जल संकट से जूझ रहे यहां के आदिवासी, कौन पिलाएगा इन्हे पानी

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द लीडर हिंदी : किसी कुएं में अगर जरा-सा भी पानी नजर आता है, तो लोगों का मेला लग जाता है. बर्तनों की आवाज और लोगों का शोर सुनने को मिलता. इस जल संकट से जूझ रहे पालघर के आदिवासियों. जैसा के हम सभी जानते है.मायानगरी मुंबई अपनी चमक दमक को लेकर पूरी दुनिया में जानी-पहचानी जाती है तो वहीं मुंबई से कुछ ही दूरी पर पालघर जिले के कई आदिवासी गांव पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे हैं.लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं.बता दें देश में कुछ दिन में लोकसभा चुनाव होने वाले है. चुनाव के दौरान पालघर जिले में पानी मुद्दा बनता दिखाई दे रहा है. हर उम्मीदवार ने लोगों की प्यास बुझाने का वादा किया. लेकिन, फिलहाल यहां पानी की स्थिति बहुत गंभीर है. कुएं हो या फिर नदी, तालाब सब सूख गए हैं.

लोगों को कई किलोमीटर तक पानी के लिए भटकना पड़ रहा है.लेकिन शिंदे सरकार कुंभकर्णी नींद सोई है. पालघर में चढ़ते तापमान के साथ ही ग्रामीण इलाकों में पानी की किल्लत भी शुरू हो गई है. मार्च महीने में ही यहां पानी सूखने लगा है. इसलिए लोगों को घर से दूर पानी लेने जाना पड़ रहा है. गर्मी के शुरू होते ही पालघर के वाडा,जव्हार, मोखाडा तालुका के आदिवासियों के गांव में पानी की भारी किल्लत शुरू हो गई है. स्थानीय लोगों का कहना है कि मार्च में यह हाल है तो अप्रैल, मई में क्या होगा. पालघर के ग्रामीण इलाकों में पेयजल की किल्लत सभी चुनावों में एक बड़ा मुद्दा रहा है. यहां के ग्रामीणों को पानी व विकास कार्यों के सपने दिखाकर राजनीतिक पार्टियों ने वोट तो हासिल किए लेकिन हर बार वे अपने वादे भूल गए. बतादें मार्च और अप्रैल में गजब की गर्मी पढ़ने वाली है. ऐसे में जल संकट से सूझ रहे आदिवासियों की मुश्किलें और बढ़ेंगी.

टैंकरों से पानी की आपूर्ति
आपको बतादें इन दिनों पानी का स्रोत नीचे जाने से मोखाडा ,जव्हार, वाडा के 6 बड़े गांवों और 36 छोटे गांवों में 16 टैंकरों से पानी की आपूर्ति की जा रही है. जानकारों के मुताबिक तीन महीने में यहां पेयजल संकट और गंभीर होगा. अगले कुछ महीनों में सैकड़ों गांवों में पानी की समस्या होगी और 60 से अधिक गांवों को टैंकरों से पानी की आपूर्ति करनी होगी. फिलहाल मोखाडा में 10 टैंकर जव्हार में 5 और वाडा में 1 टैंकर पानी की सप्लाई में लगाए गए हैं. जो 6 बड़े गांवो और 36 छोटे जलसंकट से जूझ रहे गांवो में पेयजल की सप्लाई कर रहे हैं.

बूंद-बूंद पानी के लिए भटकने को मजबूर
जानकारी के मुताबीक मोखाडा के कई आदिवासी कई गांवों में फरवरी से ही पानी की किल्लत शुरू हो गई है. गोलीचा पाडा,धामनी, धामोडी, कुडूआ, कुंडाचापाडा भोवाडी, वारलीपाडा स्वामीनगर जैसे 5 बड़े गांव और 21 छोटे गांव सहित 26 छोटे बड़े गांवों में रहने वाले लोग जल संकट से जूझ रहे हैं. यहां 10 टैंकर पानी की सप्लाई कर रहे हैं. जिले के जव्हार व मोखाडा तालुका में सालों से पीने के पानी की समस्या बनी हुई है. मोखाडा तालुका में छोटे-बड़े 93 गांव हैं. यहां लगभग 50 हजार से ज्यादा की आबादी है. जून तक यहां रोजाना 70 से 90 टैंकर पानी लोगों तक पहुंचाया जाता है. पर, टैंकरों का पानी आबादी के लिहाज से बहुत कम पड़ता है.

बता दें कि यहां के लोगों के लिए नदी, कुएं, झरने व तालाब ही पानी के स्रोत हैं. फिर भी बच्चों और महिलाओं को पानी के लिए कई किलोमीटर तक पैदल भटकना पड़ता है. आदिवासियों का कहना है कि मोखाडा और जव्हार तालुका में नदियां हैं. पेयजल के लिए कई डैम हैं जिनका पानी पीने के लिए मुंबई जैसे महानगर में जाता है.लेकिन हम सरकार की इच्छाशक्ति के अभाव में डैम और नदियों के बगल के रहकर भी पानी के लिए प्यासे हैं.

पेयजल योजना अब तक नसीब नहीं.
मार्च -अप्रैल से पड़ने वाली भीषण गर्मी से पालघर जिले की जनता पानी की समस्या से त्रस्त हो जाएगी . आदिवासी इलाकों में गांव के लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. किसी कुएं में अगर जरा-सा भी पानी नजर आता है, तो लोगों का मेला लग जाता है. बर्तनों की आवाज और लोगों का शोर. उधर, इलाके में टैंकर माफिया खूब लूट रहे हैं.वही केंद्र सरकार की जल जीवन मिशन की हर घर जल, हर घर नल योजना के तहत गांवों में शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के तमाम दावे किए जाते हैं, लेकिन पालघर के आदिवासी इलाकों में करोड़ों खर्च के बाद भी पेयजल लोगों को अब तक नसीब नहीं हुआ है. जल जीवन मिशन योजना के पूरा होने में करीब साल भर का समय लग सकता है.

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