लखनऊ । बस कंपनी स्कैनिया ने 2013 और 2016 के बीच सात अलग-अलग राज्यों में भारत में बस कॉन्ट्रैक्ट लेने के लिए रिश्वत ली थी। ये दावा किया है स्वीडन के एक चैनल SVT ने । इसके बाद स्कैनिया 2007 में भारत में बसें चलाना शुरू कर दिया और इतना ही नहीं, 2011 से बसे बनाने के लिए एक यूनिट में शुरू कर दी।
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2017 में स्कैनिया द्वारा शुरू की गई जांच में गंभीर कमियां सामने आईं थी। इसमें रिश्वतखोरी और गलत बयानी खास तौर पर शामिल है। स्कैनिया ने इसके बाद भारतीय बाजार में सिटी बसों को बेचना बंद कर दिया था और वहां स्थापित होने वाली फैक्ट्री को बंद कर दिया।
कंपनी के प्रवक्ता के अनुसार मामले की जांच 2017 में शुरू हुई थी। जांच में काफी लोगो को दोषी पाया गया। इसके बाद स्कैनिया ने उसको भारतीय बाजार में बेचना बंद कर दिया था। जांच के दौरान रिश्वत लेना, गलत तरीके से बिज़नस पार्टनर बनाना भी शामिल था। कंपनी के CEO हेनरिक ने माना ये हमारी गलती हो सकती है लेकिन हमने ऐसा किया। हम भारत में बड़ी सफलता हासिल करना चाहते थे लेकिन हमने जोखिम का सही आकलन नहीं किया। CEO ने बताया की इस पूरे मामले में कुछ भारतीयों की गलती थे जिन्होंने अब कंपनी को छोड़ दिया है या फिर उनके लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं।
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लाइसेंस प्लेट बदलकर बेचने की कोशिश
रिपोर्ट के मुताबिक स्कैनिया ने बसों के साथ साथ ट्रक के मॉडल्स में भी फर्जीवाड़ा किया और लाइसेंस की प्लेटें बदलकर भारतीय खनन कंपनी को ये ट्रक बेचने की कोशिश की गई। यह डील 1.18 करोड़ डॉलर में की जा रही थी। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, ‘स्कैनिका के बिजनस कोड के उल्लंघन के पर्याप्त सबूत हैं जिससे कंपनी कड़ी कार्रवाई कर सकती है लेकिन इतने मजबूत नहीं हैं कि मुकदमा चलाया जाए।’