धर्म संसद की टिप्पणियों पर RSS की दो टूक : मोहन भागवत बोले – गुस्से में दिए गए बयान हिंदुओं के शब्द नहीं

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द लीडर। यूपी, उत्तराखंड समेत कई राज्यों में चुनाव नजदीक है. ऐसे में जहां सभी पार्टियां जनता को रिझाने में लगी है तो वहीं इस बीच संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हरिद्वार की धर्म संसद में दिए गए बयानों को लेकर कहा कि, इस तरह की धर्म संसदों का आयोजन हिंदुत्व की विचारधारा से अलग है. इसका हिंदुत्व से कोई लेना-देना नहीं है. भागवत ने इस आयोजन को लेकर दुख व्यक्त किया.

धर्म संसद के बैनर तले आयोजित कार्यक्रमों में कथित तौर पर हिंदुत्व की बातों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने असहमति जताई है. मोहन भागवत ने कहा है कि, धर्म संसद से निकली बातें हिंदू और हिंदुत्व की परिभाषा के अनुसार नहीं थीं. अगर कोई बात किसी समय गुस्से में कही जाए तो वह हिंदुत्व नहीं है.

संघ मतभेदों को दूर करने में विश्वास करता है

मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान मोहन भागवत ने कहा कि, आरएसएस और हिंदुत्व में विश्वास रखने वाले लोग इस तरह की बातों पर भरोसा नहीं करते हैं.


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मोहन भागवत ने कहा कि, संघ का विश्वास लोगों को बांटने में नहीं बल्कि उनके मतभेदों को दूर करने में है. इससे पैदा होने वाली एकता ज्यादा मजबूत होगी. यह कार्य हम हिंदुत्व के जरिए करना चाहते हैं.

नागपुर में एक अखबार के 50 साल पूरे होने के मौके पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. जिसमें मोहन भागवत ‘हिंदुत्व और राष्ट्रीय एकता’ विषय पर भाषण दे रहे थे. भागवत ने कहा कि, हिंदुत्व कोई वाद नहीं है. इसका अंग्रेजी अनुवाद भी हिंदूनेस होता है. रामायण औऱ महाभारत में तो कहीं हिंदू भी नहीं लिखा है. इसका उल्लेख गुरु नानक देव ने किया था. यह काफी लचीला है औऱ अनुभव के हिसाब से इसमें परिवर्तन होते रहते हैं.’

‘निजी फायदे के लिए बयान देना हिंदुत्व नहीं’

उन्होंने कहा कि, निजी फायदे या फिर शत्रुता के लिए कोई बयान दे देना हिंदुत्व नहीं है. आऱएसएस चीफ ने कहा कि, RSS या फिर जो लोग भी सही रूप में हिंदुत्व को मानते हैं वे इसके बिगड़े हुए अर्थों पर ध्यान नहीं देते. वे विचार करते हैं औऱ समाज में बैलेंस बनाने का काम करते हैं.

उन्होंने कहा कि, धर्म संसद में दिए गए बयान हिंदुओं के शब्द नहीं थे. अगर मैं कभी कुछ गुस्से में कहता हूं, तो यह हिंदुत्व नहीं है. उन्होंने कहा कि, यहां तक कि, वीर सावरकर ने कहा था कि, अगर हिंदू समुदाय एकजुट और संगठित हो जाता है तो वह भगवद् गीता के बारे में बोलेगा न कि किसी को खत्म करने या उसे नुकसान पहुंचाने के बारे में बोलेगा.

देश के हिंदू राष्ट्र बनने के रास्ते पर चलने के बारे में भागवत ने कहा कि, यह हिंदू राष्ट्र बनाने के बारे में नहीं है. आप इसे मानें या न मानें, यह हिंदू राष्ट्र है. उन्होंने कहा कि, संघ लोगों को विभाजित नहीं करता बल्कि मतभेदों को दूर करता है. उन्होंने कहा कि, हम इस हिंदुत्व का पालन करते हैं.


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क्या है धर्म संसद का मामला ?

पिछले साल दिसंबर में उत्तराखंड के हरिद्वार में हुई धर्म संसद के दौरान धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाने, मुस्लिम प्रधानमंत्री न बनने देने, मुस्लिम आबादी न बढ़ने देने की बात कही गई. जिसके बाद उत्तराखंड पुलिस ने भड़काऊ भाषण देने वालों के खिलाफ कोतवाली हरिद्वार में धारा 153ए आईपीसी के तहत प्राथमिकी दर्ज की.

दिसंबर 2021 में ही रायपुर में धर्म संसद- 2021 में महाराष्ट्र से आए संत कालीचरण ने मंच से गांधीजी के बारे में अपशब्द कहे थे. मामले का बढ़ता देख छत्तीसगढ़ सरकार ने कार्यवाही के आदेश दिए. जिसके बाद कालीचरण महाराज को गिरफ्तार कर उसे 2 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया.

पिछले महीने जनवरी 2022 में यति नरसिंहानंद ने एक इंटरव्यू के दौरान भारतीय संविधान और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिया था. जिसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता शचि नेल्ली ने कार्यवाही की मांग की. भारत के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने संविधान और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कथित विवादित टिप्पणी को लेकर यति नरसिंहानंद के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की अनुमति दी.

यति नरसिंहानंद और वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी की रिहाई की मांग को लेकर केंद्र सरकार के सामने कुछ बड़े प्रस्ताव रखे गए. इन प्रस्ताव में भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने, धर्मांतरण को रोकने के लिए कानून को और सख्त किए जाने, मी यति नरसिंहानंद और जितेंद्र त्यागी उर्फ वसीम रिजवी को बिना शर्त जेल से रिहा किए जाने की भी मांग की गई. बता दें कि वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी पर एक महिला ने आरोप लगाया था कि वसीम रिजवी के बहकाने पर ही युवती के पिता ने उसका रेप किया था.

प्रणब मुखर्जी को बुलाने से पहले की थी पूरी तैयारी

इसके साथ ही मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि, वह वर्ष 2018 में नागपुर में आयोजित संघ के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को आमंत्रित करने के लिए उनसे मिलने गए तो ‘घर वापसी’ के मुद्दे पर काफी तैयारी करके गए थे.

भागवत ने कहा कि, उस समय ‘घर वापसी’ के मुद्दे पर संसद में काफी हंगामा हुआ था और वह बैठक के दौरान मुखर्जी द्वारा पूछे जाने वाले किसी भी सवाल का जवाब देने के लिए तैयार थे.

भागवत ने कहा कि, जब वह मुखर्जी से मिलने गए थे तो उन्हें इस मुद्दे पर जवाब देने की कोई जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि उन्होंने खुद कहा कि, अगर आपने (आरएसएस ने) घर वापसी का काम नहीं किया होता तो देश के 30 प्रतिशत समुदाय देश से कट गए होते.


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