द लीडर। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध से जहां यूक्रेन को नुकसान हो रहा है. तो वहीं अन्य देशों को भी इस युद्ध से नुकसान का सामना करना पड़ेगा. वहीं इस बीच भारत आत्मनिर्भर होकर खुद को मजबूत कर रहा है. भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक और कदम बढ़ा दिया गया है. IIT कानपुर की मदद से भारत को पहला सॉफ्ट रिकवरी सिस्टम (SRS) मिल गया है.
रक्षा प्रणालियों को और भी ज्यादा मजबूत करेगा
ये SRS सुपरसोनिक प्रोजेक्टाइल की रिकवरी का काम काफी आसान कर देगा और देश की रक्षा प्रणालियों को भी ज्यादा मजबूत करने का काम करेगा. वैसे अभी SRS की सुविधा सिर्फ कुछ चुनिंदा देश के पास ही मौजूद है. लेकिन IIT कानपुर के प्रयास से अब भारत भी इस लिस्ट में शामिल हो गया है.
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जानकारी के लिए बता दें कि, IIT कानपुर ने बख्तरबंद वाहन निगम लिमिटेड (AVNL) की इकाई आयुध निर्माणी मेदक (OFMK) के साथ मिलकर भारत को SRS सिस्टम की सौगात दी है. इस SRS के जरिए ध्वनि की गति से तीन गुना गति से चलने वाले 30 मिमी सुपरसोनिक प्रोजेक्टाइल को भी रोकने की क्षमता है.
भारत को पहला SRS मिला
इसके निर्माण में प्रोफेसर नचिकेता तिवारी और आयुध निर्माणी मेदक (ओएफएमके) के महाप्रबंधक आलोक प्रसाद ने निर्णायक भूमिका निभाई है और उन्हीं की वजह से भारत को पहला SRS मिल पाया है.
प्रोफेसर निचिता की माने तो SRS के निर्माण के बाद अधिक इंटेलीजेंट आयुध टैंकों का निर्माण संभव हो जाएगा जिसका प्रभाव तो पहले की तुलना में कई गुना बढ़ जाएगा, लेकिन नुकसान एकदम ना के समान रहेगा. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया है कि अब किसी भी लक्ष्य को और ज्यादा सटीक अंदाज में भेदा जा सकेगा.
आने वाले समय में देश की निर्यात क्षमता पर पड़ेगा असर
इस सफलता के बारे में लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी (सेवानिवृत्त) मानते हैं कि इस तकनीक से भारत ने आत्मनिर्भर बनने की ओर कदम बढ़ा दिया है और आने वाले समय में देश की निर्यात क्षमता पर भी असर डालने वाला है.
उनकी तरफ से इस बात पर जोर दिया गया है कि, स्मार्ट युद्धपोत की वजह से बाद में स्मार्ट बमों का निर्माण संभव हो जाएगा और फिर उसकी वजह से आर्टिलरी शेल की सटीकता में जबरदस्त इजाफा देखने को मिल जाएगा.
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