भारत में धार्मिक आजादी का हाल चिंताजनक: USCIRF

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यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम (USCIRF) ने भारत को लगातार दूसरे वर्ष धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में ब्लैकलिस्टेड रखने की सिफारिश की। अमेरिकी राष्ट्रपति, अमेरिकी कांग्रेस और राज्य विभाग को धार्मिक स्वतंत्रता और विदेश नीति की सिफारिशें करने वाले इस आयोग ने 2021 के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट में भारत को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में नामित करने के साथ “गंभीर धार्मिक स्वतंत्रता उल्लंघन” के लिए “विशेष रूप से चिंता का विषय वाला देश”(country of particular concern- CPC) कहा है। (Religious Freedom In India)

सीपीसी सूची में भारत समेत 14 अन्य देशों में सऊदी अरब, चीन, ईरान, म्यांमार, इरिट्रिया, नाइजीरिया, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, सीरिया, रूस, वियतनाम और तुर्कमेनिस्तान शामिल हैं।

USCIRF रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को भारत सरकार की एजेंसियों और “गंभीर धार्मिक स्वतंत्रता उल्लंघनों” के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने चाहिए, जिसमें उनकी संपत्ति को फ्रीज करना और अमेरिका में उनका प्रवेश बंद करना भी शामिल है।

रिपोर्ट में 2014 में सत्ता संभालने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हिंदू राष्ट्रवादी सरकार पर अल्पसंख्यकों, खासतौर पर 20 करोड़ मुसलमानों को सताने का आरोप लगाया गया है। (Religious Freedom In India)

Nadine Maenza

USCIRF की मौजूदा अध्यक्ष नादिन मेंज़ा ने भारत में बिगड़ती धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति पर अल जज़ीरा से अल्पसंख्यकों पर हमलों, विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के बारे में बातचीत की। उन्होंने कहा, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC), सामाजिक कार्यकर्ताओं और प्रदर्शनकारियों को जेल में डालने के मामले में राष्ट्रपति जो बाइडेन को कदम उठाने चाहिए।

नादिन मेंज़ा ने कहा, भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति बहुत चिंताजनक है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली भारत सरकार हिंदू राष्ट्रवादी नीतियों को बढ़ावा देती है, जिसके कारण धार्मिक स्वतंत्रता का व्यवस्थित, लगातार और गंभीर उल्लंघन होता है। इस तरह के माहौल से मुस्लिम, ईसाई, सिख, आदिवासी, दलितों समेत गैर-हिंदू धार्मिक समुदायों को उत्पीड़न का शिकार बनाया जाता है। (Religious Freedom In India)

CAA और NRC के बारे में सवाल पूछे जाने पर मेंजा ने कहा, प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी एनआरसी के साथ सीएए देशभर में मुसलमानों को नागरिकता से महरूम करने का जोखिम पैदा कर सकता है, क्योंकि इसमें पड़ोसी देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के गैर-मुसलमानों के लिए नागरिकता का रास्ता है, जबकि एनआरसी प्रक्रियाओं में फंसे मुसलमानों के लिए कोई उपाय नहीं है। जो लोग दस्तावेज़ी माध्यम से अपनी नागरिकता साबित नहीं कर सकते हैं, वे स्टेटलेसनेस होकर डिटेंशन कैंप में निर्वासन भोगने को मजबूर हो जाएंगे।

सामाजिक आर्थिक कारकों के कारणों से तमाम लोग दस्तावेज़ों के मार्फत नागरिकता का प्रमाण नहीं दे सकते हैं। यह बात 2019 में असम की एनआरसी ने भी दिखाया, जहां लगभग 19 लाख लोगों को एनआरसी सूची से बाहर कर दिया गया, अधिकांश मुस्लिम होने से बाहर थे। एनआरसी सूची से बाहर किए गए हिंदुओं को सीएए के माध्यम से संरक्षित किए जाने की संभावना है। जबकि मुसलमानों के लिए कोई चारा नहीं होगा। (Religious Freedom In India)

NADINE MAENZA

मेन्ज़ा ने कहा, यूएससीआईआरएफ सामाजिक कार्यकर्ताओं और प्रदर्शनकारियों पर भारत सरकार की कार्रवाई को लेकर बेहद चिंतित है। गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और वित्तीय योगदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) जैसी कानूनों का दुरुपयोग हो रहा है। धार्मिक उत्पीड़न या अन्य सामाजिक मुद्दों पर विरोध करने वालों, संगठनों और संस्थाओं को चुप कराने या प्रतिबंधित करने में इन कानूनों का सहारा लिया जा सकता है।

स्राेत: अल जजीरा से साभार, यह पूरी रिपोर्ट के प्रमुख अंश का भावानुवाद है


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