द लीडर : भारत का पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा करीब दो सप्ताह तक सांप्रदायिक हिंसा में सुलगता रहा. हिंदुत्ववादी संगठनों ने अल्पसंख्यक मुसलमानों के खिलाफ जमकर तांडव किया. मस्जिदें, मकान और दुकानों को जला डाला. लेकिन पुलिस यही दावा करती रही कि, त्रिपुरा में राम राज्य है. कहीं कोई हिंसा नहीं हुई. न ही मस्जिदें जलाई गईं. अब सुप्रीमकोर्ट के वकीलों की एक फैक्ट फाइंडिंग टीम ने त्रिपुरा के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करके, पुलिस के झूठे दावे को बेनकाब कर दिया है. (Tripura Riots Masjid Burnt)
फैक्ट फाइंडिंग टीम जिसमें, नेशनल कंफेडरेशन ऑफ ह्रयूमन राइट्स ऑग्रेनाइजेशन (NCHRO)के पदाधिकारी भी शामिल हैं-ने अगरतला प्रेस क्लब में एक कांफ्रेंस की है. जिसमें पुलिस की मौजूदगी में दंगों का आरोप लगाया है.
सुप्रीमकोर्ट के वकील एहतिशाम हाशमी ने कहा, त्रिपुरा की हिंसा में हमारी पड़ताल में ये सामने आया है कि, रैलियों में सीधे पैगंबर-ए-इस्लाम को निशाना बनाया गया. उनके खिलाफ नारे लगाए गए. इस भीड़ का नेतृत्व राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी के नेता और विश्व हिंदू परिषद के लोग कर रहे थे.
वहां पुलिस भी थी. पुलिस के सामने दंगे हुए. लेकिन वो खामोश रही. दंगा भड़काने वाल कितने लोगों पर एफआइआर हुई है, ये जानकारी नहीं मिल पाई है. (Tripura Riots Masjid Burnt)
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दूसरी तरफ पुलिस ये आरोप लगा रही है कि बाहर से आने वाले लोगों ने माहाैल बिगाड़ा है. अगर ऐसा है, तो उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज करके जेल में क्यों नहीं डाला गया?
एहतिशाम हाशमी ने कहा कि बांग्लादेश हिंसा के खिलाफ निकाली गई रैलियों में 4-5 हजार की भीड़ थी. पहला सवाल यही है कि कोविड में रैली की अनुमति कैसे मिल गई. अधिकारिक रूप से रैलियों को निकालने की इजाजत दिए जाने की हमें भी कोई जानकारी नहीं मिल सकी.
टीम ने दावा किया है कि राज्य में सुनियोजित तरीके से हिंसा फैलाई गई. जिसमें मस्जिदों पर हमले किए गए. उन्हें जलाया गया. मुसलमानों के मकान और दुकानों को टारगेट किया गया. फैक्ट फाइंडिंग टीम में एडवोकेट अमित श्रीवास्तव, एडवोकेट अंसार और एडवोकेट मुकेश कुमार शामिल हैं.
त्रिपुरा हिंसा के कितने ही वीडियो सामने आए हैं. जिसमें आगजनी और हिंसा नजर आ रही है. इन पर हंगामा खड़ा होने के बाद त्रिपुरा पुलिस के आला अधिकारियों ने वीडियो बयान जारी किए. दावा किया है कि राज्य में शांति है. और सोशल मीडिया पर हिंसा की फेक न्यूज वायरल की जा रही हैं. (Tripura Riots Masjid Burnt)
जमीयत उलमा-ए-हिंद की एक फैक्ट फाइंडिंग टीम भी त्रिपुरा के दौरे पर है. स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑग्रेनाइजेशन ऑफ इंडिया समेत कई संस्थाएं राज्य के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों से फैक्ट कलेक्ट कर रही हैं. जिनमें ये सामने आ रहा है कि मस्जिदें जलाई गई हैं.
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एसआइओ के मुताबिक, राज्य में करीब 15 मस्जिदों को निशाना बनाया गया है. जो पुलिस के दावों से एक दम अलग है. अब जब हिंसा की भयावह तस्वीरों की सच्चाई सामने आ रही है. तब पुलिस सन्नाटे में है. इसलिए भी, क्योंकि त्रिपुरा हाईकोर्ट ने भी घटनाओं का संज्ञान लेकर स्वत: सुनवाई शुरू कर दी है.
दूसरी बात ये है कि मैनस्ट्रीम मीडिया से राज्य की इस सांप्रदायिक हिंसा की मूल खबरें गायब हैं. और ये नैरेटिव सेट किया जाने लगा कि त्रिपुरा में कोई हिंसा नहीं हुई है. बल्कि फेक न्यूज फैलाई जा रही है. इसके संदर्भ में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के हिंसा की निंदा वाले बयान पर बहस खड़ी करने की कोशिश की जा रही है. (Tripura Riots Masjid Burnt)
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Tripura Police appeals to all not to spread rumours regarding panisagar incident. Please do not retweet or like social media posts without verification since it amounts to endorsing the view. pic.twitter.com/M68g0HTNqk
— Tripura Police (@Tripura_Police) October 28, 2021
काबिलेगौर है कि बांग्लादेश में 13 अक्टूबर को दुर्गा पूजा पर अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाया गया था. इसके विरोध में त्रिपुरा में 13 अक्टूबर से विरोध-प्रदर्शन शुरू हुए. और इसकी भीड़ राज्य के अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने लग गई. करीब 2 सप्ताह तक राज्य हिंसा की आग में तपता रहा. लेकिन असल तस्वीर देश के सामने नहीं आ सकी.
त्रिपुरा बांग्लादेश की सीमा से सटा है. तीन छोर से इस राज्य की सरहदें बांग्लादेश से मिलती हैं. एक तरफ मिजोरम और असम से भी इसकी सीमा सटी है. इसी महीने यहां के 20 शहरों में नगर निकाय के चुनाव होने हैं. और विधानसभा चुनाव की भी तैयारी चल रही है. राज्य में भाजपा की सरकार है. मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देव हिंसा पर एक शब्द भी नहीं बोले हैं. (Tripura Riots Masjid Burnt)
त्रिपुरा पुलिस ने सांप्रदायिक हिंसा पर अफवाह फैलाने के आरोप में पांच केस दर्ज किए हैं. पुलिस ने कहा कि ये कार्रवाई लगातार जारी रहेगी. पुलिस का दावा है कि हिंसा को लेकर सोशल मीडिया पर भ्रामक खबरें फैलाई गई हैं. उनके विरुद्ध कार्रवाई की जा रही है.