत्काल वापस लिया जाए और शहीद परिवारों को मुआवजा दिया जाए, लेकिन अब तक कोई वादा पूरा नहीं हुआ। वहीं, एमएसपी के मुद्दे पर भी सरकार ने कमेटी के गठन की कोई घोषणा नहीं की है, इसलिए मोर्चे ने देशभर में किसानों से आह्वान किया है कि ‘विश्वासघात दिवस’ के माध्यम से सरकार तक अपना रोष पहुंचाएं।


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जारी रहेगा ‘मिशन उत्तर प्रदेश’

शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने यह स्पष्ट किया है कि ‘मिशन उत्तर प्रदेश’ जारी रहेगा। मतलब बीजेपी को यूपी विधानसभा चुनाव में सबक सिखाया जाएगा। इसके तहत, देश के गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को बर्खास्त और गिरफ्तार न करने और उत्तर प्रदेश सरकार की किसान विरोधी नीतियों को लेकर उत्तर प्रदेश की जनता से बीजेपी को सजा देने का आह्वान किया जाएगा। इस मिशन को आगामी 3 फरवरी को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए मीडिया के सामने रखा जाएगा। इसके तहत एसकेएम के सभी संगठन पूरे प्रदेश में साहित्य वितरण, प्रेस कॉन्फ्रेंस, सोशल मीडिया और सार्वजनिक सभा के माध्यम से भाजपा को सजा देने का संदेश पहुंचाएंगे।

समर्थन में उतरे जयंत चौधरी

रालौद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने ट्वीट कर टिकैत के ऐलान का समर्थन किया है। उन्होंने लिखा, अन्नदाता के साथ वादाखिलाफी पाप है! दरअसल, केंद्र की मोदी सरकार पर किसानों से किए गए वादों को पूरा न करने पर सोमवार यानी आज कृषि मुद्दों पर ‘विश्वासघात दिवस’ मानाने का ऐलान किया गया है।


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यूपी में बीजेपी की मुश्किलें बढ़ाएंगे किसान

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि ‘मिशन उत्तर प्रदेश’ जारी रहेगा, जिसके जरिए इस किसान विरोधी सत्ता को सबक सिखाया जाएगा। इसके तहत केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी को बर्खास्त और गिरफ्तार ना करने, केंद्र सरकार द्वारा किसानों से विश्वासघात और उत्तर प्रदेश सरकार की किसान विरोधी नीतियों को लेकर जनता से सख्त फैसला लेने का आह्वान किया जाएगा। 3 फरवरी को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए मिशन के नए दौर की शुरुआत होगी। इसके तहत एसकेएम के सभी संगठनों द्वारा पूरे प्रदेश में साहित्य वितरण, प्रेस कॉन्फ्रेंस, सोशल मीडिया और सार्वजनिक सभा के माध्यम से भाजपा को ‘सजा’ देने का संदेश पहुंचाया जाएगा।

क्या है किसानाें की मांगें

  • किसान आंदोलन के दौरान केंद्र सरकार द्वारा लिखित में किए गए वायदों को पूरा किया जाए।
  • एमएसपी पर फसल खरीद की कानूनी गांरटी दी जाए।
  • आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज सभी मुकदमें वापस लिए जाएं।
  • आंदोलन के दौरान मारे गए सभी किसानों के परिवार को मुआवजा एवं पुनर्वास की व्यवस्था की जाए।
  • मौसम की मार से खराब हुई फसलों का किसान को मुआवजा दिया जाए

कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने किया था विरोध

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की मुख्य मांगों को लेकर नवंबर 2020 में किसानों ने संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन शुरू किया था। किसानों ने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी समेत अन्य मांगों पर एक साल से अधिक समय तक सिंघू, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2021 में विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की, जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने दिसंबर में दिल्ली की सीमाओं को खाली कर दिया।

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