लाल या हरा, Zomato ने 12 घंटे में क्यो बदला ये फैसला, CEO ने बताई वजह

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द लीडर हिंदी : इधर खाना ऑर्डर किया. उधर दरवाजे पर डिलीवरी बॉय मन पसंद खाना लेकर हाजिर. पिज्जा हो या फिर चाउमीन या बात करे बिरयानी की.तमाम तरह की चीजों का मजा हम अपने घर बैठे मिंटो में ले सकते है. ये सब हमे प्रोवाइड कराता है जोमैटो. बता दें इनदिनों जोमैटो सुर्खियों में है. लेकिन अपने खाने को लेकर नहीं. बल्कि अपने पहनावे को लेकर.आपको बता दें फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म जोमैटो ने शुद्ध शाकाहारी फ्लीट सर्विस की अपनी घोषणा को वापस ले लिया है. ग्रीन ड्रेस लॉन्चिंग के महज 12 घंटे के अंदर जोमैटो ने कहा है कि उसके सभी डिलीवरी पार्टनर लाल कपड़े पहनना जारी रखेंगे. नई सर्विस के तहत शाकाहारियों को फूड डिलीवर करने वालों के लिए हरे रंग की ड्रेस शुरू करने के अपने फैसले को वापस ले लिया है.

जोमैटो के सीईओ दीपिंदर गोयल ने एक्स पोस्ट में कहा कि जैसा कि हम शाकाहारियों के लिए एक फ्लीट जारी रखने जा रहे थे.हमने हरे रंग का उपयोग करके इस फ्लीट के जमीनी अलगाव को हटाने का फैसला किया था. लेकिन अब हमारे सभी डिलीवरी पार्टनर लाल रंग की ड्रेस पहनेंगे.

इस परेशानी में पड़ सकते हैं लोग
वही गोयल ने बताया कि जो ग्राहक शुद्ध शाकाहार ऑप्शन चुनते हैं. वे मोबाइल ऐप पर देख सकते हैं कि उनके ऑर्डर ‘केवल शाकाहारी’ फ्लीट द्वारा वितरित किए जा रहे हैं. इससे यह पक्का होगा कि हमारे लाल वर्दी वाले डिलीवरी पार्टनर गलत तरीके से नॉन-वेज भोजन से जुड़े नहीं हैं और किसी विशेष दिन के दौरान किसी आरडब्ल्यूए या सोसायटी द्वारा ब्लॉक नहीं किए गए हैं.

दीपिंदर गोयल मानी गलती,कहा-परेशानी में पड़ सकते हैं लोग
आपको बता दें इस समय ज़ोमैटो पूरे देशवासियों का पेट भर रहा है.ज़ोमैटो के सीईओ दीपिंदर गोयल (Zomato CEO Deepinder Goyal) ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए कहा कि अब हमें एहसास हुआ है कि हमारे कुछ ग्राहक भी अपने मकान मालिकों से परेशानी में पड़ सकते हैं और अगर हमारी वजह से ऐसा हुआ तो यह अच्छा नहीं होगा.गोयल ने पोस्ट में कहा कि अब हमें एहसास हुआ है कि हमारे कुछ ग्राहक भी अपने मकान मालिकों से परेशानी में पड़ सकते हैं और अगर हमारी वजह से ऐसा हुआ तो यह अच्छा नहीं होगा. उन्होंने मंगलवार शुद्ध शाकाहारी सेवा की घोषणा के बाद इन मुद्दों को उठाने के लिए सोशल मीडिया को भी धन्यवाद दिया.

दीपिंदर ने कहा कि आपने हमें इस रोलआउट के अनचाहे नतीजों के बारे में समझाया. प्यार, और सभी ईंट-पत्थर बहुत काम आए. हमें इस निष्कर्ष तक पहुंचने में मदद मिली. हम अनावश्यक अहंकार या अभिमान के बिना हमेशा सुनते रहते हैं। हम इसके लिए तत्पर हैं आपकी सेवा करना जारी रखें.

ऐसे शुरू हुआ था सोशल मीडिया पर विवाद
दरअसल, शुद्ध शाकाहारी फ्लीट और अलग कलर कोड के ऐलान ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया.वही कुछ यूजर्स ने इसे आधुनिक समय के जातिवाद का एक रूप बताया. तो दूसरों ने कहा कि इससे उन अपार्टमेंट में लाल-वर्दी वाले डिलीवरी पार्टनर्स की एंट्री पर प्रतिबंध लग सकता है जहां शाकाहारी लोग बहुमत में रहते हैं.इससे मांसाहारी भोजन का ऑर्डर देने वालों को असुविधा होगी.वही कुछ यूजर्स ने यह भी बताया कि इससे मांसाहारी भोजन का ऑर्डर देने वाले किरायेदारों के लिए समस्याएं पैदा हो सकती हैं, खासकर उन इलाकों में जहां इसे नापसंद किया जाता है.

मंगलवार को सर्विस की थी लॉन्च
गोयल ने मंगलवार को कहा था कि उन्होंने ग्राहकों की प्रतिक्रिया के आधार पर शुद्ध शाकाहार सर्विस शुरू करने का फैसला किया है.उन्होंने कहा था कि पूरी दुनिया में सबसे अधिक शाकाहारी भारत में रहते हैं. उन्हें इस बात को लेकर बहुत फिक्र होती है कि उनका खाना कैसे पकाया जाता है. उन्होंने कहा था कि इस सेवा के लिए जोमैटो केवल शाकाहारी भोजन परोसने वाले रेस्तरां को अपने साथ जोड़ेगी और इस सेवा में डिलीवरी पार्टनर किसी भी मांसाहारी पैकेट को नहीं संभालेंगे. लेकिन हमें फ्लीट को अलग करने की आवश्यकता क्यों पड़ी? क्योंकि हर किसी के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, कभी-कभी भोजन डिलीवरी बॉक्स में फैल जाता है. ऐसे मामलों में पिछले ऑर्डर की गंध अगले ऑर्डर तक चली जाती है, और अगले ऑर्डर में भी बदबू आ सकती है.

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