श्मशान में जलती लाशों पर प्रशासन की लापरवाही का पर्दा


लखनऊ।प्रदेश में इन दिनों लखनऊ के श्मशान घाटों को लेकर लोगों में दहशत का माहौल है। हर जगह लखनऊ के श्मशान घाटों का जिक्र हो रहा है वजह है कि यहां पर जिस तरह से लाशों के जलने के वीडियो वायरल हुए उससे आम आदमी में जरूर डर पैदा हुआ । ये वीडियो लोगों में कोरोना की दहशत को तो बताते ही हैं साथ ही में लखनऊ प्रशासन की पोल भी खोलते हैं ।जिस तरह से मौतों का सरकारी आंकड़ा कुछ और श्मशान घाटों पर जलती लाशें अगर गिनी जाए तो सरकारी आंकड़ों से कई गुना ज्यादा दिखाई पड़ती हैं ऐसे में प्रशासन ने अपनी लापरवाही छुपाने के लिए यहां पर अब पर्दे ढकने का काम शुरू कर दिया है लखनऊ के भैसा कुंड बैकुण्ठ धाम के पास यह पर्दे लगाए जा रहे हैं जिससे लोग लाशें न गिन सके।

दरअसल लखनऊ में जिस तरह से श्मशान घाटों पर भीड़ देखी जा रही है वह भयावह है पूरे लखनऊ में हर श्मशान घाट पर वेटिंग चल रही है तो जलती हुई लाशों को देखकर मन विचलित जरूर होता है लेकिन सरकारी आंकड़ा जितनी लाशें जल रही है उससे कम नजर आ रहा है । जिस पर अब प्रशासन के लोग यह बहाना बना रहे हैं कि होम आइसोलेशन में जो मृत्यु होती हैं उनका सरकारी आंकड़े में जिक्र नहीं होता और यही कारण है कि शमशान घाट पर लाशों का अंबार लगा हुआ है लेकिन सरकारी आंकड़े कुछ और बता रहे।

उत्तर प्रदेश में कोरोना के सारे रिकॉर्ड टूट रहे हैं फिर भी राज्य में कोरोना से मरने वालों की संख्या पर विवाद खड़ा हो गया  है।यूपी के स्वास्थ्य विभाग द्वारा बुधवार को जारी आंकड़े के मुताबिक, राजधानी लखनऊ में कोरोना से 14 मौतें हुई हैं, जबकी पूरे राज्य में 68 मौत का दावा किया गया है लेकिन स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट का खुलासा तब होता है जब केवल बुधवार को रात करीब 9 बजे ही 98 शवदाहगृहों में 98 कोरोना शवों का अंतिम संस्कार किया गया।अधिकारियों के मुताबिक नौ बजे के बाद भी कुछ शव बाहर शव वाहनों में पड़े हुए थे, जिनका दाह किया जाना बाकी था ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि जब पूरे प्रदेश में कोविड से सिर्फ 68 मौतें हुईं तो अकेले लखनऊ में ही कोविड से मरे 98 शवों का अंतिम संस्कार कैसे हो गया?

इस पर नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि बैकुंठ धाम पर 61 और गुलाला घाट पर 37 बॉडी का अंतिम संस्कार किया गया। इससे पहले मंगलवार को 81 मृत शरीर को जलाया गया था इसमें 50 बैकुंठ धाम और 31 गुलाला घाट पर थी यह आंकड़ा भी प्रदेश में मरने वालों के आंकड़े से ज्यादा था।जानकारी के मुताबिक, ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि होम आइसोलेशन में होने वाली मौतों को सरकारी रिकॉर्ड में नहीं जोड़ा जा रहा है, जिस वजह से इन आंकड़ों में अंतर आ रहा है।

नगर निगम के अधिकारियों के मुताबिक, स्वास्थ्य विभाग सिर्फ अस्पतालों में मरने वाली की लिस्ट तैयार कर रहा है। घर पर जिस भी कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हो रही है उसकी लिस्ट नहीं आती है।हालांकि अंतिम संस्कार के लिए जब बॉडी आती है तो वह पीपीई किट में आती है।उनकी पूरी लिस्ट और रजिस्टर भी तैयार किया जाता है अगर घर पर हुई मौत के आंकड़े भी जोड़ा जाए तो हालात कुछ और होगा।

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बता दें कि यूपी में कोरोना वायरस संक्रमण की गति लगातार बढ़ती जा रही है इस कारण हालात दिनों दिन बिगड़ रही है।गौरतलब है कि यूपी में कोरोना की बढ़ती रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है।बीते सात दिन में रोज करीब दो हजार नए संक्रमित सामने आने से प्रदेश में स्थिति बेहद विकराल होती जा रही है।

Abhinav Rastogi

पत्रकारिता में 2013 से हूं. दैनिक जागरण में बतौर उप संपादक सेवा दे चुका हूं. कंटेंट क्रिएट करने से लेकर डिजिटल की विभिन्न विधाओं में पारंगत हूं.

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