ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को टक्कर देगा ये दूसरा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

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Muslim Personal Law Board
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया के कार्यक्रम में शामिल पदाधिकारी.

द लीडर : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPB) को लेकर इस बात पर अक्सर विवाद मचता रहा है कि उसमें एक नजरियात (विचार) के लोगों की संख्या ज्यादा है. प्रमुख पदों पर देवबंद और अहले हदीस फिक्र के लोग हैं. सुन्नी-बरेलवियों की संख्या सीमित है. इसी कसक में नबीरे आला हजरत मौलाना तौकीर रजा खां ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जदीद का गठन किया. और अब पर्सनल लॉ बोर्ड को टक्कर देने के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया वजूद में आया है. शनिवार को आला हजरत की सरजमीं बरेली पर बोर्ड का एक सम्मेलन हुआ है. (Muslim Personal Law Board)

बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष कारी यूसुफ अजीजी ने कहा कि, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मुसलमानों के बुनियादी और शरई मामलों की पैरवी में हर मोर्चे पर नाकाम साबित हुआ है. चाहें बाबरी मस्जिद का मामला हो या तीन तलाक और शाह बानो केस. चूंकि बोर्ड पर एक विचार के लोग हावी हैं. इसीलिए नए बोर्ड का गठन किया गया है. इसमें सूफी विचार के लोग हैं. देवबंद और दूसरे विचार वालों को जोड़ने के सवाल पर कहा कि इस पर आगे काम होगा.

ये बोर्ड शरीयत के मामले तो उठाएगा ही, जिन मुसलमानों को झूठे केस में फंसाया जाता है. उनकी भी कानूनी पैरवी करेगा. दरगाह आला हजरत से जुड़े और बोर्ड के राष्ट्रीय प्रवक्ता मौलाना शहाबुद्​दीन रजवी ने कहा कि इसके लिए लखनऊ में कानूनी सेल का गठन किया गया है. जिला स्तर पर भी वकील और उलमा का एक पैनल बनाया जाएगा. जो ऐसे मामलों को स्थानीय स्तर पर डील करेंगे. (Muslim Personal Law Board)


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बोर्ड के महासचिव डॉ. मोईन अहमद खान ने कहा कि, आमतौर पर ये इल्जाम लगाया जाता है कि मुस्लिम महिलाओं में पिछड़ापन है. उन्हें कम अधिकार हासिल हैं. जबकि ये धारणा पूरी तरह से गलत है. इस्लाम ने महिलाओं को बेशुमार राइट्स दिए हैं.

औरतों के मस्जिद में नमाज पढ़ने को लेकर भी बोर्ड कोशिश कर रहा है कि किस तरीके से महिलाएं जमात के साथ मस्जिदों में नमाज, तरावही अदा करें. पर्दे में रहकर काम कर सकें. (Muslim Personal Law Board)

मौलाना शहाबुद्​दीन ने एक और खास बात पर जोर दिया. वो ये कि मदरसा शिक्षा पर जिस तरह से तमाम बेबुनियाद इल्जाम लगाए जाते हैं कि वहां कट्टरपंथ को बढ़ावा मिलता है. उन्हें दूर करने की कोशिश की जाएगी. मदरसों में जो कार्यक्रम होंगे.

उनमें गैर-मुस्लिम समुदाय के लोगों को भी बुलाया जाएगा. उन्हें मदरसों का भ्रमण कराएंगे. ये दिखाया जाएगा कि किस तरीके से यहां बच्चों को तालीम दी जाती है. और छात्रों से भी संवाद का मौका दिलाया जाएगा. इससे समाज के आम लोगों में मदरसों को लेकर जो गलत धारणा पैदा करने की कोशिश की जाती है, उसे रोकने में कामयाबी मिलेगी. (Muslim Personal Law Board)

बोर्ड के प्रदेश अध्यक्ष हाफिज नूर अहमद अजहरी ने कहा कि पैगंबर-ए-इस्लाम की शान में हाल के दिनों में जिस तरह से गुस्ताखी के मामले बढ़े हैं. वो नाकाबिले बर्दाश्त हैं. इसके खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराएंगे. बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि अभी राजनीतिक तौर पर किसी पार्टी के साथ कोई जुड़ाव नहीं है. (Muslim Personal Law Board)

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया का गठन 2017 में हुआ था. जबकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड 1972 में बना था.

 

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