आज कृषि कानूनों पर विवाद छिड़ा है लेकिन टीपू सुल्तान ने सामंतवाद का खात्म कर किसानों को भूमि का मालिक बना दिया था

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खुर्शीद अहमद


टीपू सुल्तान को आजादी के नायक के रूप में हर कोई जानता है लेकिन टीपू सुल्तान एक उत्कृष्ट आयोजक और असाधारण दूरदर्शी जननायक और नेता थे. कृषि विकास अपने सरकार के वर्षों में सिंचाई सुविधाओं, नहर, तालाब, सड़कें, पुल और बंदरगाह बनवाए. नए शहरों में वृद्धि, छोटे-बड़े उद्योगों, सैन्य और प्रशासनिक सुधारों पर काम किया. राजनयिक संपर्क बढ़ाए. आंतरिक मामलों पर बातचीत महत्वपूर्ण प्रशासनिक और निर्माण मामलों में उलझे रहे. शहादत के बाद उनके खंड से मिले चार हजार से अधिक अक्षरों के विषयों और सामग्री उनके कार्यों का स्पष्ट प्रमाण है.

टीपू सुल्तान ने सिंहासन पर बैठने के बाद अपने लोगों को जो पहला फरमान जारी किया था. वो था धर्म और धर्म, अपने लोगों का नैतिक सुधार, उनकी समृद्धि, आर्थिक और राजनीतिक विकास, न्याय, जमींदारों पर अत्याचार और मकान मालिक, मुक्ति, धार्मिक-भाषाई और शास्त्रीय तटस्थता का उन्मूलन, और देश की रक्षा के लिए जीवन बलिदान करने का निर्णय था.

उन्होंने ‘मजलिस घम नबाशीद’ नामक लोकतांत्रिक आवश्यकताओं में सबसे आगे एक परिषद की स्थापना की. सारंगा पट्टम में जमा अलामोर नामक विश्वविद्यालय की स्थापना की. टीपू सुल्तान को नवाचार में विशेष रूचि थी. कई शहरों के नाम बदल दिए. उदाहरण के लिए, बैंगलोर का नाम दरलसरूर, कालकट का इस्लामाबाद, मैसूर का नज़ाराबाद, और मंगलौर का जमालाबाद रखा गया था. वजन और पैमाने के नाम भी बदल दिए. एक नया रूपया जारी किया और उनका नाम अलग-अलग मामलों के साथ रखा. जैसे अहमद, सिद्दीकी, फारूकी, हैदरी आदि.


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नए मोड बंदूकें और तोपें बनाओ, ढालें बनाओ जो तीर या गोलियों पर असर न करे. ऐसे प्रोजेक्ट शुरू किए. भारत के इतिहास में पहली बार टीपू सुल्तान ने जनगणना, पंचायती राज की नींव, मिसाइल का आविष्कार करने का राज भी उनके सिर पर था. अमेरिकियों ने भी इसे रॉकेट के संस्थापकों में गिना है.

टीपू सुल्तान ने हर शहर, कस्बे और किले के चार फाटक लगाए. जहां चोरी हुई वहां गार्ड नियुक्त किए गए. इसकी जिम्मेदारी पुलिस अधिकारी को सौंपी गई. अपराधी गिरफ्तार नहीं हुआ तो पुलिस अधिकारियों की सैलरी से भरपाई होती थी. जिन जगहों पर लुटेरों के हमले का खतरा था, वहां निवासियों को आग्नेयास्त्र पकड़ने की अनुमति दी जाती. हर शहर में जज और हर गांव में पंचायत. अपील के लिए अदालत के राष्ट्रपति (उच्च न्यायालय) थे.

टीपू सुल्तान ने अपराधियों को सजा देने का नया तरीका निकाला. अपराधी को उसके अपराध के लिए पेड़ लगाने और उगाने की जिम्मेदारी दी जाती. वे उर्दू अखबार के संस्थापक थे. टीपू सुल्तान ने गुलामों और लड़कियों को खरीदना और बेचना पूरी तरह से बंद कर दिया. उनके लिए अनाथालयों का निर्माण कराया.


