द लीडर. यूपी में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के बाद यह साफ हो गया है कि बड़े पैमाने पर क्रास वोटिंग हुई है. इसका बड़ा नुकसान समाजवादी पार्टी को चुकाना पड़ा. जहां जीत की स्थिति में थी, वहां भी चुनाव हार गई. नतीजे आने के बाद क्रास वोटिंग करने वालों को सोशल मीडिया पर सपा के ही लोग गद्दार कह रहे हैं. पार्टी में बढ़ते असंतोष को देखते हुए आलाकमान ने वोट बेचने वाले जिला पंचायत सदस्यों के नाम मांग लिए हैं. इसके लिए जिलाध्यक्षों को सात जुलाई तक का वक्त दिया गया है. बड़ी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है.
जिला पंचायत चुनाव में रुहलेखंड की बात करें तो समाजवादी पार्टी संख्या बल के एतबार से बरेली और रामपुर में जीत की स्थिति में थी. बरेली में सपा के 26 सदस्य जीतकर आए थे, जबकि भाजपा के पास महज 13 सदस्य थे. ऐसे में सपा की तरफ से जीत के लिए पूरा जोर लगाया गया है. मजबूत आर्थिक स्थिति को देखते हुए विनीता गंगवार को उम्मीदवार बनाया गया.
चुनाव की कमान दिग्गज नेता एवं पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार के हवाले की गई. चुनाव हुआ तो सपा के खाते में सिर्फ 19 वोट आए. सात वोट क्रास हो गए. 40 वोट पाकर भाजपा की रश्मि पटेल अध्यक्ष बन गईं. सपा में वो सात जिला पंचायत सदस्य कौन हैं, जिन्होंने चुनाव में दगा की है, उनके नाम सार्वजनिक करने को लेकर पार्टी में घमासान मचा हुआ है. कुछ वाट्सअप ग्रुप में तो कुछ सदस्यों के नाम भी खोल दिए गए हैं. बड़े नेताओं पर भी भाजपा के साथ सांठगांठ के इल्जाम लग रहे हैं.
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यही स्थिति रामपुर में भी है, जहां के कद्दावर नेता मुहम्मद आजम खां कोरोना पाजिटिव होने के बाद लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती हैं. भाजपा के सत्ता में आने के बाद उन पर 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज करने के बाद जेल भेजा जा चुका है. रामपुर में चुनाव की कमान संभालने के लिए सपा ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी को भेजा था.
सपा के पास 18 जिला पंचायत के सदस्य थे. इतने ही वोट जीत के लिए दरकार थे. रामगोविंद चौधरी परिणाम आने के बाद मीडिया से यही कहते रह गए कि हमारे 18 सदस्य साथ वोट डालने के लिए गए लेकिन गिनती हुई तो 13 निकले.
नेता प्रतिपक्ष का आरोप था कि बेईमानी की गई है लेकिन पार्टी के अंदर से ही आवाजें यह भी आ रही हैं कि पांच वोट क्रास हो गए. ऐसा उन्होंने भाजपा से से सेटिंग करके किया है. खैर ऐसे लोगों को चिन्हित करने के लिए समाजवादी पार्टी नेतृत्व हरकत में आ गया है. प्रदेशाध्यक्ष नरेश उत्तम ने जिलाध्यक्ष, महानगर अध्यक्ष और जिला महासचिव से रिपोर्ट मांगी है. तीन दिन का वक्त दिया है.