त्रिपुरा हिंसा के खिलाफ बोलने वालों पर UAPA का देश भर से विरोध, दरगाह आला हजरत से भी उठी आवाज

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Tripura Violence UAPA Activist
त्रिपुरा में हिंसा के फैक्ट जुटाते वकील, दूसरी तस्वीर दरगाह आला हजरत-बरेली की है.

द लीडर : त्रिपुरा सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने वाले वकील, एक्टिविस्ट-छात्र और पत्रकारों के खिलाफ गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA)के तहत कार्रवाई पर समाज के हर वर्ग से कड़ी प्रतिक्रिया सामने आ रही है. लीगल संस्थाएं, सामाजिक और धार्मिक संगठन, छात्रों ने एक सुर में यूएपीए हटाने की मांग उठाई है. इसको लेकर त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार को देव को मांग पत्र भेजे हैं. (Tripura Violence UAPA Activist)

अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े में त्रिपुरा में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी. जिसमें अल्पसंख्यक मुसलमानों को निशाना बनाया. इसके विरोध में देश भर के एक्टिविस्ट और सामाजिक संगठनों ने अपना विरोध दर्ज कराया.

पिछले दिनों सुप्रीमकोर्ट के वकीलों की एक फैक्ट फाइंडिंग टीम ने राज्य के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करके एक रिपोर्ट सार्वजनिक की थी. जिसमें हिंदुत्ववादी संगठनों के हिंसा में शामिल होने का दावा किया था. अगरतला पुलिस ने इस टीम के दो वकील, एडवोकेट अंसार इंदौरी और एडवोकेट मुकेश के अलावा करीब 68 एक्टिविस्ट, छात्र और अन्य लोगों के खिलाफ यूएपीए का केस दर्ज किया है. इस इल्जाम में कि इन्होंने भड़काऊ सामग्री शेयर कर, आपराधिक साजिश रचने का कृत्य किया है.


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इसको लेकर दरगाह आला हजरत के संगठन जमात रजा-ए-मुस्तफा के उपाध्यक्ष सलमान हसन खां के नेतृत्व में एक बैठक हुई. जिसमें सामाजिक कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई की निंदा करते हुए, यूएपीए हटाने की मांग की है. (Tripura Violence UAPA Activist)

जमात के उपाध्यक्ष सलमान हसन ने कहा कि त्रिपुरा हिंसा से अल्पसंख्यकों में भय का माहौल है. हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं. लेकिन इससे भी बड़ा दुखद पहलू ये है कि जिन लोगों ने हिंसा के विरुद्ध आवाज उठाई. फैक्ट सामने रखे. उन पर झूठे आरोप लगाकर कार्रवाई की जा रही है.

उन्होंने कहा कि देश संविधान से चलता है और चलेगा, न कि डर दिखाकर. सरकार से हमारी मांग है कि झूठे मामले वापस लिए जाएं. (Tripura Violence UAPA Activist)


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