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मकान मालिकों को खत्म कर मजदूर और किसानों को जमीन का मालिक बना दिया. जमीन का मालिक था, जमीन पर किसान. व्यवसाय को पहचान दिलाई. जमीन हल चलाने वाले किसान की ही थी. आदेश जारी किया कि जमीन के लिए आवेदन करने वाले को जरूरत के अनुसार मुफ्त जमीन दी जाए. व्यापार बढ़ाने के लिए विदेशों से कनेक्शन. दूर दूर से कारीगरों को बुलाकर सभी प्रकार के उद्योगों की फेहरिस्त जारी की. अपने लोगों को दूसरे देशों से रेशम की खटमल उठाना सिखाया. इसके अलावा स्थापित रत्न नक्काशी और हथियार कारखाने लगवाए.

इन कारखानों की स्थापना का एक बड़ा फायदा यह हुआ कि जरूरत की हर चीज का निर्माण अब साम्राज्य में किया जाने लगा था. आयात पर निर्भरता घटी और चीजों का निर्यात शुरू हो गया. हजारों को रोजगार मिल गया.
टीपू सुल्तान ने एक नई व्यापार नीति बनाई, जिसके तहत विदेशों ने ईरान, तुर्की और हिजाज़ आदि के मुस्लिम व्यापारियों को विशेष छूट दी. व्यापार के लिए सरकार के संरक्षण में एक बड़ी व्यापार कंपनी भी स्थापित की गई. जिसमें हर कोई निवेश करके शेयर कर सकता है.

जहां सुल्तान ने सामंतवाद को खत्म किया वहीं पूंजीवाद को खत्म करने के लिए भी कदम उठाया. सभी साम्राज्य में उन्होंने जनता, व्यापारी और किसानों के लिए बैंक जारी किए. उनमें खास बात ये थी कि गरीब और छोटे पूंजीपतियों को ज्यादा मुनाफा होता. इन सभी सुधारों और सुल्तानों के संघर्षों का परिणाम यह हुआ कि मैसूर भारत के सभी क्षेत्रों में सबसे समृद्ध और हरे रंग का क्षेत्र बन गया.

आज जब तीन नए कृषि कानूनों पर विवाद छिड़ा है और हजारों किसान पिछले करीब चार महीने से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत हैं. उसमें टीपू सुल्तान के उस योगदान को भी किसान याद कर रहे हैं.


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मैसूर के तीसरे युद्ध में प्रमुख हिस्सा लेने वाले कैप्टन लिटिल ने अपनी यादों में लिखा: ”टीपू के बारे में कई अफवाहें सुनने को मिलीं कि वह एक मजबूत और क्रूर शासक है. जिसके कारण उसके सारे लोग मजबूर हैं. लेकिन जब हम उनके देश में घुसे तो उद्योग और विकास देखा. रोज विकास के कारण नए शहर आबाद और आबाद हो रहे हैं. लोग अपने काम में मस्त हैं. जमीन का कोई हिस्सा बंजर नहीं दिखता. किसान जितनी भी खेती योग्य भूमि प्राप्त कर सकते हैं उससे लहरा रहे हैं. एक इंच जमीन भी बेकार नहीं मिली. राजा का सम्मान और प्यार, प्रजा और सेना के दिल में होता है. सेना के संगठन और उसके हथियारों को देखकर कहा जा सकता है कि यूरोप में सभ्य देश की सेना से किसी भी हालत में कोई पिछड़ा नहीं है. ”

20 नवंबर 1750 को जन्में टीपू सुल्तान, जो मैसूर के शेर के नाम से भी जानते हैं. 4 मई 1799 को अंग्रेजी से सेना से लड़ाई में शहादत हो गई थी. मैसूर समेत देश के तमाम हिस्से में उन्हें आज भी अपनी जिंदादिली और दूरदर्शी सोच के लिए याद किया जाता है.

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