वीडियो : भारत रत्न से लेकर तमाम बड़े पुरस्कार पाने वाली लता मंगेश्कर कभी बरेली तो नहीं आईं लेकिन इस शहर से उनका एक अहम जुड़ाव प्रोफेसर वसीम बरेलवी की वजह से था. 1990 में एलबम सिजदा के लिए एक ग़ज़ल गाई थी. मिली हवाओं में उड़ने की वो सज़ा यारों, कि मैं ज़मीन के रिश्तों से कट गया यारों. यह एलबम उस वक़्त हिट हुई थी. (Lata Mangeshkar Waseem Bareilvi)
वसीम साहब बताते हैं की लता जी ने उसे बहुत ही ख़ूबसूरत अंदाज़ में गाया था. जब लता मंगेश्कर के निधन की ख़बर वसीम बरेलवी को द लीडर हिंदी ने बताई तो शब्दों का यह जादूगर निशब्द रह गया. हम ने अब से पहले जब किसी शख़्सियत के बारे में वसीम साहब से बात की है तो उन्होंने सटीक शब्दों में मूल्यांकन करते हुए जवाब दिया है.
लेकिन लता मंगेश्कर के बारे में पूछने पर पहली प्रतिक्रिया यही आई कि मुझे उनकी शानदार शख़्सियत के लिए शब्द नहीं मिल रहे हैं. इतना ही कह सकता हूं कि उन्हें शब्दों में रूह बनकर समाना आता था. बरेली के ही रहने वाले सूबे के प्रमुख उद्यमी हाजी शकील कुरैशी की भी लता मंगेश्कर के साथ एक अहम याद जुड़ी है.
वह बताते हैं कि जब उन्होंने चार साल पहले मुंबई में अपने एक गाने की रिकार्डिंग के लिए गुज़ारिश की तो लता दीदी ने सेहत ठीक होने पर गाने का वायदा कर लिया था. यह भी बताया कि एक गज़ल उन्हें मुनव्वर राना की भी रिकार्ड कराना है. उनका हमारे बीच से चले जाना हमारे लिए बड़ा सदमा है. (Lata Mangeshkar Waseem Bareilvi)